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World Embryologist Day 2022: जब एम्ब्रायोलॉजिस्ट ने बांझपन को हराया, जानें आज का इतिहास

IVF Day 2022, World Embryologist Day Today: 25 जुलाई को हर साल विश्व भ्रूण विज्ञानी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सालों की स्टडी और रिसर्च के बाद मेडिकल साइंस ने बांझपन का इलाज ढूंढ निकाला था. विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिए मां ने अपने बच्चे को जन्म दिया था. 25 जुलाई को इंग्लैंड के ओल्डहैम शहर में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ था.

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World Embryologist Day 2022 (फोटो सोर्स - freepik.com)
World Embryologist Day 2022 (फोटो सोर्स - freepik.com)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जब पहली बार IVF हुआ कामयाब
  • वर्तमान में 5 मिलियन से ज्यादा बच्चे ले चुके हैं जन्म

World Embryologist Day, 25 July ka Itihas: दुनियाभर में साइंस के जरिए ऐसे कई कारनामें हुए हैं जिन्होंने इंसानों के विकास को कई गुना तेजी से बढ़ाया है. 25 जुलाई भी ऐसे ही एक दिन में शामिल है जब मेडिकल साइंस ने बांझपन का इलाज ढूंढ निकाला था. लंबी स्टडी और रिसर्च के बाद 25 जुलाई 1978 को कुछ ऐसा हुआ जिसने उन महिलाओं को एक और नई राह दिखाई जो मां नहीं बन सकती थीं. इस दिन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिए पहले बच्चे ने जन्म लिया था, इसी वजह से हर साल 25 जुलाई को विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस (World Embryologist Day) के रूप में मनाया जाता है.

यह दिन उन सभी भ्रूण विज्ञानियों को धन्यवाद देने का दिन है जो न केवल जिंदगियां बचाते हैं बल्कि जीवन देने वाले भी हैं. गर्भधारण की उम्मीद खो चुके कपल्स के लिए स्वस्थ बच्चों के रूप में अद्भुत काम करते हैं. शुक्राणु, अंडाणु और भ्रूण का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को भ्रूणविज्ञानी (embryologists) कहा जाता है. आज बांझपन के कई समाधानों में, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक प्रमुख विकल्प है.

विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस का इतिहास
10 नवंबर, 1977 को लेस्ली ब्राउन ने डॉक्टर पैट्रिक स्टेप्टो और रॉबर्ट एडवर्ड्स की मदद से विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया शुरू की थी और 25 जुलाई 1978 को लुईस का जन्म हुआ था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में IVF से पांच मिलियन से ज्यादा बच्चों को जन्म हो चुका है. 

IVF की प्रक्रिया क्या है?
आईवीएफ (In vitro fertilization) प्रक्रिया कई स्टेप्स में पूरी होती है. महिला के 10 से 15 अंडे बनाए जाते हैं और फिर उसे बाहर पुरुष का स्पर्म के साथ मिलाकर फर्टिलाइजेशन किया जाता है. एक सही समय पर उसे महिला के यूटरस में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में दो से तीन सप्ताह लग सकते हैं.

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