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क्या भारत भी मिग विमानों के साथ वो कर सकता है जो चीन अपने पुराने फाइटर जेट्स के साथ कर चुका?

चीन ने पुराने J-6 फाइटर जेट को सुपरसोनिक ड्रोन में बदला, जो सैचुरेशन स्ट्राइक्स के लिए है. भारत अपने MiG-21 को टारगेट ड्रोन बना सकता है, जो SAM मिसाइल टेस्ट में मदद करेगा. लेकिन स्ट्राइक ड्रोन बनाने में लागत और पुरानी तकनीक बाधा है. DRDO और HAL के CATS, ALFA-S प्रोग्राम से भारत भविष्य में ऐसा कर सकता है.

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चांगचुन एयर शो से पहले इसे पहली बार दिखाया गया मानवरहित ड्रोन, जिसे जे-6 फाइटर जेट को बदलकर बनाया गया है. (Photo: X/@RupprechtDeino)
चांगचुन एयर शो से पहले इसे पहली बार दिखाया गया मानवरहित ड्रोन, जिसे जे-6 फाइटर जेट को बदलकर बनाया गया है. (Photo: X/@RupprechtDeino)

चीन ने अपने पुराने J-6 फाइटर जेट (जो सोवियत MiG-19 का चाइनीज वर्जन है) को सुपरसोनिक ड्रोन में बदल दिया है. यह ड्रोन सैचुरेशन स्ट्राइक्स (बड़े पैमाने पर हमलों) के लिए इस्तेमाल होगा. 16 सितंबर को चांगचुन एयर शो से पहले इसे पहली बार दिखाया गया. क्या भारत भी अपने पुराने MiG-21 विमानों को इसी तरह ड्रोन में बदल सकता है?

चीन का J-6 को ड्रोन में बदलना: क्या है प्लान?

J-6 विमान 1950-60 के दशक का है, जो कभी चीनी वायुसेना (PLAAF) की मुख्य ताकत था. जैसे MiG-21 भारतीय वायुसेना की ताकत है. ये भी रिटायर होने वाला है. J-6 अब इसे रिटायर कर दिया गया है, लेकिन चीन ने इसे अनमैन्ड (बिना पायलट) प्लेटफॉर्म में बदल दिया. 

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X अकाउंट @RupprechtDeino की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कैनन, इजेक्ट सीट और ईंधन टैंक हटा दिए गए. इसके बजाय ऑटोपायलट, ऑटोमैटिक फ्लाइट कंट्रोल, पेलोड के लिए पाइलन्स और टेरेन-फॉलोइंग नेविगेशन सिस्टम लगाया गया.

China J-6 supersonic drone MiG-21 India

यह पहली उड़ान 1995 में हुई थी, लेकिन अब इसे युद्ध के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. 2022 तक 600 से ज्यादा J-6 को कन्वर्ट किया जा चुका है. स्टॉक में 1,000 से ज्यादा हैं. इसकी रेंज 350 मील (करीब 560 किमी), स्पीड सुपरसोनिक (ध्वनि से तेज) और पेलोड 1,000 पाउंड (450 किलो) है.

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उपयोग

  • ट्रेनिंग टारगेट: पायलटों और एयर डिफेंस क्रू को रियल साइज का टारगेट मिलेगा.
  • डिकॉय: दुश्मन की आग खींचने के लिए.
  • स्ट्राइक प्लेटफॉर्म: हल्के हथियारों से हमला.
  • रेकॉनिसेंस: जोखिम भरी जासूसी.

चीन का फायदा: सस्ता (नए ड्रोन से 10 गुना कम खर्च) और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल. ताइवान के पास हार्डन शेल्टर्स में रखे गए हैं. यह सैचुरेशन अटैक (बड़ी संख्या में ड्रोन से दुश्मन की डिफेंस को थका देना) का हिस्सा है. अमेरिका ने QF-4/QF-16 को इसी तरह इस्तेमाल किया. अजरबैजान ने अन-2 को नागोर्नो-करबाख युद्ध में.

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भारत के MiG-21: क्या स्थिति है?

भारत के पास MiG-21 'बाइसन' जेट हैं, जो 1960 के दशक के हैं. ये 'फ्लाइंग कॉफिन' कहलाते हैं क्योंकि दुर्घटनाएं ज्यादा हुईं. 26 सितंबर 2025 को आखिरी स्क्वाड्रन रिटायर होगा. अभी 40-50 MiG-21 बचे हैं, जो 2027 तक खत्म हो जाएंगे. IAF की स्क्वाड्रन संख्या 29 रह जाएगी, जबकि जरूरी 42 है.

China J-6 supersonic drone MiG-21 India

भारत MiG-21 को ड्रोन में बदलने की योजना बनानी चाहिए. चीन की तरह स्ट्राइक ड्रोन या फिर टारगेट ड्रोन. DRDO के SAM मिसाइलों (Akash-NG, QRSAM, XRSAM) के टेस्ट के लिए. MiG-21 की स्पीड (मैक 2), ऊंचाई (17 किमी) और मैन्यूवरिंग से यह दुश्मन विमान जैसा सिमुलेट करेगा.

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  • कॉस्ट: कन्वर्शन ₹5-10 करोड़ प्रति यूनिट (UCAV से ₹50-100 करोड़ सस्ता).
  • उपयोग: एयर डिफेंस टेस्ट, स्टील्थ और स्वार्म ड्रोन सिमुलेशन. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी ड्रोन के खिलाफ उपयोगी साबित हुआ.
  • प्रोजेक्ट कुषा: लंबी रेंज SAM के लिए MiG-21 टारगेट बनेगा.

HAL ने CATS प्रोग्राम में MiG-21 को कॉम्बैट ड्रोन बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन IAF ने मना किया. कारण था- मेंटेनेंस महंगा, सेफ्टी रिस्क. ज्यादातर MiG-21 स्टोरेज या स्क्रैप होंगे.

China J-6 supersonic drone MiG-21 India

भारत क्या कर सकता है... चीन जैसा संभव है या नहीं?

हां, भारत MiG-21 को चीन के J-6 जैसा ड्रोन बना सकता है, लेकिन वर्तमान प्लान टारगेट ड्रोन तक सीमित है. MiG-21 को अनमैन्ड करने का रिसर्च चल रहा है. वियतनाम भी प्लान कर रहा है. सस्ता है. पुराने 1000+ MiG-21 स्टॉक का उपयोग किया जा सकता है. लेकिन चुनौतियां...

  • पुरानी एवियोनिक्स: फ्लाई-बाय-वायर की कमी.
  • सेफ्टी: कम्युनिकेशन फेलियर से दुर्घटना.
  • बजट: UCAV कन्वर्शन महंगा.

चीन की तरह सैचुरेशन स्ट्राइक्स के लिए भारत को CATS (स्वदेशी UCAV) और ALFA-S स्वार्म ड्रोन पर फोकस करना चाहिए. MiG-21 को टारगेट ड्रोन बनाना व्यावहारिक है, जो DRDO की SAM क्षमता बढ़ाएगा. भविष्य में, Tejas Mk2 और Ghatak UCAV से MiG को रिप्लेस करेंगे.

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