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School Reopen: इस राज्य में प्राइवेट स्कूल कर रहे छोटे बच्चों ऑफलाइन क्लास की मांग

School Reopen: मुख्यमंत्री ने पहले 9वीं से 12वीं और फिर छठवीं से आठवीं तक के बच्चों के लिए ऑफलाइन क्लास की अनुमति दी. प्राइवेट स्कूलों के संगठन की ओर से अब मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि राज्य सरकार नर्सरी से लेकर क्लास 5वीं तक के कक्षा संचालन की अनुमति प्रदान करें.

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty)
प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

School Reopen: कोरोना का कहर काबू में होने के साथ ही देशभर में छोटे बच्चों के स्कूल खोलने की मांग बढ़ रही है. रांची में भी प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा)  ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बच्चों के पठन-पाठन को लेकर स्कूल खोले जाने की मांग की है. 

संगठन का आरोप है कि कई संगठन और राजनीतिक दल सिर्फ मंदिर-मस्जिद खोलने की बात कर रहे हैं, बच्चों की पढ़ाई की चिंता उन्हें नहीं है. ऐसे में पासवा के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने पहले 9वीं से 12वीं और फिर छठवीं से आठवीं तक के बच्चों के लिए ऑफलाइन क्लास की अनुमति दी. पासवा की ओर से अब मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि राज्य सरकार नर्सरी से लेकर क्लास 5वीं तक के कक्षा संचालन की अनुमति प्रदान करें.
 
पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि कोरोना काल में तमाम मुश्किलों के बावजूद शिक्षकों ने बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा उपलब्ध कराने का काम जारी रखा. मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मिलने के बाद ही संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलकर नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक के स्कूल खोलने का आग्रह करेगा, साथ ही पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में आठवीं कक्षा तक के प्राईवेट स्कूलों को संबद्धता प्रदान करने में आ रही अड़चन को दूर करने का आग्रह किया जाएगा. 

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प्रदेश उपाध्यक्ष लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि शिक्षा विभाग की ओर से बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता के लिए स्कूलों से आवेदन मांगा है, इसमें कई ऐसे कठोर नियम बनाए गए हैं, जिसे सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों या शहरी क्षेत्रों में लीज की जमीन का किराये के मकान में चलने वाले प्राइवेट स्कूल पूरा नहीं कर पाते थे. 

उन्होंने बताया कि यह नियम वर्ष 2019 में रघुवर दास सरकार में शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन करते हुए बनाया गया था, जिसके तहत 30 वर्षों के लिए जमीन लीज का प्रमाण पत्र और अन्य अर्हताओं को शामिल किया गया है, आदिवासी बहुल झारखंड में इतने वर्षों के लिए लीज मिलना मुश्किल हैं. ऐसे में यदि इन प्राइवेट स्कूलों को मान्यता नहीं मिल पाती है, तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के समक्ष गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. 

पासवा के प्रदेश महासचिव डॉ. राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में यह नियम जानबूझकर छोटे-छोटे निजी विद्यालयों को पूर्ण रूप से बंद करने की साजिश के तहत बनाया गया था. 

वहीं अर्द्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राईवेट स्कूल ही बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करा रहे है. ऐसे में यदि प्राईवेट स्कूल बंद होंगे, तो राज्य की शिक्षा व्यवस्था तो चौपट  होगी ही, साथ ही साथ इन स्कूलों में पढ़ाने वाले लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों के समक्ष भी आजीविका की संकट उत्पन्न हो जाएगी. पासवा का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल  22 नवम्बर को मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, स्वास्थ्य सचिव से स्कूल खोलने एवं मान्यता को लेकर मुलाकात करेगा.

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