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Pariksha Pe Charcha 2023: 'एग्जाम एंड ऑफ द लाइफ नहीं होता...', परीक्षा के तनाव पर पीएम मोदी के 'मंत्र'

Pariksha Pe Charcha 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के जरिए छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद किया. इस प्रोग्राम में उन्होंने छात्रों के परीक्षा से संबंधित सवालों के जवाब दिए और उन्हें बिना घबराए आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी.

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 pariksha pe charcha 2023: परीक्षा पे चर्चा के दौरान पीएम मोदी की तस्वीर
pariksha pe charcha 2023: परीक्षा पे चर्चा के दौरान पीएम मोदी की तस्वीर

Pariksha Pe Charcha 2023: पीएम मोदी की 'परीक्षा पे चर्चा' में छात्रों ने कई सवाल किए इनमें से एक जरूरी सवाल हरियाणा और जम्मू के छात्रों ने भी पूछा. हरियाणा के पलवल में शहीद नायक राजेंद्र सिंह राजकीय मौलिक संस्कृति वरिष्ठ विद्यालय में पढ़ने वाले 12वीं साइंस ट्रीम के छात्र प्रशांत ने पूछा कि तनाव, परीक्षा के परिणामों को किस तरह प्रभावित करता है? वहीं जम्मू से 10वीं क्लास की निदाह ने पीएम मोदी से पूछा कि जब हम मेहनत करते हैं लेकिन परिणाम नहीं मिलता तो डेड स्ट्रेस को सकारात्मक दिशा में कैसे लगाया जा सकता है? आइए जानते हैं परीक्षा के तनाव को दूर करने के लिए पीएम मोदी ने क्या मंत्र दिए

सच्चाई का सामना करें
परीक्षा के परिणाम जो आते हैं उसके बाद जो तनाव है उसका मूल कारण एक तो हम परीक्षा देकर घर वालों को कहते हैं कि मेरा शानदार पेपर गया है, 90 तो पक्का हैं, बहुत अच्छा करेक आया हूं तो घर के लोगों का एक मन बन जाता है और हम को भी लगता है कि अगर गाली खानी ही है तो एक महीने बाद खाएंगे अभी तो बता दूं.

इससे परिवार ने मान लिया होता है कि तुम सच बोल रहे हो और तुम अच्छा रिजल्ट लाने ही वाले हो, वे अपने दोस्तों को बताते हैं कि बहुत अच्छा किया है, बहुत पढ़ाई की... लेकिन जब रिजल्ट आता है 40 प्रतिशत, तब तुफान खड़ा हो जाता है और इसलिए पहली बात है कि हमें सच्चाई से मुकाबला करने की आदत छोड़नी नहीं चाहिए, हम कितने दिन तक झूठ के सहारे जी सकते हैं, स्वीकार करना चाहिए कि आज एग्जाम सही नहीं गया, कोशिश की थी लेकिन अच्छा नहीं गया. अगर पहले से ही आप कह देंगे और 5 मार्क्स ज्यादा आ जाएं तो घर वाले खुद कहेंगे कि तुम तो कह रह थे कि अच्छा नहीं गया. एक स्टैंडर्ड बन जाएगा.

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कॉम्पिटिशन की भावना न रखें
दिन-रात कॉम्पिटिशन के भाव में जीते हैं. होनहार बच्चों से तुलना करते हैं, हम अपने लिए जीएं, अपने में जीएं और अपनों से सीखते हुए जीएं, सीखना सभी से चाहिए लेकिन अपने भीतर के सामर्थ पर बल देना चाहिए. अगर ये हम करते तो तनाव से मुक्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं

एग्जाम एंड ऑफ द लाइफ नहीं होता...
जिस दिन मानते हैं कि यह एग्जाम गया तो जिंदगी गई फिर तो तनाव होना ही है. जीवन के स्‍टेशन में एक ट्रेन छूट गई तो दूसरी ट्रेन आएगी दूसरे बड़े स्टेशन पर ले जाएगी आप चिंता मत कीजिए. एग्जाम एंड ऑफ द लाइफ नहीं होता.

तनाव से मुक्ति का संकल्‍प
हमें तनाव से मुक्ति का संकल्‍प लेना होगा. परिणाम के तनाव को मन में लेने की जरूरत नहीं है. हमें इस तनाव से मुक्ति का मन में संकल्प कर लेना चाहिए जो भी- जो भी आएगा मैं जिंदगी को जीने का तरीका जानता हूं मैं इससे भी निपट लूंगा और अगर आप ये कर लेते हैं तो यह आराम से हो जाता है. इसलिए मैं समझता हूं इस प्रकार के तनाव को उतना मन में लेने की आवश्यकता नहीं है.

 

 

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