बाराबंकी के बनीकोडर ब्लॉक स्थित ग्राम निजामपुर (मजरा अहमदपुर) के इतिहास में पहली बार, आजादी के बाद किसी छात्र ने हाईस्कूल परीक्षा पास की है. यह उपलब्धि 15 साल के रामकेवल ने अपने नाम की है.
अपनी कामयाबी पर रावकेवल कहते हैं कि लोग मजाक उड़ाते थे कि ये हाईस्कूल पास नहीं कर पाएगा, लेकिन मैंने खुद से वादा किया था एक दिन सबको गलत साबित कर दूंगा.निजामपुर गांव (अहमदपुर के पास) में लगभग 40 घर हैं और करीब 300 की आबादी है. यहां कभी कोई हाईस्कूल तक नहीं पहुंचा, लेकिन रामकेवल न सिर्फ पहुंचा, बल्कि तमाम आर्थिक तंगी और तानों के बावजूद बोर्ड पास कर गया.
दिन में मज़दूरी, रात में किताबें
रामकेवल दिन में बारातों में लाइट ढोने से लेकर मजदूरी तक करता था.हर दिन 250 से 300 रुपये कमाता था, ताकि घर का खर्च चल सके. पिता जगदीश मज़दूर हैं और मां पुष्पा गांव के स्कूल में रसोइया. अपनी बेटी की कामयाबी पर वो कहती हैं कि मैं खुद सिर्फ पांचवीं पास हूं, लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाना चाहती हूं.लवलेश के किसान पिता ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनका बेटा शिक्षा के ज़रिए बेहतर भविष्य पाए.रामकेवल के पिता जगदीश, जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. अपने बेटे की कामयाबी पर कहते हैं कि मैं खुद पढ़ नहीं सका, लेकिन अपने बेटे को हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित करता रहा. वो कई बार मेरे साथ मजदूरी पर जाता था, लेकिन लौटकर पढ़ाई जरूर करता था.
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अधिकारियों और नेताओं से मिला सम्मान
रामकेवल की मेहनत की खबर जब ज़िले में फैली तो डीएम शशांक त्रिपाठी ने खुद आगे आकर रामकेवल और उसके माता-पिता को सम्मानित किया और पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का वादा किया.वहीं सपा सरकार के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने गांव पहुंचकर रामकेवल को नई साइकिल देकर सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि यह बच्चा सिर्फ अपने लिए नहीं, पूरे गांव के लिए प्रेरणा है.
गांव में बदला माहौल, बच्चों को मिली नई उम्मीद
रामकेवल की इस सफलता ने गांव के बाकी बच्चों में भी उम्मीद जगा दी है. जिन बच्चों ने इस बार परीक्षा नहीं पास की, वे भी अब नई ऊर्जा के साथ तैयारी में जुट गए हैं.रामकेवल का सपना है कि वह इंजीनियर बने.