आज से करीब 74 साल पहले आज ही के दिन (25 जनवरी) भारतीय मतदाताओं के लिए ऐतिहासिक दिन है. 25 जनवरी 1950 को भारत के चुनाव आयोग की स्थापना की गई थी जिसके बाद देश की जनता को सबसे महत्वपूर्ण अधिकार मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ था. इस दिन को चिन्हित करने के लिए हर साल भारत में राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters' Day) मनाया जाता है. आइये इस खास मौके पर जानें कौन थे आजाद भारत के पहले वोटर?
भारत में पहली बार यहां हुई थी वोटिंग
वैसे तो भारत में फरवरी-मार्च 1952 में पहली बार वोटिंग हुई थी लेकिन तब की राज्य व्यवस्था में किन्नौर सहित ऊंचे हिमालयी पर्वतीय क्षेत्रों में 25 अक्टूबर,1951 को वोट डाले गए थे. किन्नौर जैसी ऊंची बर्फबारी वाली जगहों में ठंड और बर्फबारी को ध्यान में रहते हुई पहले ही मतदान करा लिया गया था. तब अपना वोट डालकर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के रहने वाले श्याम सरन नेगी आजाद भारत के पहले मतदाता बने थे. उन्हें भारतीय लोकतंत्र का लीविंग लीजेंड भी कहा जाता था. अपने सुदीर्घ जीवन में उन्होंने 33 बार वोट दिया. बैलेट पेपर से ईवीएम का बदलाव भी देखा.
...और ऐसे बने देश के पहले वोटर
पहली बार वोट डालने के बारे में बताते हुए नेगी ने बताया था , "मुझे ड्यूटी के तहत अपने गांव के पड़ोस वाले गांव के स्कूल में चुनाव कराना था. लेकिन मेरा वोट अपने गांव कल्पा में था. मैं एक रात पहले अपने घर आ गया था. कड़कड़ाती ठंड में सुबह 4 बजे उठकर तैयार हो गया. सुबह 6 बजे अपने पोलिंग बूथ पर पहुंच गया. तब वहां कोई वोटर नहीं पहुंचा था. मैंने वहां पोलिंग कराने वाले दल का इंतज़ार किया. वे आए तो मैंने उनसे अनुरोध किया कि मुझे जल्दी वोट डालने दें, क्योंकि इसके बाद मुझे 9 किलोमीटर दूर पड़ोस के गांव मूरांग जाकर वहां चुनाव कराना था. उन लोगों ने मेरी मुश्किल और उत्साह को समझ लिया. इसलिए मुझे निर्धारित समय से आधा घंटा पहले साढ़े छह बजे ही वोट डालने दिया. इस तरह मैं देश का पहला वोटर बन गया.''
अक्टूबर, 1951 में नेगी ने पहली बार संसदीय चुनाव में वोट डाला था. इसके बाद उन्होंने एक भी चुनाव में अपनी भागीदारी न छोड़ी न टाली. 2 नवंबर 2022 को उन्होंने अपना डाक मतपत्र के जरिये अपना वोट डाला था और 05 नवंबर 2022 को 106 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था. श्याम सरन नेगी का जन्म 01 जुलाई 1917 को किन्नौर जिले के गांव कल्पा में हुआ था.
आजाद भारत के पहले मतदाता नेगी कहते थे कि मैं अपने वोट की अहमियत जानता हूं. शरीर साथ नहीं दे रहा तो मैं आत्मशक्ति की बदौलत वोट देने जाता रहा हूं. इस बार भी मताधिकार का इस्तेमाल करना है. उन्होंने कुछ दिनों पहले ये आशंका भी जता दी थी कि हो सकता है कि इस चुनाव में ये मेरा आखिरी मतदान हो. लेकिन यह उम्मीद है. मैं अपने जीवन के अंतिम चरण में इसे छोड़ना नहीं चाहता. उन्होंने अपने सुदीर्घ जीवन में उन्होंने 33 बार वोट दिया.
आखिरी बार मतदान करते श्याम सरन नेगी का वो वीडियो यहां देखें
पहले फॉरेस्ट गार्ड, फिर बने थे शिक्षक
श्याम सरण नेगी ने 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन गार्ड की नौकरी की. उसके बाद शिक्षा विभाग में चले गए और 1951 में कल्पा लोअर मिडल स्कूल में अध्यापक बने थे.