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मैं' नहीं 'हम' से मिलेगी ऑफिस में कामयाबी

शब्दों के इस्तेमाल का खेल ऐसा है कि अगर इसका इस्तेमाल सही से न किया जाए तो हमारा उद्देश्य सही रहते हुए भी सामने वाले पर गलत असर पड़ता है.

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शब्दों के इस्तेमाल का खेल ऐसा है कि अगर इसका इस्तेमाल सही से न किया जाए तो हमारा उद्देश्य सही रहते हुए भी सामने वाले पर गलत असर पड़ता है. अगर आपने हिमेश रेशमिया का गाना' दर्द दिलों के कम हो जाते मैं और तुम गर हम हो जाते' सुना होगा तो बखूबी 'मैं' और 'हम' का अंतर आप समझ गए होंगे. यह एक ऐसा शब्द है जिसके गलत इस्तेमाल से आपके बने हुए काम को भी बिगड़ सकते हैं.

कामयाबी में मदद: मैं के चक्कर में रहने वाले अक्सर पीछे छूट जाते हैं, जबकि हम की बात करने वाले कामयाब रहते हैं.

बोलना भी एक कला: सार्वजिनक मंच पर सभी तरह की बातचीत में मैं से ज्यादा हम का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होता है.

जिम्मेदारी और जवाबदेही: नाकामी की सामूहिक जिम्मेदारी लीजिए और कामयाबी का श्रेय दूसरों को देना सीखिए. जब भी आप मैं बोलते हैं तो इसका मतलब है कि हर काम का श्रेय आप स्वंय लेना चाह रहे हैं.

हल खोजिए: दिक्कतों को सुलझाने का जुनून और कौशल दिखाइए. भविष्य में बेहतर चीजों का अंजाम दीजिए. जब आप ऐसा करेंगे और सब को साथ शामिल कर पाएंगे, तब ही आप कामयाब हो सकेंगे.

अहंकार छोड़िए: 'मैं' जब भी आप सामूहिक जगह में बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि आप बहुत ही ज्यादा अहंकारी है. इसके कारण आपके सहयोगियों पर इसका गलत असर पड़ेगा.

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दोस्ती में फायदा: जब भी आप दोस्तों के बीच 'मैं' बोलते हैं तो आपके दोस्त आपको अपने ज्यादा करीब नहीं महसूस करते हैं. वहीं, 'हम' बोलने से वह एक आत्मिक रूप से जुड़ जाते हैं.

सुख-दुख के साथी: किसी के संकट काल में जब आप कहते हैं कि हम आपके साथ हैं तो सामने वाले व्यक्ति को लगता है कि वह अकेला नहीं है. उसके दुख में सब उसके साथ हैं.

सामूहिक भावना का विकास: 'मैं' से व्यक्तिवाद बढ़ता है, वहीं, 'हम' से सामूहिकता और आपसी भाईचारा बढ़ता है.

रिश्तों में सुधार: अगर आपकी जिंदगी में आपके घरवालों के साथ आपसी रिश्ते सही नहीं चल रहे हैं, तो आपने कभी सोचा है कि आपके 'मैं' कहने की आदत से तो यह कड़वाहट नहीं आ रही है. आप हर सफलता और विफलता की जिम्मेवारी 'हम' कहकर लेना शुरू करेंगे तो पाएंगे कि यह रिश्तों को एक हद तक मजबूत करेगा.

स्वार्थ नहीं दिखेगा: 'मैं' शब्द का इस्तेमाल बार -बार करके आप अपने को स्वार्थी दिखाते हैं, जबकि 'हम' का इस्तेमाल करके आप स्वार्थ से ऊपर उठ जाते हैं.

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