सिस्टम और हालात साथ न दे तो इंसान कहां से कहां से पहुंच जाता है. कॉमनवेल्थ एशियन गेम्स में मेडल जीतने वाले वेटलिफ्टर करनदीप इसका जीता जागता उदाहरण हैं. सरकार की कुछ नीतियों के कारण वो खेल को छोड़कर खेतों में काम कर रहे हैं.
सोचिए दिन रात की हाड़तोड़ मेहनत और तैयारी के बाद कैसे कोई खिलाड़ी कॉमनवेल्थ एशियन गेम्स तक पहुंच पाता है. इसके लिए मेहनत के साथ-साथ देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा भी साथ में होता है. लेकिन उसी खिलाड़ी को अपनी इस प्रतिबद्धता के बदले सरकार से कुछ न मिले तो इसका दुख होना लाजमी है.
एक तरफ खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं लेकिन दूसरी तरफ कई खिलाड़ी खेल में सम्मान न मिलने पर सरकारों को कोस रहे हैं. ऐसा ही एक खिलाड़ी अमृतसर की तहसील अजनाला के गांव लोपोके का रहने वाला है. लेकिन, सरकारी नीतियों से दुखी होकर उन्होंने खेल छोड़ दिया और अपने खेतों में काम करना शुरू कर दिया.
इस बारे में खिलाड़ी करनदीप सिंह ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण उन्होंने खेल छोड़ दिया क्योंकि सरकार खिलाड़ियों पर कोई ध्यान नहीं देती है. उन्होंने मांग की कि सरकार खिलाड़ियों पर ध्यान दे और उन्हें उचित सम्मान दे.
उन्होंने कहा कि मैंने कॉमन वेल्थ एशियन गेम्स में कई मेडल वेट लिफ्टिंग में हासिल किए लकिन उन्हें भारत का नाम उच्च करने पर कोई सम्मान नहीं मिला जिससे उसका दिल टूट गया और आज वह अपने पिता के साथ खेतों में काम करके पिता का हाथ बंटा रहा है.
वहीं खिलाड़ी के पिता गुरभगत सिंह ने कहा कि बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनका काफी पैसा खर्च हुआ लेकिन सरकार ने उस पर फिर ध्यान नहीं दिया. आज बेटा अवसरहीन युवाओं की तरह खेतों में काम कर रहा है. पिता ने सरकार से मांग की कि उनके बेटे को नौकरी दी जाए.