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बंटवारे की 20वीं सदी... जिसमें भारत-पाकिस्तान ही नहीं, इतने देशों का हुआ विभाजन!

20वीं सदी में दुनिया का नक्शा कई बार बदला है. इस दौरान कई साम्राज्य टूटे और कई अलग देश बने. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध, शीत युद्ध, आर्थिक संकट और राष्ट्रवाद की लहर ने मिलकर दुनिया के कई हिस्सों में नए राष्ट्रों के जन्म दिया. आइए जानते हैं 20वीं सदी में भारत-पाकिस्तान के अलावा कहां-कहां बंटवारा हुआ था.

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20वीं सदी में भारत-पाकिस्तान ही नहीं, कई और देशों के भी बंटवारे हुए. (Photo: Pexels)
20वीं सदी में भारत-पाकिस्तान ही नहीं, कई और देशों के भी बंटवारे हुए. (Photo: Pexels)

20वीं सदी में दुनिया का नक्शा कई बार बदला. इस दौरान कई साम्राज्य टूटे और कई देशों में बंटवारे हुए. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध, शीत युद्ध, आर्थिक संकट और राष्ट्रवाद की लहर ने मिलकर दुनिया के कई हिस्सों में नए राष्ट्रों ने जन्म लिया. आइए जानते हैं 20वीं सदी में भारत-पाकिस्तान के अलावा कहां-कहां बंटवारा हुआ था.

ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य का विघटन (1918)

20वीं सदी के साल 1918 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद ऑस्ट्रिया-हंगरी अलग हो गए थे. मध्य यूरोप में बसने वाला ये साम्राज्य 1867 से 1918 तक अस्तित्व में रहा. इसके बाद दोनों के बीच समझौता हुआ और फिर दो अलग-अलग राज्यों, ऑस्ट्रिया और हंगरी, का एक संघ बन गया. यह पहले विश्व युद्ध के बाद हुआ था. 1918 के बाद से ऑस्ट्रिया और हंगरी दो स्वतंत्र राष्ट्र बन चुके थे. 

ऑस्ट्रिया और हंगरी आज दो अलग-अलग, स्वतंत्र देश हैं. ऑस्ट्रिया मध्य यूरोप में स्थित एक देश है, जिसकी सीमाएं जर्मनी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, हंगरी, स्लोवेनिया, इटली, स्विट्ज़रलैंड और लिकटेंस्टीन से लगती हैं. वहीं हंगरी भी मध्य यूरोप में स्थित एक दूसरा देश है, जिसकी सीमाएं स्लोवाकिया, यूक्रेन, रोमानिया, सर्बिया, क्रोएशिया, स्लोवेनिया और ऑस्ट्रिया से लगती हैं.

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ऑटोमन साम्राज्य का पतन और तुर्की की स्थापना (1923)

साल 1923 में ऑटोमन साम्राज्य का पतन होने के बाद तुर्की की स्थापना हुई थी. प्रथम विश्व युद्ध के बाद, ऑटोमन साम्राज्य टूट गया और इसके क्षेत्र पर नई सीमाएं बनाई गईं. तुर्की ने 1923 में गणराज्य की स्थापना की और आधुनिक तुर्की बना. America.org के अनुसार, तुर्की का इतिहास 1923 में तुर्की गणराज्य की स्थापना से हज़ारों साल पहले का है. मध्य एशिया के खानाबदोश तुर्कों ने कई साम्राज्य स्थापित किए थे जिनमें ऑटोमन साम्राज्य भी शामिल था.

इस साम्राज्य की स्थापना 1299 में तुर्की शासक उस्मान ने अनातोलिया नामक जगह पर की थी. ऑटोमन्स ने 1453 में कॉन्स्टेंटिनोपुल पर कब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद अनातोलिया, उत्तरी अफ्रीका में माघरेब, दक्षिण-पूर्वी यूरोप, अरब प्रायद्वीप और फारस की खाड़ी के कुछ हिस्सों को भी अपने साम्राज्य में मिला लिया. ऑटोमन साम्राज्य आधुनिक इराक और काकेशस के कुछ हिस्सों को भी अपने शामिल करते हुए एक प्रमुख विश्व शक्ति बन गया.

समय के साथ ऑटोमन साम्राज्य कमजोर होने लगा. 17वीं और 18वीं सदी में साम्राज्य की जमीन खोने लगी. आंतरिक समस्याएं, तकनीकी पिछड़ापन और प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी के साथ हार ने ऑटोमन साम्राज्य को खत्म कर दिया. फिर मॉर्डन तुर्किए के जनक मुस्तफा कमाल पाशा ने विदेशी कब्जे के खिलाफ तुर्कों को एकजुट किया और 1923 में तुर्की गणराज्य बनाया. उन्होंने देश में बड़े बदलाव किए. अरबी की जगह लैटिन लिपि अपनाई, यूरोपीय कपड़े प्रचलित किए, यूरोपीय कानून लागू किए और लोकतांत्रिक सरकार बनाई. 

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भारत और पाकिस्तान का विभाजन (1947)

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बन गए. मुस्लिम बहुल आबादी के लिए भारत से एक बड़े हिस्से को अलग कर पाकिस्तान के नाम से एक नया देश बनाया गया. इसमें आज का पाकिस्तान और बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) शामिल थे. वहीं भारत धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में एक नया देश बनकर उभरा. 

जब चार हिस्सों में बंटा जर्मनी

20वीं सदी में विभाजन होने वाला एक देश जर्मनी भी था. यह दो नहीं बल्कि चार हिस्सों में विभाजित हुआ था. मई 1945 में जर्मन सेना के बिना शर्त आत्मसमर्पण के बाद जर्मनी पूरी तरह टूट चुका था. जर्मन राज्य अस्तित्व में नहीं रहा और देश का नियंत्रण विजयी मित्र राष्ट्रों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ) के हाथ में चला गया.

युद्ध खत्म होने के बाद जर्मनी को चार हिस्सों में बांटा गया- अमेरिकी, ब्रिटिश, फ्रांसीसी और सोवियत जोन, पश्चिमी दो-तिहाई हिस्सा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस को मिला, जबकि पूर्वी एक-तिहाई सोवियत संघ के कब्जे में आया. राजधानी बर्लिन, जो सोवियत क्षेत्र में थी, को भी चार सेक्टरों में बांटा गया और इसे संयुक्त रूप से चलाने की योजना बनी. हालांकि, इसके बाद सोवियत संघ ने ओडर और नाइस नदियों के पूर्व में स्थित जर्मन क्षेत्रों (पूर्वी प्रशिया, अधिकांश पोमेरेनिया, और साइलिसिया) को जर्मनी से अलग करके पोलैंड और खुद के अधीन कर लिया. 1946 के बाद दो अलग देश पूर्व जर्मनी और पश्चिमि जर्मनी सामने आए. 

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फिर एक हो गया पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी

3 अक्टूबर, 1990 को पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक हो गए थे. यह पहला मौका था जब किसी विभाजित देश को जनांदोलन के चलते फिर से एक होने का मौका मिला. तीन अक्टूबर की सुबह जर्मनी के दोनों तरफ के लोगों के लिए एक नई सुबह थी. 2 अक्टूबर की रात से ही बर्लिन के ब्रांडनबुर्गर गेट के सामने लाखों की तादाद में लोग जमा थे और वह 45 वर्षों के बाद एकीकृत जर्मनी का सूरज उगते हुए देखना चाहते थे. 

चेकोस्लोवाकिया का भी हुआ विभाजन

साल 1993, 1 जनवरी को चेकोस्लोवाकिया भी दो देशों में बंट गया था. एक चेक गणराज्य (Czech Republic) और दूसरा स्लोवाकिया (Slovakia). इसे Velvet Divorce कहा जाता है. ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के समय जर्मन लोग दोनों समुदायों (चेक और स्लोवाक) पर हावी माने जाते थे.  स्लोवाकिया 1939–1945 के बीच नाज़ी जर्मनी का एक अधीनस्थ (client state) बनकर थोड़े समय के लिए स्वतंत्र रहा.

सोवियत संघ खत्म होने के बाद 14 राष्ट्र बने

1991 में दुनिया का सबसे बड़ा साम्यवादी साम्राज्य, सोवियत संघ (USSR), आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और राष्ट्रवाद की बढ़ती लहर के कारण टूटकर बिखर गया. इस ऐतिहासिक घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का नक्शा बदल दिया. सोवियत संघ के विघटन के बाद कुल 15 स्वतंत्र राष्ट्र अस्तित्व में आए. इनमें रूस, यूक्रेन, बेलारूस, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, जॉर्जिया, आर्मेनिया, अजरबैजान, कजाखस्तान, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिस्तान, मोल्दोवा और ताजाकिस्तान

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युगोस्लाविया से निकलकर बने सात देश

1990 के दशक के बाद युगोस्लाविया भी कई हिस्सों में बंट गया था. 1990 के दशक में यूरोप का बहु-जातीय राष्ट्र युगोस्लाविया राजनीतिक अस्थिरता, जातीय संघर्ष और गृहयुद्ध की आग में जलकर कई हिस्सों में बंट गया. विघटन के बाद युगोस्लाविया से कुल 7 स्वतंत्र देश बने, स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, सर्बिया, मोंटेनेग्रो, मैसेडोनिया (अब नॉर्थ मैसेडोनिया) और कोसोवो (जो 2008 में स्वतंत्र राष्ट्र बना). यह बंटवारा यूरोप के इतिहास के सबसे हिंसक और कठिन विभाजनों में माना जाता है, जिसने इस क्षेत्र की राजनीति और समाज पर लंबे समय तक असर डाला.

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