पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का कथित 'डिवाइड एंड फ्रैगमेंट' (टुकड़े-टुकड़े) प्लान देश को 12 नए प्रांतों में बांटने का है. सरकार इसे 'बेहतर शासन' का नाम दे रही है, लेकिन विशेषज्ञ इसे 'बांटो और राज करो' की पुरानी ब्रिटिश चाल बताते हैं.
सिंध और बलूचिस्तान जैसे इलाकों में यह प्लान विद्रोह की चिंगारी बन सकता है, जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान में पहले से चल रही अशांति और भड़क सकती है. क्या पाकिस्तान फिर 1971 जैसे टूटने की ओर बढ़ रहा है? आइए समझते हैं इस प्लान के पीछे की हकीकत, इलाकों की प्रतिक्रिया और संभावित खतरे.
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पाकिस्तान की सरकार और सेना मिलकर देश को वर्तमान 4 प्रांतों (पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा) से ज्यादा छोटे-छोटे 12 प्रांतों में बांटने की योजना बना रही है. फेडरल कम्युनिकेशंस मिनिस्टर अब्दुल अलीम खान ने 8 दिसंबर को जीयो टीवी पर कहा कि छोटे प्रांत बनाना जरूरी है, इससे प्रशासन आसान होगा और विकास तेज होगा. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह आसिम मुनीर की सत्ता मजबूत करने की चाल है.

मुनीर का यह प्लान 'टुकड़े-टुकड़े' इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह छोटे प्रांत बनाकर केंद्र की सत्ता को मजबूत करेगा, लेकिन अल्पसंख्यक और अलगाववादी समूहों को और उकसाएगा.
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सिंध, पाकिस्तान का आर्थिक इंजन (कराची यहां है), पहले से ही अलगाव की आग में जल रहा है. PPP की बिलावल भुट्टो ने प्लान को 'सिंध की साजिश' कहा है.
सिंध के लोग इसे 'अंतिम धक्का' मान रहे हैं. अगर लागू हुआ, तो कराची बंद हो सकता है. हिंसा भड़क सकती है.

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत संसाधनों से भरपूर लेकिन गरीबी में डूबा, यहां अलगाव की लपटें पहले से ही तेज हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे ग्रुप सीपीईसी प्रोजेक्ट्स पर हमले कर रहे हैं. मुनीर ने अप्रैल 2025 में बलूच विद्रोहियों को 'भारत की साजिश' कहा, लेकिन स्थानीय इसे सेना की क्रूरता मानते हैं.
गिलगित-बाल्टिस्तान (GB), पाक अधिकृत कश्मीर का हिस्सा, यहां पहले से ही जमीन हड़पना, बिजली कटौती और राजनीतिक बहिष्कार पर विरोध चल रहे हैं. नवंबर 2025 में बड़े प्रदर्शन हुए, जहां कराकोरम हाईवे ब्लॉक रहा. मानवाधिकार संगठन जबरन गायब करने की शिकायत कर रहे हैं.
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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है – 73 अरब डॉलर कर्ज है. ऊपर से महंगाई. मुनीर की सख्ती से लोकतंत्र कमजोर होगा. छोटे प्रांतों में अलगाव तेज हो जाएगा.
विशेषज्ञ चेताते हैं कि नए प्रांत बनाना विद्रोह दबाने का हथियार है, लेकिन 1971 की तरह बिखराव ला सकता है. बलूचिस्तान, सिंध, GB में आंदोलन फैल रहे हैं. सोशल मीडिया पर #FreeSindh, #BalochistanIsNotPakistan ट्रेंड कर रहा है.
मुनीर कहते हैं कि हम अखंडता की रक्षा करेंगे. लेकिन सड़कों पर लोग बोल रहे हैं. गुस्सा दब नहीं रहा है. अंतरराष्ट्रीय दबाव (अमेरिका, चीन) बढ़ सकता है, लेकिन अंदरूनी कलह बुझाना मुश्किल है. अगर प्लान लागू हुआ, तो गृहयुद्ध या नई आजादी की लहर आ सकती है. संकेत साफ हैं – पाकिस्तान टूटने की कगार पर है.