आठ पुलिसवालों के हत्यारे विकास दुबे को लेकर पुलिस कानपुर आ रही थी. उज्जैन से चला काफिला रात भर भागता रहा. सुबह-सुबह गैंगस्टर विकास को लेकर यूपी एसटीएफ की टीम कानपुर पहुंचने ही वाली थी कि बारिश होने लगी थी. तभी कानपुर बॉर्डर के पास सचेंदी में काफिले की एक गाड़ी पलट गई और वहीं एनकाउंटर हो गया.
असल में, सुबह कोरोना के बहाने मीडिया की गाड़ियों को एनकाउंटर वाली जगह से पहले रोक दिया गया था. 'आजतक' की टीम विकास दुबे को लेकर चल रही एसटीएफ की टीम के पीछे-पीछे चल रही थी, लेकिन एक जगह मीडिया को काफिले का पीछा करने से रोक दिया गया और चेकिंग होने लगी. जब आजतक ने पुलिस से सवाल किया कि मीडिया को क्यों रोका जा रहा है. तो कहा गया कि यह रुटिन चेकिंग है. फिर सवाल हुआ क्या कोई सुरक्षा का मसला है तो पुलिस ने कहा कि कोरोना की वजह से सभी गाड़ियों की चेकिंग हो रही है.
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फिर मीडिया की गाड़ियों को रोकने के बाद पुलिस का काफिला आगे बढ़ा और थोड़ी ही दूरी पर एक्सीडेंट हुआ और फिर एनकाउंटर हो गया. हालांकि दुर्घटना के दौरान आजतक या अन्य मीडिया की कोई टीम मौजूद नहीं थी. सिर्फ पुलिस और एसटीएफ के जवान मौजूद थे.
कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार ने बताया कि जब गाड़ी पलटी उस दौरान तेज रफ्तार में थी. गाड़ी के पलटते ही विकास दुबे ने घायल एसटीएफ के जवान से हथियार छीन कर भागने की कोशिश करने लगा. वो हाइवे की दूसरी तरफ खोतों में भाग रहा था. तभी एसटीएफ के जवान ने विकास दुबे पर फायरिंग की.
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हादसे में विकास दुबे और पुलिस वाले को चोटें आईं. इसके बाद भी विकास पुलिस का हथियार लेकर भागने की कोशिश की. विकास को भागता देख बाकी पुलिस वाले हरकत में आ गए. विकास दुबे को सरेंडर करने को कहा गया, लेकिन जब वो नहीं माना तो पुलिस ने उसका काम तमाम कर दिया.
कहानी का एक और सीन ये भी है. करीब 6 बजकर 32 मिनट पर एसटीएफ की टीम कानपुर में एंट्री करती दिखती है. सड़कों पर कानपुर पुलिस की भारी तैनाती दिखती है. मीडिया वालों को रोक दिया गया.
करीब 30 से 40 मिनट के बाद आजतक की टीम आगे बढ़ी तो एक काफिले की एक गाड़ी पलटी हुई दिखी. सबसे पहले आजतक ने दिखाया. सबसे पहले आजतक ने बताया कि इसी गाड़ी में विकास दुबे था और कुछ ही पल में साफ हो गया कि यही एनकाउंटर हुआ और विकास दुबे की मौत हो गई.