अगर सरकारी दावों से ही मरीजों का इलाज हो जाता तो शायद दिल्ली में कोई भी बीमार न होता. अगर बयानों से ही दर्द पर मरहम लग जाता तो अस्पतालों में परेशान मरीजों की भीड़ न दिखती. अगर सेहत को सियासत का औजार न बनाया जाता तो शायद इलाज पाना और आसान हो जाता. दिल्ली सरकार जिन क्षेत्रों में कामयाबी के बड़े-बड़े दावे करती है, उनमें स्वास्थ्य और शिक्षा सबसे अहम हैं. अस्पतालों में ज्यादा बेड की सुविधा देने के दावे किए गए....बेहतर सेहत के लिए डांस थेरेपी का आगाज किया गया, लेकिन क्या वाकई ये कदम मरीजों को कुछ राहत दे पा रहे हैं? देखिए पोस्टमार्टम का पूरा वीडियो......