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JNU प्रेसिडेंशियल डिबेट में क्या-क्या हुआ? कल होगा मतदान, 6 नवंबर को घोषित होंगे नतीजे

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्र संघ चुनावों का माहौल जोरों पर है. 4 नवंबर 2025 को होने वाले इन चुनावों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव जैसे चार प्रमुख पदों के लिए वोट डाले जाएंगे. इस साल वामपंथी गठबंधन, एबीवीपी, एनएसयूआई और अन्य छात्र संगठनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. जेएनयू के ये चुनाव सिर्फ़ पदाधिकारियों का चयन नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की राजनीतिक और वैचारिक दिशा तय करने वाले भी माने जाते हैं.

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JNU में छात्र संघ चुनावों के नतीजे 6 नवंबर 2025 को घोषित किए जाएंगे. (Photo: ITG)
JNU में छात्र संघ चुनावों के नतीजे 6 नवंबर 2025 को घोषित किए जाएंगे. (Photo: ITG)

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कल यानी 4 नवंबर 2025 को छात्र संघ चुनावों के लिए मतदान होना है. छात्र संघ चुनाव के तहत हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट में इस बार कैंपस में जबरदस्त माहौल देखने को मिला. चुनाव आयोग (JNU EC) की मौजूदगी में आयोजित इस बहस में अध्यक्ष पद के कुल छह उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया. बड़ी संख्या में सभी दलों के समर्थक कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे थे. माहौल इतना जोशीला था कि जगह-जगह नारेबाजी, डफली, ढोल, झंडे और अपनी-अपनी पार्टी के आदर्शों की तस्वीरें दिखाई दे रही थीं.

बहस के दौरान केवल विश्वविद्यालय से जुड़े मुद्दे ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी चर्चा हुई. उम्मीदवारों ने फिलीपींस, गाज़ा, चीन, यूक्रेन, बांग्लादेश, नेपाल, अमेरिका और रूस जैसे देशों से जुड़े मामलों पर अपने विचार रखे. वहीं कैंपस की जर्जर हॉस्टल बिल्डिंग, पानी की समस्या, लाइब्रेरी की स्थिति, स्वास्थ्य सुविधाएं और SIR से जुड़े मुद्दे भी उठाए गए.

इस दौरान विपक्षी उम्मीदवारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा, जबकि कुछ उम्मीदवारों ने अडानी और अंबानी से जुड़े आर्थिक मुद्दों को लेकर भी सवाल उठाए. कुल मिलाकर, प्रेसिडेंशियल डिबेट ने जेएनयू की जीवंत छात्र राजनीति और विचारों की विविधता को एक बार फिर सामने ला दिया.

JNU के इन छात्रों ने देश की राजनीति में बनाई जगह

विचारों और प्रभाव की विरासत सीताराम येचुरी (1977-1978), शकील अहमद खान (1992-1993) और सैयद नसीर हुसैन (1999-2000) जैसे उल्लेखनीय पूर्व अध्यक्षों ने राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं, जो इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे जेएनयूएसयू अध्यक्ष पद अक्सर भविष्य के नेतृत्व के लिए एक साबित होने वाली ज़मीन के रूप में कार्य करता है.

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अध्यक्ष पद के लिए सात छात्रों में टक्कर

इस वर्ष के प्रतियोगी और गठबंधन समिति के अनुसार, अध्यक्ष पद के लिए सात छात्र, उपाध्यक्ष के लिए तीन, महासचिव के लिए पांच और संयुक्त सचिव के लिए पांच छात्र मैदान में हैं. इसके अलावा, जेएनयू के 18 केंद्रों में काउंसलर पदों के लिए 111 वैध नामांकन की पुष्टि की गई है. इस साल के चुनाव में वामपंथी गठबंधन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के साथ-साथ कई स्वतंत्र और छोटे समूह के प्रतियोगियों के बीच मुकाबला होगा.

ABVP से विकास पटेल मैदान में

एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए विकास पटेल, उपाध्यक्ष पद के लिए तान्या कुमारी, महासचिव पद के लिए राजेश्वर कांत दुबे और संयुक्त सचिव पद के लिए अनुज दमारा को मैदान में उतारा है. आइसा, एसएफआई और डीएसएफ के वामपंथी गठबंधन ने अध्यक्ष पद के लिए अदिति मिश्रा, उपाध्यक्ष पद के लिए गोपिका बाबू, महासचिव पद के लिए सुनील यादव और संयुक्त सचिव पद के लिए दानिश अली को उम्मीदवार बनाया है.

NSUI मे विकास बिश्नोई को मैदान में उतारा

वहीं एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद के लिए विकास बिश्नोई, उपाध्यक्ष पद के लिए शेख शाहनवाज आलम, महासचिव पद के लिए प्रीति और संयुक्त सचिव पद के लिए कुलदीप ओझा को उम्मीदवार बनाया है. इन प्रमुख गठबंधनों के अलावा एआईएसएफ स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रही है जिसमें महासचिव पद के लिए गोपीकृष्णन यू. चल रहे हैं. अम्बेडकरवादी मंच बापसा से राज रतन राजोरिया अध्यक्ष पद के लिए और शुएब खान महासचिव पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. दिशा ने अध्यक्ष पद के लिए शीर्ष इंदु को मैदान में उतारा है.

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4 नवंबर की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. कल जब छात्र अपने वोट डालने की तैयारी कर रहे हैं, तो आने वाले नतीजे सिर्फ़ अगले पदाधिकारियों का ही नहीं, बल्कि और भी बहुत कुछ तय करेंगे. ये चुनाव राजनीतिक रूप से जागरूक छात्र समुदाय की नब्ज़ को भी दर्शाएंगे, जो विचारों, सक्रियता और नेतृत्व के केंद्र के रूप में जेएनयू की विरासत को आगे बढ़ाएगा.

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