मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इंजीनियरिंग, MCA, आर्ट्स और साइंस की डिग्री के छात्रों के लिए एग्जाम रद्द करने के फैसले पर रोक लगा दी है. कोर्ट का कहना है कि किसी भी अनुचित तरीके से अयोग्य उम्मीदवारों को प्रोफेशनल कोर्सेज़ के सर्टिफिकेट देना अस्वीकार्य है.
पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री एडप्पादी पलानीस्वामी ने निर्णय लिया था कि COVID19 महामारी को ध्यान में रखते हुए जिन छात्रों ने इंजीनियरिंग, MCA, आर्ट्स और साइंस परीक्षा के लिए आवेदन किया है और फीस का भुगतान किया है, उन्हें इंटरनल मार्क्स और पिछली परीक्षाओं के रिजल्ट के आधार पर पास घोषित कर दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय UGC के दिशानिर्देशों के अनुसार लिया गया है.
यूनिवर्सिटी ग्रांड कमीशन ने इस तरह के किसी भी दिशानिर्देश का खंडन किया था और अब मद्रास हाईकोर्ट ने भी इस तरह के फैसले को गलत ठहराया है. मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार ने राज्य के इस कदम को 'समझ से परे' बताया. अदालत ने राज्य से 15 अप्रैल तक पास किए गए सभी कैंडिडेट्स की डिटेल और मार्किंग के आधार की विस्तृत रिपोर्ट भी जमा करने को कहा है.
कोर्ट ने कहा, "अयोग्य व्यक्तियों को प्रोफेशनल कोर्सेज़ या हॉयर एजुकेशन के लिए योग्य होने के लिए प्रमाणित नहीं किया जा सकता है." कोर्ट ने UGC और राज्य सरकार को एक साथ काम करने और छात्रों के हितों की सेवा के लिए प्रणाली की पारदर्शिता से समझौता किए बिना उपाय सुझाने का भी निर्देश दिया है.
बता दें कि मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के परीक्षा शुल्क जमा करने वाले एरियर छात्रों को बगैर परीक्षा पास करने के फैसले पर चुनाव के दौरान खासा विवाद उठा था जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा है.