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अब आर्मी के हाथ में नेपाल, पूरे देश में कर्फ्यू... विद्रोह से निपटने का ये है प्लान

नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के बाद सेना ने बुधवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगाया जो शाम 5 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक रहेगा. 22 लोगों की मौत और तोड़फोड़ के बाद सेना ने त्रिभुवन हवाई अड्डा और सिंहदरबार पर कब्जा किया. भारत स्थिति पर नजर रख रहा है और शांति बहाली में मदद कर रहा है.

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नेपाल में अब सेना विद्रोहियों और प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए सड़कों पर उतर चुका है. (Photo: AP)
नेपाल में अब सेना विद्रोहियों और प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए सड़कों पर उतर चुका है. (Photo: AP)

नेपाल में पिछले कुछ दिनों से भारी अशांति और हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसके कारण नेपाल की सेना ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है. यह कर्फ्यू बुधवार (10 सितंबर 2025) को शाम 5 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक लागू रहेगा. नेपाल की सेना ने त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सिंहदरबार जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर नियंत्रण ले लिया है. यह सब तब शुरू हुआ जब नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया.

नेपाल में क्या हो रहा है?

नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में जेन-जी के नेतृत्व में बड़े प्रदर्शन शुरू हुए. ये प्रदर्शन 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और X पर लगे बैन के खिलाफ शुरू हुए थे. लोग भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता से नाराज थे. प्रदर्शनकारी शुरू में शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे थे, लेकिन जल्द ही स्थिति हिंसक हो गई.

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Army Control Nepal

प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और कई नेताओं के घरों में आग लगा दी. पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रबर बुलेट्स, आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जिसमें 22 लोग मारे गए. 

9 सितंबर 2025 को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि प्रदर्शनकारी उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और तानाशाही का आरोप लगा रहे थे. इसके बावजूद, प्रदर्शन रुके नहीं. प्रदर्शनकारियों ने सिंहदरबार (सरकारी मंत्रालयों का मुख्यालय), सुप्रीम कोर्ट और कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के घरों को निशाना बनाया. 

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नेपाल की सेना का कदम

नेपाल की सेना ने मंगलवार (9 सितंबर) रात से सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ली. सेना ने त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सिंहदरबार जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्जा कर लिया. बुधवार को सेना ने पूरे देश में कर्फ्यू की घोषणा की जो शाम 5 बजे से सुबह 6 बजे तक लागू रहेगा. सेना का कहना है कि कुछ असामाजिक तत्व प्रदर्शनों में घुस आए हैं, जो तोड़फोड़, आगजनी, लूटपाट और हमले कर रहे हैं. सेना ने चेतावनी दी कि ऐसी गतिविधियों को अपराध माना जाएगा और सख्ती से निपटा जाएगा.

Army Control Nepal

सेना ने यह भी कहा कि आपातकालीन सेवाएं, जैसे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और स्वास्थ्य कर्मियों की गाड़ियां, कर्फ्यू के दौरान चल सकेंगी, लेकिन उन्हें नजदीकी सुरक्षा अधिकारियों से समन्वय करना होगा. सेना ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करने की अपील की. सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने प्रदर्शनकारियों से शांति और बातचीत की अपील की है.

नेपाल सेना की योजना

नेपाल की सेना ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं...

  • शांति बहाली: सेना का मुख्य लक्ष्य काठमांडू और अन्य प्रभावित जिलों में शांति और व्यवस्था बहाल करना है. इसके लिए सैनिक सड़कों पर गश्त कर रहे हैं. महत्वपूर्ण इमारतों की सुरक्षा कर रहे हैं.
  • बातचीत की अपील: जनरल अशोक राज सिग्देल ने प्रदर्शनकारियों से हिंसा छोड़कर बातचीत करने को कहा है. सेना चाहती है कि राजनीतिक समाधान निकाला जाए.
  • सुरक्षा बढ़ाना: सेना ने हवाई अड्डे, संसद और सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया है ताकि और नुकसान न हो. पशुपतिनाथ मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा भी बढ़ाई गई है.
  • अफवाहों पर रोक: सेना ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और केवल आधिकारिक बयानों पर भरोसा करने को कहा है.

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नेपाल की सेना के प्रमुख जनरल

नेपाल की सेना का नेतृत्व जनरल अशोक राज सिग्देल कर रहे हैं, जिन्हें भारतीय सेना ने मानद जनरल की उपाधि दी है. उनके साथ मेजर जनरल बिग्यान देव पांडे (पश्चिमी कमान), मेजर जनरल बिनय बिक्रम राणा (केंद्रीय कमान) और मेजर जनरल संतोष कुमार धकाल (पूर्वी कमान) इस संकट को संभाल रहे हैं. 

प्रदर्शनों का कारण और भविष्य

प्रदर्शनकारी भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक समस्याओं से नाराज हैं. सोशल मीडिया बैन ने उनकी नाराजगी को और बढ़ा दिया, क्योंकि नेपाल की आधी आबादी विदेश में काम करने वाले रिश्तेदारों से मिलने वाले पैसे पर निर्भर है. बैन हटने के बाद भी लोग सरकार से जवाबदेही और सुधार चाहते हैं.

काठमांडू के मेयर बलेंद्र शाह (बालेन शाह) प्रदर्शनकारियों के बीच एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं. कुछ लोग पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को वापस लाने की बात कर रहे हैं, क्योंकि वे मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से निराश हैं. हालांकि, सेना और सरकार बातचीत के जरिए समाधान चाहते हैं.

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