scorecardresearch
 

देश ने आज खो दिया अनमोल रत्न, जानिए- कौन थे हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन

Who was MS Swaminathan: पूरी दुनिया उन्हें भारत में हरित क्रांति के वास्तुकार के रूप में देखती है. उन्होंने देश के हर आम व्यक्त‍ि के लिए हित के काम किए. उन्होंने देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया. स्वामीनाथन जितना बीजों के जीनोम के बारे में समझते थे, उतना ही वो किसानों की जरूरतों के प्रति भी जागरूक थे. 

Advertisement
X
MS Swaminathan dies
MS Swaminathan dies

भारत में हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले एमएस स्वामीनाथन जिन्हें लोग ग्रेन गुरु से लेकर प्यार से SMS भी कहते थे. आज 28 सितंबर को 98 साल की उम्र में उनके निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है. पूरी दुनिया उन्हें भारत में हरित क्रांति के वास्तुकार के रूप में देखती है. उन्होंने देश के हर आम व्यक्त‍ि के लिए हित के काम किए. उन्होंने देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया. स्वामीनाथन जितना बीजों के जीनोम के बारे में समझते थे, उतना ही वो किसानों की जरूरतों के प्रति भी जागरूक थे. 

खेती को वो पूरी तरह समझते थे 
खेती की जटिलताओं को समझने की उनकी यही क्षमता उन्हें एक असाधारण व्यक्त‍ित्व बनाती है. ये साठ के दशक के मध्य की बात है जब भारत को लगातार सूखे का सामना करना पड़ा था. ऐसे कठ‍िन वक्त में किसानों को दूसरी फसल लेने के लिए प्रेरित करना एक चुनौती थी. ऐसे में विश्व स्तर पर कृषि अर्थशास्त्री अपने लोगों को सर्वाइवल के लिए पर्याप्त अनाज उगाने के भारत के प्रयासों को नकार रहे थे. 
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री योगिंदर के.अलघ ने अपनी किताब में इसका जिक्र किया है कि उस दौर में फसल के पैटर्न और पैदावार पर अनुभव से तैयार डेटा और फीडबैक इकट्ठा करने के काम के लिए सरकार द्वारा चुने गए सभी जिला कलेक्टरों को ऐसी जानकारी साझा करने के लिए मैंने भी लिखा था. यहां तक कि जिन्होंने पहले कभी खेती नहीं की थी, उन्हें भी स्वामीनाथन के मार्गदर्शन से आत्मविश्वास मिला. उनमें मैं भी शामिल था. 

Advertisement

पंजाब-हरियाणा की पहचान की
योगिंदर के.अलघ के अनुसार जिले-वार डेटा इकट्ठा करने की कवायद से हमें अच्छी कृषि वृद्धि दिखाने वाले जिलों की हरित क्रांति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आवश्यक प्रयासों को समझने में मदद मिली. व्यापक मानचित्र तैयार करने के दौरान स्वामीनाथन हमारे पीछे खड़े रहे. उपलब्ध सिंचाई सुविधाओं और व्यवहारिक जरूरतों पर उनकी अंतर्दृष्टि बहुत काम आई और हमें पंजाब और हरियाणा पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली. 

स्वामीनाथन टिकाऊ और विविध कृषि के लिए काम करने वालों के लिए ताकत का एक मजबूत स्तंभ रहे हैं. हालांकि, स्वामीनाथन आश्वस्त थे कि पंजाब और हरियाणा के मॉडल को हर जगह दोहराया नहीं जा सकता है. उन्होंने यह भी महसूस किया कि देश के अन्य हिस्सों में अलग-अलग फसल पैटर्न और मॉडल की आवश्यकता है. बाद में, यह उनका ही दृष्टिकोण था जिसने देश में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का एक नेटवर्क बनाने में मदद की, कॉर्पोरेट्स की भागीदारी के लिए दरवाजे खोले और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया.

मिले हैं ये सम्माान
एमएस स्वामीनाथन को 1967 में 'पद्म श्री', 1972 में 'पद्म भूषण' और 1989 में 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया जा चुका है. स्वामीनाथन सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में सराहे जाते थे. उन्हें 84 बार डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका था. उन्हें मिली 84 डॉक्टरेट की उपाधि में से 24 उपाधियां अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने दी थीं.

Advertisement

कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को 'फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन इन इंडिया' यानी 'हरित क्रांति के पिता' भी कहा जाता है. 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुम्भकोणम में जन्मे एमएस स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक थे. उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए थे.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement