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एजुकेशन न्यूज़

सिंगापुर में कोरोना के जिस वैरिएंट पर बवाल, जानें उसने कितना बिगाड़ा वहां का हाल

प्रतीकात्मक फोटो (Reuters)
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कल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों के लिए खतरे को लेकर चेताया था. साथ ही उन्होंने सिंगापुर का जिक्र भी किया था. बता दें कि सिंगापुर में पैरेंट्स में कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों में ये महामारी फैलने की दहशत अब साफ नजर आ रही है. बच्चों में ये विभीषिका घातक न हो, इसके लिए अभी से पूरे इंतजाम किए जा रहे हैं. स्कूलों को बंद कर दिया गया है, घरों में बच्चों को अत‍िर‍िक्त देखभाल में रखा जा रहा है.जानिए कैसे हैं वहां के हालात...   

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सिंगापुर सरकार की ओर से रविवार को जारी बयान में कहा गया था कि कोविड-19 के नए म्यूटेंट खासतौर पर B.1.167 वेरिएंट बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है. इसके कारण देश के सभी स्कूलों को बंद किया जाएगा  क्योंकि अब युवाओं का टीकाकरण करने की तैयारी जरूरी हो गई है. 

 

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शिक्षा मंत्री चान चुन सिंग ने रॉयटर्स के हवाले से कहा कि इनमें से कुछ (वायरस) म्यूटेशन बहुत अधिक सक्र‍िय होते हैं और वे छोटे बच्चों पर हमला करते हैं.  उन्होंने ये भी कहा कि हालांकि वायरस से संक्रमित बच्चों में से कोई भी गंभीर रूप से बीमार नहीं है और कुछ में हल्के लक्षण हैं. स्वास्थ्य मंत्री ओंग ये कुंग ने मंत्रालय में चिकित्सा सेवाओं के निदेशक केनेथ माक का हवाला देते हुए कहा कि B.1.617 बच्चों को अधिक प्रभावित करता है. 

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सिंगापुर में कोविड के नए वेरिएंट से कितने बच्चे प्रभावित हुए हैं, अभी तक सिंगापुर के पास इसका कोई आधिकारिक डेटा नहीं है. यहां स्कूलों को बंद करने का निर्णय शहर-राज्य में 38 स्थानीय रूप से प्रसारित कोविड मामलों का पता लगाने के बाद आया. बता दें कि सिंगापुर में एक दिन में सबसे ज्यादा 38 मामलों के सामने आने के बाद सरकार का कहना है कि ये पिछले साल सितंबर के बाद से सबसे अधिक एक दिन की स्पाइक है. इन नए संक्रमणों में चार बच्चे थे, जो एक क्लस्टर के  ट्यूशन सेंटर में पढ़ते थे, ये कोरोना पॉजिट‍िव पाए गए. 

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सिंगापुर की आबादी के पांचवें हिस्से को फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्न वैक्सीन की दो खुराक दी जा चुकी है. अब यहां मई की दूसरी छमाही से 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों को टीका लगाने की योजना बनाई जा रही है.  अब सिंगापुर ने 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी है. 

 

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अभी तक कोरोना के मामलों में सिंगापुर का नाम उदाहरण के तौर पर लिया जा र‍हा था. यहां महीनों से जीरो या एकाध अंकों के संक्रमण रिपोर्ट हो रहे थे.  ये संख्या दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों की तुलना में काफी कम है. लेकिन रविवार को मामलों में तेजी आने के बाद सरकार ने पिछले साल देश में लगाए गए लॉकडाउन के बाद से तमाम सार्वजनिक गतिविधियों पर सख्त से सख्त प्रतिबंध लगाया गया था. 

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इस नये वैरिएंट से अधिक बच्चों के प्रभावित होने का एक कारण यह बताया जा रहा  है कि B.1.617 वैरिएंट में एक उत्परिवर्तन होता है जो वायरस के लिए मानव कोशिकाओं तक पहुंचना और संक्रमण का कारण बनना आसान बनाता है. अभी तक हुए लैब अध्ययनों से पता चला है कि B.1.617 वैरिएंट ACE-2 रिसेप्टर्स से बहुत मजबूती के साथ जुड़ सकता है,  ये कोरोना वायरस के पुराने संस्करणों की तुलना में हमारी कोशिकाओं में ज्यादा तेज पहुंचता है.

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बच्चों में आमतौर पर अविकसित साइनस और कम ACE-2 रिसेप्टर्स होते हैं जो उन्हें संक्रमित होने से बचाते हैं. ह्यूस्टन (UTHealth)में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर और बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन द्वारा पिछले साल किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2s या ACE-2 वो दरवाजे हैं जो SARS-CoV-2 को शरीर में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं. चूंकि बच्चों के फेफड़ों में ACE-2 कम होता है, इसलिए उनके प्रभावित होने की संभावना कम होती है.  वहीं अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी-लंग सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर फिजियोलॉजी में प्रकाशित पेपर में बताया गया कि अमेरिका में पहले 149,082 मामलों में से केवल 1.7% शिशुओं, बच्चों और 18 वर्ष से कम उम्र के किशोर थे. 

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दुनिया के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट की मानें तो भारत में महामारी की तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है. अब चूंकि टीकाकरण आबादी के एक बड़े हिस्से को कवर करता है, इसलिए बिना टीकाकरण वाले बच्चे सबसे कमजोर समूह में हो सकते हैं. हालांकि, अन्य लोगों ने तर्क दिया है कि निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई ठोस सबूत अभी भी नहीं हैं. 

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