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एजुकेशन न्यूज़

एंजाइटी को ऐसे हराएं, वैज्ञानिकों ने ईजाद किए 2 नए तरीके

प्रतीकात्‍मक फोटो (getty)
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जाने-माने शोधकर्ताओं का तर्क है कि‍ हमारी आदतें हमारी एंजाइटी को कम कर सकती हैं. इसके अलावा दो आश्‍चर्यजनक रणनीतियां हैं जिनके जरिये हम एंजाइटी को हरा सकते हैं. पैनडेमिक के दौरान एंजाइटी ने जिस तरह पैर पसारे हैं, ऐसे में हमें इन रणनीतियों और एंजाइटी को हराने के दूसरे ब्रह्मास्‍त्रों के बारे में जानना बहुत जरूरी है.

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वॉल स्‍ट्रीट जर्नल में मनो चिकित्सक और न्यूरोसाइंटिस्ट जुडसन ब्रेवर की नई किताब 'अनवाइंडिंग एंजाइटी: न्‍यू साइंस शोज हाउ टू ब्रेक द साइक‍िल्‍स ऑफ वरी एंड फियर' के जरिये बताया गया है क‍ि किस तरह न्‍यू साइंस से पता चलता है क‍ि कैसे अपने दिमाग को दुरुस्‍त रखने के लिए एंजाइटी और भय के चक्र को तोड़ना है.

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जुडसन ब्रेवर ब्राउन विश्वविद्यालय के माइंडफुलनेस सेंटर में रीसर्च व इनोवेशन के निदेशक हैं और विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल और सार्वजनिक स्वास्थ्य के स्कूल में एक एसोसिएट प्रोफेसर हैं. जुडसन ब्रेवर लंबे समय से लोगों को नशे की लत से निपटने और बेहतर आदतें अपनाने में मदद कर रहे हैं.

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डॉ ब्रेवर का कहना है कि आमतौर पर किसी घटना के बारे में या भविष्‍य के अनिश्चित परिणाम के साथ कुछ एंजाइटी चिंता, घबराहट या बेचैनी की भावना है. आप इसे भविष्य का डर भी मान सकते हैं. वैसे यह डर हमें जीवित रहने में मदद कर सकता है, लेकिन इसे कैसे हैंडल करना है, इसे जानना बहुत जरूरी है.

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हमारे मस्तिष्क के कुछ कोर्टेक्स हमें सोचने और खतरों को संबोधित करने की योजना बनाने में मदद करने के लिए विकसित हुए. लेकिन हमें ऐसा करने के लिए एक सटीक जानकारी चाहिए. लेकिन जब हमारे पास यही नहीं होती है तो हमारे प्‍लान चिंता में बदल जाते हैं. डॉ ब्रेवर कहते हैं कि हमारा मस्तिष्क सिर्फ जानकारी स्कैन करता रहता है, कभी कभी यह एक संभावित समाधान के लिए सबसे खराब स्थिति से गुजरता है.

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जब भी हमारी जिंदगी में कुछ बुरा घटता है तो हमारा ब्रेन जल्‍दी से जल्‍दी इससे बाहर निकलना चाहता है. जब हम चिंता में होते हैं और हमारा थिंक‍िंग ब्रेन ऑफलाइन कंडीशन में होता तो सर्वाइवल ब्रेन झट से कहता है कि मैं जल्‍दी से ही इस चिंता उलझन से बाहर न‍िकल आऊंगा.  

 

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डॉ ब्रेवर कहते हैं कि‍ टालमटोल वाला रवैया भी एक तरह का डिस्‍ट्रैक्‍शन है. जो लोग परफेक्‍शनिस्‍ट सोच के होते हैं उनमें विशेष रूप से एंजाइटी ट्रिगर होते हैं, क्योंकि वो चिंता करते हैं कि समस्या का हमारा समाधान पर्याप्त रूप से अच्छा नहीं होगा. ऐसे में टालमटोल का रवैया काफी मदद करता है.

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इन 3 स्‍टेप स्‍ट्रेटजी से एंजाइटी से बाहर निकलें 
पहला कदम हमें अपनी चिंता की आदत को पहचानना है. पहले ये जानिए कि हमें चिंता हो रही है. फिर अपने आप से पूछें: "क्या इससे मुझे समस्या हल करने में मदद मिल रही है?"

स्‍टेप 2- अपने मस्तिष्क पर जोर देकर सोचें क‍ि फलां स्‍थ‍िति क्‍या वाकई इतनी चिंताजनक है. फ‍िर अपने आप से पूछें: “मुझे इससे क्या मिल रहा है? जब मैं चिंता करता हूं, तो क्या यह मेरे परिवार को सुरक्षित रखता है? या क्या यह मुझे बुरा लग रहा है और बेहतर नहीं है? ”

स्‍टेप 3 वो है जिसे डॉ ब्रेवर बीबीओ बड़ा बेहतर प्रस्ताव कहते हैं. इसमें आपको चिंता करने की तुलना में अपने मस्तिष्क को थोड़ा अधिक पुरस्कृत करने की आवश्यकता है. ऐसा करने के लिए कई स्वस्थ तरीके हैं जो ध्यान भंग नहीं करते हैं. इसमें आप अपने अनुभव को लेकर उत्सुक हो सकते हैं. आप दयालु हो सकते हैं.इसके अलावा जिज्ञासा और दया आपको खोलती है.

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स्‍टेप 3 वो है जिसे डॉ ब्रेवर बीबीओ बड़ा बेहतर प्रस्ताव कहते हैं. इसमें आपको चिंता करने की तुलना में अपने मस्तिष्क को थोड़ा अधिक पुरस्कृत करने की आवश्यकता है. ऐसा करने के लिए कई स्वस्थ तरीके हैं जो ध्यान भंग नहीं करते हैं. इसमें आप अपने अनुभव को लेकर उत्सुक हो सकते हैं. आप दयालु हो सकते हैं.इसके अलावा जिज्ञासा और दया आपको खोलती है.

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