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एजुकेशन न्यूज़

पेरेंट्स हो गए हैं कोरोना पॉजिटिव, ऐसे में क्‍या बच्‍चों को कहीं भेजना सही है? जान‍िए- एक्‍सपर्ट की राय

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. कई घरों में पेरेंट्स पॉजिट‍िव हो गए हैं. ऐसे में एकल पर‍िवारों में बच्‍चों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है. कुछ पेरेंट्स बच्‍चों को र‍िश्‍तेदारों या दोस्‍तों के यहां भेजने का प्‍लान करते हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसे सही फैसला नहीं मानते. अगर पेरेंट्स पॉजिट‍िव हैं तो उन्‍हें अपने बच्‍चों की देखरेख और घर का माहौल कैसा रखना चाहिए. आइए विशेषज्ञ से जानें.

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हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट पद्मश्री डॉ केके अग्रवाल कहते हैं कि जिन घरों में पेरेंट्स पॉजिट‍िव हैं और बच्‍चे भी घर में हैं तो उन्‍हें अपनी जीवनशैली को लेकर बहुत संवेदनशीलता बरतनी चाहिए. अगर बच्‍चे बहुत छोटे हैं तो उनसे कोश‍िश करें कि दूरी बनाकर रखें. 

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वहीं अगर बच्‍चे समझदार हैं तो उनकी काउंसिलिंग करें और उनसे घर में मास्‍क लगाकर रहने को कहें. अपने बर्तन बच्‍चों से पूरी तरह अलग कर लें. अगर आप खाना कहीं बाहर से मंगवा रहे हैं तो बच्‍चों से कहें कि वो आपके कमरे के बाहर खाना रख दें. आप अपनी दवाएं, कपड़े और बर्तन आद‍ि हो सके तो अपने ही कमरे में रखें. कमरे से बाहर न निकलना पड़े तो ज्‍यादा अच्‍छा है. फिर भी अगर न‍िकलना पड़ा तो बिना मास्‍क या ब‍िना हाथ धाेए न न‍िकलें.

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प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)
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इसके अलावा अपने घर को पूरी तरह सेनेटाइज करके रखें. इस दौरान बच्‍चों को भी विटामिन-सी और जिंक की खुराक जरूर दें. बच्‍चों को पोषक आहार देने की कोश‍िश करें. उन्‍हें ज्‍यादा से ज्‍यादा अपने से दूर ही रखें. हाथों को बार-बार धोएं और हाइजीन का पूरा ध्‍यान रखें. आपके बच्‍चों में कोरोना के कोई सिंप्‍टम्‍स नहीं भी दिखते हैं तो आपके पॉजिट‍िव होने के तीसरे या पांचवें दिन बच्‍चों की भी जांच जरूर करा लें. अगर इस दौरान आपके बच्‍चे पॉजिट‍िव पाए जाते हैं तो उनके लक्षण आने पर ही बुखार या दर्द आदि की दवा दें. 

 

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ऐसा भी देखा जाता है कि कई बार बच्‍चे माता-पिता से एक्‍सपोजर के चलते कोविड-19 पॉजिटिव हो जाते हैं. ऐसे में अगर उनमें पेट दर्द, उल्‍टी या बुखार जुकाम के हल्‍के सिंप्‍टम्‍स भी द‍िखते हैं तो उससे बहुत ज्‍यादा परेशान न हों. किसी डॉक्‍टर से ऑनलाइन कंसल्‍ट करने के बाद ही बच्‍चे को दवा दें. बच्‍चे को इस दौरान फिर भी खुद से दूर ही सुलाने की कोश‍िश करें.

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कोरोना की पहली वेव में कहा जा रहा था कि नवजात से लेकर 15 साल से कम उम्र के बच्चे वायरस का श‍िकार नहीं हो रहे. लेकिन इस बार दूसरी लहर में देश में ही नहीं पूरी दुनिया में कोराना का नया वेरिएंट बच्चों को संक्रमित कर रहा है. आज अस्पतालों में सैकड़ों बच्चे भर्ती हैं, कई बच्चे वेंटिलेटर पर हैं. लेकिन अच्‍छी बात यह है कि बच्‍चे इससे आसानी से उबर भी रहे हैं.

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दूसरी लहर के बारे में ये आंकड़े भी सामने आ रहे हैं कि बच्चों में पोस्ट कोविड दिक्कतें भी हो रही हैं. ये दिक्‍कतें ठीक होने के 5 से 10 दिन के अंदर सामने आती हैं. इसलिए माता-पिता इस बात का ख्याल रखें और बच्चे को हो रही दिक्कत को समझें और समय पर इलाज कराएं. लेकिन इस दौरान बच्‍चे का मनोबल जरूर बढ़ाते रहें. घर का माहौल सकारात्‍मक रखें.

 

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सबसे जरूरी बात यह है कि अगर आपके बच्‍चे कोरोना पॉजिट‍िव हैं और माता-पिता में इस तरह के सिंप्‍टम्‍स नहीं हैं. ऐसे में बच्‍चों को आइसोलेशन में रखें और कोविड-19 प्रोटोकॉल फॉलो करते हुए उनकी देखभाल करें. इस दौरान आपका स्‍वस्‍थ रहना बहुत जरूरी है, इसलिए बच्‍चों से मास्‍क पहनकर ही मिलें और सेनेटाइजेशन व हाइजीन का पूरा ध्‍यान रखें.

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