बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों से आरक्षण हटाने के लिए हुए विरोध ने पूरे देश की काया को पलटकर रख दिया है. छात्र संगठनों से शुरू हुए इस विरोध ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि पीएम शेख हसीना को अपनी जान बचाकर देश छोड़कर जाना पड़ा. तो आइए ऐसे में जानते हैं कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण की गुत्थी क्या है और यहां सरकारी नैकरी पाना कितना मुश्किल है.
भारत में प्रशासनिक पदों पर सरकारी नौकरी करने के लिए UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पास करना पड़ता है. इस एग्जाम में प्रीलिम्स, मेन्स और फिर इंटरव्यू के आधार पर सेलेक्शन होते है. इसके बाद कैंडिडेट्स को ट्रेनिंग के बाद चयनित पद पर नियुक्त किया जाता है. इसी तरह बांग्लादेश में बीसीएस का एग्जाम देना होता है.
UPSC की तरह ही होती है बांग्लादेश की परीक्षा
बीसीएस परीक्षा बांग्लादेश में एक मुख्य प्रतियोगी परीक्षा है जो बांग्लादेश लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा विभिन्न बांग्लादेश सिविल सेवा विभागों में भर्ती के लिए आयोजित की जाती है. यह परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है. प्रारंभिक परीक्षा, लिखित परीक्षा और फिर आखिरी में इंटरव्यू. इस पूरी प्रक्रिया में ढेड़ से दो साल का समय लग जाता है. बांग्लादेश सिविल सेवा परीक्षा ब्रिटिश राज-युग की इंपीरियल सिविल सेवा पर आधारित है. इस परीक्षा को बांग्लादेश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. इस परीक्षा में लगभग 0.5 प्रतिशत उम्मीदवार ही सफल हो पाते हैं.
3 हजार सीटों के लिए चार लाख कैंडिडेट्स करते हैं अप्लाई
प्रीलिम्स एग्जाम का आयोजन दो घंटे के लिए होता है. वहीं, इसके दूसरे चरण में मुख्य परीक्षा होती है. इसमें निबंध लेखन, सामान्य अध्ययन, वैकल्पिक विषय से जुड़े सवाल शामिल होते हैं. अंतिम चरण में व्यक्तिगत साक्षात्कार आयोजित होता है. इसमें अभ्यर्थी की पर्सनैलिटी, नॉलेज और लीडरशिप एबिलिटी को देखा जाता है. इस परीक्षा के लिए कैंडिडेट्स को बांग्लादेशी नागरिक होना चाहिए. बीपीएससी में परीक्षा देने की न्यूनतम आयु 21 साल होती है जो कि जनरल कैटगरी में 30 साल तक जाती है. सरकारी नौकरी में सेलेक्शन होने अधिकारी को 78 हजार तक सैलरी मिलती है. इसके अलावा रहने के लिए सरकारी बंग्ला और फ्री चिकित्सा सेवा भी मिलती है. बांग्लादेश में हर साल करीब 3 हजार सरकारी नौकरियां ही निकलती हैं, जिनके लिए करीब 4 लाख कैंडिडेट अप्लाई करते हैं.
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों पर इतना आरक्षण
बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों के लिए अभी तक 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियों पर आरक्षण निर्धारित था. इनमें 30 प्रतिशत कोटा उन कैंडिडेट्स का था जो मुक्ति संग्राम के सेनानियों के वंशज हैं. 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और 1 प्रतिशत विकलांग लोगों के लिए आरक्षित थीं. सरकार सेनानियों के वंशजों को जो 30 प्रतिशत कोटा दे रही थी उनके खिलाफ छात्र विरोध कर रहे थे. छात्रों ने 2013 में इस कोटा प्रणाली के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया. 8 अप्रैल, 2018 को ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने कोटा में सुधार के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किया. इसी विरोध के कारण आज पूरे बांग्लादेश में ऐसे हालात हुए हैं.