गुजरात के सभी स्कूलों में गुजराती भाषा की पढ़ाई-लिखाई सुनिश्चित करने के लिए आज गुजरात विधानसभा सत्र में विधेयक पारित हो गया. ऐसा करने में विफल रहने वाले किसी भी स्कूल को दो लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा. गुजरात के स्कूलों में गुजराती भाषा को अनिवार्य बनाने वाले बिल में कई खंड शामिल हैं. विपक्षी दलों आप और कांग्रेस ने भी विधेयक का समर्थन किया है.
अब से गुजराती भाषा गुजरात के सभी स्कूलों में पहली कक्षा से शुरू की जाएगी. गुजराती भाषा अब गुजरात के सभी स्कूलों में अनिवार्य हो गई है. यह बिल गुजरात के शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर ने पेश किया था. बीजेपी के एक विधायक ने कहा कि हमारे देश में कई राज्य हैं जहां राज्य भाषा को पहली प्राथमिकता और महत्व दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दक्षिणी राज्यों को देखें, यहां राज्य भाषा को प्राथमिकता दी जाती है. हमें लगा कि कहीं न कहीं गुजराती उपेक्षित हो रही है. राज्य में सभी छात्रों के लिए गुजराती भाषा की मूल बातें अनिवार्य हैं और इसलिए इस विधेयक को विधानसभा सत्र में पेश किया गया था.
दिलचस्प बात यह है कि विपक्षी दलों आप और कांग्रेस ने भी विधेयक का समर्थन किया है. बिल का पालन नहीं करने वाले स्कूलों पर जुर्माना लगाया जाएगा. तीन बार चेतावनी के बाद भी अगर स्कूल गुजराती भाषा शुरू करने में विफल रहते हैं तो कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है.
गुजराती भाषा को लेकर लाए गए कानून को एकेडमिक ईयर 2023-24 से लागू कर दिया जाएगा. इस बिल के तहत गुजरात के सभी बोर्ड स्कूल इसके दायरे में होंगे. अगर कोई छात्र गुजरात से बाहर का है, तो उसे छूट दी जा सकती है, इस संबंध में भी प्रावधान किया गया है. अगर किसी स्टूडेंट की तरफ से लिखित अनुरोध पर उचित कारण देते हुए छूट मांगी जाती है, तो उसे इसे देने का भी प्रावधान किया गया है.