क्या आप काफी देर तक काम करते हैं और ऑफिस से छुट्टी भी नहीं लेते? आप लोगों से मिलना-जुलना भूल गए हैं? क्या नौकरी ही आपका अकेला शौक है? अगर इन सभी सवालों के जवाब हां हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है. इन सब बातों से पता चलता है कि आप हार्ट अटैक या इससे बड़ी परेशानी को न्यौता दे रहे हैं.
अगर आपका भी लाइफस्टाइल इन सभी परेशानियों से मेल खाता है तो आपको ये बातें पता होनी चाहिए.
(1) अत्याधिक तनाव की नौकरी करने वालों में हार्ट अटैक का खतरा 23 फीसदी ज्यादा होता है.
(2) अपनी नौकरी से असंतुष्ट रहने वाले लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा 79 फीसदी ज्यादा रहता है.
(3) ज्यादा गुस्सा करने वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है. गुस्से के 2 घंटे तक तो हार्ट अटैक का खतरा 5 गुना अधिक होता है.
(4) रोजाना 10 घंटे से अधिक काम करने वाले लोगों में दिल दिल से जुड़ी बीमारियों की आशंका 7 घंटे काम करने वालों के मुकाबले 60 फीसदी अधिक होती है.
(5) पहले 12 महीनों के दौरान नौकरी की चुनौतियों को झेलने में जिन लोगों को दिक्कत पेश आती है, उनमें मेटाबॉलिक डिसऑर्डर की संभावना कहीं अधिक होती है.
(6) हमेशा कुछ नया करने की उम्मीद करने वालों और फैसला लेने की कम आजादी वाली नौकरी से जुड़े लोगों में हार्ट अटैक का खतरा 23 फीसदी ज्यादा होता है.
भारत की स्थिति
अगर भारत में देखा जाए तो हालात और भी खराब हैं. यहां करीब 60 फीसदी दिल के मरीज हैं. इनमें से भी 60 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिनमें हार्ट अटैक का कोई लक्षण पहले कभी नहीं देखा गया. भारत में कॉर्पोरेट जगत से जुड़े कर्मचारी रोजाना छह घंटे से कम सोते हैं. वहीं 50 फीसदी कर्मियों के काम के घंटे तय नहीं होते हैं. भारत में 21 फीसदी वर्कफोर्स डिप्रेशन की शिकार है, हाई ब्लड प्रेशर के बाद लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों में भारत का नाम आता है.