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जानिए कितनी पढ़ी-ल‍िखी हैं जस्ट‍िस व‍िक्टोरि‍या गौरी, जो बनेंगी सुप्रीम कोर्ट की स्थायी जज!

जस्टिस एलसी विक्टोरिया गौरी पहले भी चर्चा में रह चुकी हैं. साल 2023 में गौरी को जज बनाने के फैसले का मद्रास हाईकोर्ट के 21 वकीलों ने विरोध किया था. वकीलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सौंपी गई फाइल को वापस करने की अपील की थी, जिसमें विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी. वकीलों ने दावा किया था कि विक्टोरिया गौरी बीजेपी नेता हैं.

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Know About Victoria Gauri
Know About Victoria Gauri

Lekshmana Chandra Victoria Gowri: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट के पांच अतिरिक्त जजों को स्थायी जज बनाने की सिफारिश की. इससे पहले, मद्रास हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 29 अप्रैल 2024 को सर्वसम्मति से इन जजों को स्थायी बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. इस सिफारिश को मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने मंजूरी दी, और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के एक जज से परामर्श करके अंतिम फैसला लिया गया.

जानिए कहां से की है पढ़ाई
जस्ट‍िस व‍िक्टोरिया गौरी ने मदुरै के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से बैचलर ऑफ लॉ की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद मदर टेरेसा महिला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गौरी अपने कॉलेज के दिनों से ही भाजपा से जुड़ गई थी फिलहाल उन्होंने बीजेपी के सभी पदों से इस्तीफा देने की बात स्वीकारी है. उन्होंने 1995 में एक वकील के रूप में एनरोल कराया और 1997 में कन्याकुमारी में अपनी खुद की फर्म वी-विक्ट्री लीगल एसोसिएट्स शुरू की.

विवादों में रहीं विक्टोरिया गौरी भी बनाई गईं स्थायी जज

जिन जजों को स्थायी बनाया गया है, उनमें तीन महिला जज- जस्टिस एलसी विक्टोरिया गौरी, जस्टिस रामचंद्रन कलैमथी, और जस्टिस के. गोविंदराजन थिलकावडी शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, जस्टिस पीबी बालाजी और जस्टिस केके रामकृष्णन भी इस लिस्ट में हैं. महिला जज में से एक जस्टिस एलसी विक्टोरिया गौरी पहले भी चर्चा में रह चुकी हैं. दरअसल, साल 2023 में जब विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में जज बनाया जा रहा था तब उनका जमकर विरोध हुआ था.

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गौरी को जज बनाने के फैसले का मद्रास हाईकोर्ट के 21 वकीलों ने विरोध किया था. वकीलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सौंपी गई फाइल को वापस करने की अपील की थी, जिसमें विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी. वकीलों ने दावा किया था कि विक्टोरिया गौरी बीजेपी नेता हैं. इतना ही नहीं वकीलों ने विक्टोरिया गौरी के कुछ बयानों का भी जिक्र किया था. जो कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ थे. वकीलों ने आरोप लगाया था कि गौरी विचार और  धार्मिक कट्टरता हाईकोर्ट के जज के तौर पर उनकी नियुक्त को आयोग्य बनाता है. 

गौरी के पॉलिटिकल एफिलिएशन पर उठे चुके हैं सवाल

दरअसल, विक्टोरिया गौरी को वकालत में 21 साल का अनुभव है. 1973 में तमिलनाडु के नागरकोइल में जन्मीं गौरी ने इसे लेकर द इंडियन एक्सप्रेस से भी बात की है. 22 जनवरी को द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गौरी ने कहा था कि उन्होंने बीजेपी के सभी पदों से जून 2020 में इस्तीफा दे दिया है. सहायक सॉलिसिटर जनरल बनने के बाद वे पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से मुक्त हो गई थीं. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, गौरी की ट्विटर प्रोफाइल पर चौकीदार विक्टोरिया गौरी लिखा है. हालांकि, गौरी का एकाउंट अब एक्टिव नहीं है.  

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यूट्यूब चैनल की टिप्पणी पर उठ चुके हैं सवाल

वकीलों ने विरोध में आरएसएस द्वारा होस्ट किए गए यूट्यूब चैनल पर गौरी के दो इंटरव्यू का का हवाला दिया था. एक इंटरव्यू में राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए अधिक खतरा? जिहाद या ईसाई मिशनरी? नाम के विषय पर बातचीत की गई थी. ये यूट्यूब पर 27 फरवरी, 2018 को अपलोड किया गया था. इसमें गौरी ने ईसाइयों के खिलाफ एक चौंकाने वाली बात कही थी. साथ ही इस्लाम को हरा आतंक बताया था. वहीं ईसाई धर्म को सफेद आतंक बताया था. 

गौरी के इस इंटरव्यू पर हुआ था भारी विवाद

गौरी इंटरव्यू में कहती हैं, “विश्व स्तर पर, मैं ईसाई समूह को इस्लामी समूह की तुलना में कम खतरनाक मानती हूं. लेकिन जहां तक ​​भारत की बात है, मैं कहना चाहूंगी कि ईसाई समूह इस्लामिक समूहों से ज्यादा खतरनाक हैं. धर्म परिवर्तन खासकर लव जिहाद के मामले में दोनों समान रूप से खतरनाक हैं. मुझे कोई आपत्ति नहीं है कि एक हिंदू लड़के की शादी मुस्लिम लड़की से हो रही है या एक हिंदू लड़की की शादी मुस्लिम लड़के से, जब तक वे एक दूसरे से प्यार करते हैं. लेकिन अगर मैं अपनी लड़की की बात करूं या मुझे मेरी लड़की सीरियाई आतंकवादी शिविरों में मिलती है, तो मुझे आपत्ति है, और इसे ही मैं लव जिहाद के रूप में परिभाषित करती हूं. वहीं दूसरे इंटरव्यू में भी विक्टोरिया गौरी ने ईसाई मिशनरियों पर निशाना साधा है. जिसमें अभद्र भाषा फैलाने और सांप्रदायिक कलह/हिंसा भड़काने की संभावना है.

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