दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन (DPA) ने मुख्यमंत्री दिल्ली, उपराज्यपाल दिल्ली, केंद्रीय शिक्षा मंत्री समेत CBSE चेयरपर्सन को पत्र लिखा है. पत्र में दिल्ली के सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों को बिना देरी के तुरंत बंद करने की मांग की है. पत्र में कहा है कि DPA एक बार फिर आपका ध्यान दिल्ली में बढ़ते कोरोना केसेस और उनके प्रभाव में आते बच्चों व शिक्षकों पर ले जाना चाहता है.
कोरोना का संक्रमण आज उन बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है जिन पर किसी न किसी प्रकार परीक्षा के बहाने या परीक्षाओं की तैयारी के लिए लगातार दबाव बनाकर अभिभावकों की अनुमति के बिना भी स्कूलों में बुलाया जा रहा है. शिक्षा विभाग के आदेशानुसार स्कूलों में बच्चों को परीक्षाओं व परीक्षाओं की तैयारी के लिए ज़बरदस्ती बुलाया जा रहा है. इसका नकारात्मक प्रभाव साफ तौर से देखा जा सकता है.
दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 5506 नए मामले, 20 मरीजों की मौत हुई है. 24 नवंबर के बाद 1 दिन में सबसे ज्यादा नए मामले रिपोर्ट हुए. 24 नवंबर को 1 दिन में 6224 नए मामले रिपोर्ट हुए थे. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार दिल्ली में बच्चों में कोरोना संक्रमण का डेटा सामने आया, जिसके अनुसार 1 मार्च से 4 अप्रैल 2021 के बीच कोरोना संक्रमित बच्चों की संख्या 2733 पहुंच गई.
आयु संक्रमित बच्चों की संख्या
0-5 441
6-10 662
11-17 1630
डीपीए ने कहा है कि स्कूल चाहे सरकारी हो या प्राइवेट कहीं पर भी COVID SOP का तरीके से पालन नहीं हो रहा. सरकारी स्कूलों में तो और भी खस्ता हालत है क्योंकि covid सेंटर्स जो कि दिल्ली के कई स्कूलों में खुले हैं, वहां एक ही गेट से कोरोना जांच के मरीजों और स्कूली बच्चों की आवाजाही हो रही है, दूसरी तरफ स्टाफ की कमी का खामियाजा साफ तौर पर देखा जा सकता है. स्कूलों के बाहर बच्चों की भीड़ आसानी से देखी जा सकती है, जहां उनके द्वारा कोरोना SOP का पालन नहीं होता.
वैसे तो लगभग सभी न्यूजपेपर और चैनलों में ऐसी ख़बरें आम हैं, पर आज एक राष्ट्रीय अखबार के मुताबिक कई प्रधानाचार्यों ने कहा है कि उनके लिए स्कूल के बार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित करा पाना एक बड़ी चुनौती है. यही नहीं बच्चों के साथ साथ आज टीचर्स और प्रिंसिपल के कोरोना संक्रमण की ख़बरें लगातार बढ़ रही हैं, और अब ये खबरें आम हो चुकी हैं.
सरकार से अनुरोध करते हुए कहा है कि बिना देरी के सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों को तुरंत बंद करने के आदेश दिए जाएं और बच्चों व टीचर्स को सुरक्षित किया जाए. उन्होंने कहा कि जहां हमारे लिए बच्चों की जान और उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है वहीं हम अपने टीचर्स को भी खतरे में नहीं डाल सकते.
साथ ही मांग की है कि बच्चों के जो भी प्रैक्टिकल रह गए हैं उनको मौखिक रूप से ऑनलाइन ले लिया जाए और जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं उनको फ़ोन करके मौखिक प्रैक्टिकल ले लिया जाए. अकारण उनपर दबाब बनाना सही नहीं. हमारे द्वारा बोर्ड के बच्चों के ऑनलाइन/फ़ोन प्रैक्टिकल का सुझाव CBSE के पास भी भेजा जा रहा है.
दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि दिल्ली में पढ़ने वाले 9वीं और 11वीं के बच्चों को महाराष्ट्र और कर्नाटक की तर्ज पर बिना एग्जाम के ही पास करने की घोषणा कर दी जाए. इस प्रकार का आदेश कई राज्यों द्वारा निकाला जा चुका है.