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National Mathematics Day: गण‍ित के जादूगर रामानुजन की याद में मनाते हैं ये खास दिन, पढ़‍िए- उनकी प्रेरणादायक कहानी

National Mathematics Day 2022: श्रीनिवास रामानुजन को 3500 गणितीय सूत्र देने का श्रेय जाता है. वो गण‍ित के ऐसे जादूगर थे जिनके बारे में कहा जाता है कि वो गण‍ित से नहीं बल्क‍ि गण‍ित उनसे डरती थी. आइए जानते हैं उनकी ये प्रेरणादायक कहानी.

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मशहूर गण‍ितज्ञ श्रीन‍िवास रामानुजन
मशहूर गण‍ितज्ञ श्रीन‍िवास रामानुजन

National Mathematics Day 2022: हर साल 22 दिसंबर को भारत में नेशनल मैथमेटिक्स डे मनाया जाता है. इस दिन को महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है. रामानुजन का निधन 33 वर्ष की उम्र में हो गया था. अपनी इस छोटी सी उम्र तक उन्होंने दुनिया को लगभग 3500 गणितीय सूत्र दिए थे

रामानुजन का जन्म 1887 में तमिलनाडु में हुआ था. उन्होंने कम उम्र में ही गणित विषय में ऐतिहासिक कार्य करने शुरू कर दिए थे. जब वह 12 साल के थे तो उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी और उन्होंने अपने दम पर कई प्रमेय भी विकसित की. उन्हें गणित से इतना लगाव था कि वह गणित में पूरे अंक ले आते थे लेकिन अन्य विषयों में फेल हो जाते थे.

गणित में अपने योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार से कई सम्मान प्राप्त हुए और वे गणित से जुड़ी कई सोसाइटी में अहम पद पर रहे. खास बात ये है कि उन्होंने गणित सीखने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया था. रामानुजन का प्रथम शोधपत्र “बरनौली संख्याओं के कुछ गुण” शोध पत्र जर्नल ऑफ इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुआ. 33 साल की उम्र में टीबी की बीमारी के कारण 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया था.

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अबूझ पहेली हैं रामानुजन के अध‍िकांश काम 

रामानुजन पर लिखे कई लेखों में इस बात का जिक्र है कि उनके अधिकांश कार्य अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं. एक बहुत ही सामान्य परिवार में जन्मे रामानुजन पूरे विश्व को आश्चर्यचकित करने की अपनी इस यात्रा में इन्होने भारत को अपूर्व गौरव प्रदान किया. इनका उनका वह पुराना रजिस्टर जिस पर वे अपने प्रमेय और सूत्रों को लिखा करते थे 1976 में अचानक ट्रिनीटी कॉलेज के पुस्तकालय में मिला.

करीब एक सौ पन्नों का यह रजिस्टर आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ है. इस रजिस्टर को बाद में रामानुजन की नोट बुक के नाम से जाना गया. मुंबई के टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान द्वारा इसका प्रकाशन भी किया गया है. रामानुजन के शोधों की तरह उनके गणित में काम करने की शैली भी विचित्र थी. वे कभी कभी आधी रात को सोते से जाग कर स्लेट पर गणित से सूत्र लिखने लगते थे और फिर सो जाते थे. इस तरह ऐसा लगता था कि वे सपने में भी गणित के प्रश्न हल कर रहे हों.

 

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