scorecardresearch
 

बसंत पंचमी आज, यहां पढ़ें व‍िद्या की देवी सरस्‍वती की ये वंदना और मंत्र

आज 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी मनाई जा रही है. आइए जानते हैं बसंत पंचमी को देवी सरस्‍वती की आराधना के लिए खास मानी जाने वाली ये वंदनाएं और मंत्र...

Advertisement
X
Ma Saraswati
Ma Saraswati

वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्‍वती का प्राकट्य दिवस माना जाता है. प्रत्येक साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. आज 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी मनाई जा रही है. आइए जानते हैं बसंत पंचमी को देवी सरस्‍वती की आराधना के लिए खास मानी जाने वाली ये वंदनाएं और मंत्र...

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा

अर्थ: जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं. जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है. ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें. 

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌

अर्थ : जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं. मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूं. 

Advertisement

ये हैं सरस्‍वती आराधना के प्रमुख मंत्र
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

नमस्ते शारदे देवी, सरस्वती मतिप्रदे
वसत्वम् मम जिव्हाग्रे, सर्वविद्याप्रदाभव
नमस्ते शारदे देवी, वीणापुस्तकधारिणी
विद्यारंभम् करिष्यामि, प्रसन्ना भव सर्वदा

ॐ श्री सरस्वतीं शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्
वह्निशुद्धां शुक्लाधानां वीणापुस्तकधारिणीम्
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:
वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:

 

Advertisement
Advertisement