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एलन मस्क को दिए गए डिपार्टमेंट को ट्रंप बता रहे आज का 'मैनहट्टन प्रोजेक्ट', जानें क्या था ये प्रोजेक्ट

ट्रंप ने एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को अपने अहम विभाग DOGE की जिम्मेदारी दी है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यह अपने समय का 'मैनहट्टन प्रोजेक्ट' बन सकता है, जो सेव अमेरिका मूवमेंट के लिए जरूरी है.

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एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप
एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं. इसलिए वह अभी से अपनी बेस्ट टीम बनाने में जुट गए हैं. इसके साथ ही भरोसेमंद लोगों को अहम जिम्मेदारियां दे रहे हैं. उन्होंने टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और भारतवंशी विवेक रामास्वामी को सबसे बड़ी जिम्मेवारी सौंपी है, जिसकी तुलना अमेरिका के 'मैनहट्टन प्रोजेक्ट' से की जा रही है.

ट्रंप ने मस्क और विवेक रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिशियंसी (DOGE) की जिम्मेदारी दी है. इसके साथ ही उन्होंने इस बात का ऐलान किया है कि मुझे देशभक्त एलन मस्क को इस विभाग का नेतृत्व सौंपने में खुशी हो रही है. ये डिपार्टमेंट सेव अमेरिका मूवमेंट के लिए काफी जरूरी है और मुझे लगता है कि यह हमारे समय का  'मैनहट्टन प्रोजेक्ट' बन सकता है. 

क्या था द मैनहट्टन प्रोजेक्ट
मैनहट्टन प्रोजेक्ट दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पहला परमाणु बनाने के लिए शुरू की गई एक शोध और विकास परियोजना थी.  इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका को यूनाइटेड किंगडम और कनाडा ने भी सहयोग किया था. यह प्रोजेक्ट 1942 से 1946 तक चला था. 

मैनहट्टन प्रोजेक्ट
यहीं मैनहट्टन प्रोजेक्ट पर हुआ था काम                                                                                                        फोटो - Getty

ऐसे शुरू हुआ पहला परमाणु बम बनाने का काम 
इस प्रोजेक्ट का आइडिया नेचर पत्रिका में छपे जर्मन वैज्ञानिकों के एक शोध पत्र से आया था, जो परमाणु विखंडन पर आधारित था और इसका मूल आइंस्टीन का एक फार्मूला था. इसके बाद अमेरिकी वैज्ञानिकों और रक्षा सलाहकारों को परमाणु बम बनाने की तरकीब सूझी. फिर राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने अलबर्ट आइंस्टाइन को चिट्ठी लिखकर एक गुप्त मिशन का बीड़ा उठाने को कहा, जिसे  मैनहट्टन प्रोजेक्ट कहा गया. 

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तब कोई नहीं जानता था मैनहट्टन के जंगल में चल क्या रहा है.
1942 में मैनहट्टन के ब्रॉडवे पर एक ऊंची इमारत के अठारहवें मंजिल पर बम बनाने की तैयारी शुरू हो गई. वैज्ञानिकों को भी चुन लिया गया, पेंटागन बनाने वाले रिचर्ड ग्रोव्स ने दो महीने के भीतर बारह सौ टन यूरेनियम जुगाड़ कर लिया. लेकिन एक चीज उनके बस की नहीं थी- एटम बम. क्योंकि वह तो अभी कल्पना मात्र थी. तब रिचर्ड ने एक वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइपर को इसके लिए तैयार किया. 

अमेरिका का शुरुआती परमाणु बम
अमेरिका का शुरुआती परमाणु बम.                                                                                                       फोटो - Getty

आखिर बन ही गया पहला एटम बम
मैनहट्टन की भीड़-भाड़ से कहीं दूर एक सुनसान बीहड़ जंगल 'लॉस अलामोस' में एटम बम की प्रयोगशाला बनी. हजारों वैज्ञानिक अनिश्चित काल के लिए इस गुप्त वन में बंद हो गए. बाहरी दुनिया से लगभग कोई संपर्क नहीं. यह स्थान मानचित्र से ही गायब हो गया. मैनहट्टन प्रोजेक्ट में ओपेनहाइमर के साथ कई और प्रमुख वैज्ञानिक शामिल थे- एनरिको फर्मी, रिचर्ड फायनमेन, लियो जिलार्ड, जेम्स चाडविक, डोनाल्ड मेसर्स और ओपेनहाइमर के छोटे भाई फ्रैंक ओपेनहाइमर. जुलाई 1945 में अमेरिका ने दुनिया का पहला परमाणु बम तैयार कर लिया था.

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आखिर क्यों DOGE को कहा 'मैनहट्टन प्रोजेक्ट'
अब ट्रंप ने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिशियंसी (DOGE) की जिम्मेदारी मस्क और विवेक रामास्वामी को देते हुए कहा है कि ये सेव अमेरिका मूवमेंट के लिए जरूरी है. दोनों बेहतरीन शख्स मिलकर मेरी सरकार में ब्यूरोक्रेसी को क्लीन करने से लेकर बेफिजूल खर्च में कटौती करने, गैरजरूरी नियमों को खत्म करने और संघीय एजेंसियों के रिस्ट्रक्चर पर काम करेंगे. यह संभवत: हमारे समय का द मैनहट्टन प्रोजेक्ट बन सकता है. रिपब्लिकन नेताओं ने लंबे समय से DOGE के उद्देश्यों को पूरा करने का सपना देखा है. दूसरे विश्व युद्ध में मैनहट्टन प्रोजेक्ट ने सेव अमेरिका के उद्देश्य को पूरा किया था.

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