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जया किशोरी के 12वीं में आए थे कितने नंबर? भागवत कथा के साथ ऐसे मैनेज की अपनी पढ़ाई

अपनी कथाओं और भजनों के लिए पहचानी जाने वाली जया किशोरी ने महज 7 साल की उम्र से ही कथा सुनाना शुरू कर दिया था लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने कथावाचन के साथ अपनी पढ़ाई कैसे मैनेज की और 12वीं में कितने नंबर आए थे? आइये जानते हैं.

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Jaya Kishori Education
Jaya Kishori Education

जया किशोरी की आज एक फेमस पर्सनैलिटी हैं, देशभर के लोग उन्हें उनकी भक्ति कथाओं और प्रवचनों के लिए जानते हैं. जया किशोरी ने बहुत कम उम्र में सार्वजनिक कथावाचन शुरू कर दिया था. उनका जन्म 13 जुलाई 1996 को सुजानगढ़, राजस्थान में हुआ था. जब वह सिर्फ 7 साल की थीं, तब से संगीतमय कथा कर रहीं हैं. वे बचपन से ही भगवान की भक्ति से जुड़ी हुई हैं लेकिन क्या आप उनकी शिक्षा के बारे में जानते हैं.?

लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में जया किशोरी ने अपने कॉलेज के दिन और पढ़ाई से जुड़ी कई बातें शेयर की थीं. उन्होंने बताया कि कैसे पढ़ाई के साथ कथावाचन को मैनेज किया, 12वीं में कितने अंक आए और 12वीं के बाद कौन-सी डिग्री कोर्स में एडमिशन लिया था.

टीचर ने जया के प्रवचन को लेकर कही थी ये बात

जया ने बताया कि स्कूल के दिनों में उनकी एक टीचर से उनसे कहा था कि पढ़ाई पर ध्यान दो प्रवचन करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि तब सोशल मीडिया नहीं था और जया किशोरी देशभर में नहीं जानी जाती थीं. जया किशोरी ने बताया कि वे कक्षा 12वीं के बाद भागवत की तैयारी करना चाहती हैं लेकिन किस्मत ने समय से पहले सबकुछ लिख दिया था. उन्होंने आगे कहा कि अक्टूबर में मेरी पहली भागवत कथा बुक हो गई थी और तब ही आसपास मेरे बोर्ड एग्जाम भी थे. ऐसे में बोर्ड एग्जाम की तैयारी और भागवत कथा की तैयारी करना उनके लिए एक चैलेंज बन गया था.

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प्री-बोर्ड में फैल हो गई थीं जया किशोरी

जया किशोरी ने बताया कि उनके पापा ने जया किशोरी की पढ़ाई भी करवाई और भागवत करने की प्रैक्टिस भी करवाई. जया ने बताया कि रात के 9 बजे तक प्रोजक्ट, ट्यूशन की पढ़ाई करती थीं. उसके बाद वे भागवत की तैयारियां किया करती थीं. अगले दिन सुबह उठकर फिर स्कूल जाती थीं. स्कूल में टीचर्स को लगता था कि वह फेल हो जाएंगी. जया ने बताया कि वे अपनी प्री-बोर्ड एग्जाम में फेल हो भी गईं थीं लेकिन फाइनल बोर्ड परीक्षा में उन्हें 7.9 CGPA मिला था.

 

कॉलेज लाइफ को लेकर क्या बोलीं जया किशोरी

जया किशोरी ने बताया कि उनके पापा कभी भी उनसे अव्वल नंबरों की उम्मीद नहीं करते थे, उन्हें बस यह देखना होता था कि उनकी बेटी मेहनत कर रही है और वे कभी ना कभी, कहीं ना कहीं रंग लाएगी. जया किशोरी से जब पूछा गया कि कॉलेज के दिनों में आप कथा भी किया करती थीं, आप फेमस भी होने लगी थीं तो उस दौरान आपके दोस्तों का क्या रिएक्शन हुआ करता था. जया किशोरी ने कहा कि, मेरे दोस्त बहुत कम थे. मैंने कॉलेज लाइफ को नहीं जीया है. मेरे कॉलेज का कोई दोस्त नहीं है. बचपन के गिने-चुने दोस्त हैं. मैं कॉलेज सिर्फ एग्जाम देने चाहती थी और बचपन के दोस्तों को कोई फर्क नहीं पड़ता था इस चीज से कि मैं बाहर क्या कर रही हूं, जब मैं उनके साथ होती हूं तो जया किशोरी नहीं जया शर्मा होती हूं.

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