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Exposed: UP पुलिस के सुपारी किलर- पैसा दो और एनकाउंटर करवाओ!

उत्तर प्रदेश में फर्जी मुठभेड़ों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम की जांच पड़ताल बताती है कि मानवाधिकार संगठनों के सवालों से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

प्रमोशन, पैसा और पब्लिसिटी...ये तीनों हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के सारे नहीं, तो कुछ पुलिस अधिकारी शार्ट कट के तौर पर फर्जी मुठभेड़ों का रास्ता अपनाने के लिए भी तैयार लगते हैं. इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने अपनी जांच के दौरान पाया कि योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान मुठभेड़ों में मरने वालों का आंकड़ा 60 से ऊपर पहुंच गया है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से की गई करीब 1500 मुठभेड़ों में 400 के आसपास लोग घायल हुए हैं.   

इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम की जांच से सामने आया कि यूपी पुलिस के कुछ सदस्य झूठे मामलों में निर्दोष नागरिकों को फंसा रहे हैं और फिर उन्हें फर्जी मुठभेड़ों में शूट कर रहे हैं. ये सब तरक्की और दूसरों से पैसा लेकर किसी को ठिकाने लगाने के इरादे से किया जा रहा है.

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यूपी में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से सिर्फ आगरा ज़ोन में 241 मुठभेड़ हुई हैं. स्थानीय चित्राहाट पुलिस स्टेशन के एक सब इंस्पेक्टर ने एक निर्दोष नागरिक को मारने के लिए आठ लाख रुपये कीमत लगाई.

इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने जांच के तहत खुद को कारोबारी बताते हुए अपने एक काल्पनिक प्रतिस्पर्धी को फर्जी मामले में फंसाने के लिए सब इंस्पेक्टर से संपर्क किया.

सब इंस्पेक्टर सर्वेश कुमार ने अंडर कवर रिपोटर्स से कहा, ‘जिस तरह की तुम्हारी प्रॉब्लम है, उसे सॉल्व (हल) करने का एक ही तरीका है. बाईचांस मेरे पास दो तीन बैंक हैं...कहीं भी कोई भी वारदात हो जाती है...तो मैं उसे अपने आप इन्वॉल्व कर लूंगा.’

सर्वेश कुमार ने आगे कहा, ‘और इस इन्वॉल्व में हम काफी हद तक उसको कर सकते हैं...जैसे वो इंजर्ड (घायल) भी हो सकता है...जान भी खो सकता है वो...’

सब इंस्पेक्टर ने अपना प्लान भी बताया : ‘काल्पनिक व्यक्ति के खिलाफ बैंक डकैती का फर्जी सबूत जुटाया जाएगा, फिर उसे अज्ञात संदिग्धों में नामजद किया जाएगा. इसके बाद तथाकथित मुठभेड़ होगी. उसमें अब जान भी जा सकती है, इंजर्ड (घायल) भी हो सकता है.’

सर्वेश कुमार ने दावा किया- ‘लूट हो ही जाती हैं. ये मेरे क्षेत्र में हो गई, जैतपुर में हो गई या बाह में हो गई. मैं अपने बारे में बता रहा हूं. तीन थानों की जिम्मेदारी मेरी. मैं सेट कर सकता हूं.’

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अंडर कवर रिपोर्टर- ‘अच्छा जो बैंक लूट होगी उसमें वो लड़का तो नहीं होगा.’

सर्वेश कुमार- ‘होगा तो नहीं लेकिन लाना पड़ेगा ना उसको...अज्ञात संदिग्धों में नामजद किया जाएगा. ये पुलिस का काम है...उसके पास कोई आईडी होगी...आईडी आ जाएगी. उस आईडी प्रूफ को हम घटनास्थल से बरामद करा देंगे.’

रिपोर्टर- अच्छा.

सर्वेश कुमार ने आगे कहा,‘उसकी जान भी जा सकती है या घायल हो सकता है. मेरे यहां (थाना एरिया) की बात है तो कीमत 5-6 लाख रुपये होगी. दूसरे एरिया में दूसरों से भी बात करनी होगी. वहां दो लाख ऊपर हो सकता है. इससे ज्यादा नहीं.’

सर्वेश कुमार ने गारंटी के साथ कहा कि मुठभेड़ में टारगेट (काल्पनिक व्यक्ति) को उड़ा दिया जाएगा यानि बचने नहीं दिया जाएगा.   

सर्वेश कुमार ने कहा, ‘बचने का कोई चांस ही नहीं होता है. जो आदमी मैंने टारगेट में ले रखा है, उसमें बचने के चांस क्या है?’ सर्वेश कुमार ने दावा किया, ‘लिखा-पढ़ी में कोई चीज अरेस्टिंग (गिरफ्तारी) में नहीं होती है. अरेस्ट तो होता है, लेकिन लिखित में अरेस्ट नहीं होता है. जब खुले में शूटिंग होती है तो बचने का कोई चांस ही नहीं होता.’

इंडिया टुडे की जांच से जो सामने आया, उसका ये मतलब नहीं है कि योगी सरकार के तहत जितनी भी पुलिस मुठभेड़ें हो रही हैं वो सब फर्जी हैं. लेकिन सर्वेश कुमार ने जो कुछ भी कहा, उससे संकेत मिलता है कि कुछ मुठभेड़ों को हिरासत वाले संदिग्धों के खिलाफ फर्जी तरीके से अंजाम दिया गया हो सकता है.

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सर्वेश कुमार ने दावा किया,‘ये बात तो सही है कि वो (टारगेट) दूसरी जगह से लाए जाते हैं.’

अंडर कवर रिपोर्टर-  ‘यानि पक़ड़ कर मार दिया जाता है.’

सर्वेश कुमार- ‘चाहें हम अपने आप से लेकर आएं...चाहे किसी माध्यम से आएं. किसी (टारगेट) को लालच देकर मुलाकात के लिए तय स्थान पर बुलाया जाता है. हमारे आदमी वहां होते है...हो गया.’

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार ऐसे आरोपों को खारिज करते रहे हैं कि राज्य पुलिस निर्दोष लोगों को फंसा रही है. योगी आदित्यनाथ ने मई में इंडिया टुडे से कहा था,‘पुलिस या प्रशासन निर्दोष व्यक्ति को नहीं मारता. वे ऐसा नहीं कर सकते. लेकिन अगर कोई पुलिस पर गोली चलाएगा तो पुलिस आत्मरक्षा में गोली चला सकती है.’योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘मैं जो कह सकता हूं वो ये है कि मेरी सरकार किसी के साथ भी जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करेगी. हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी होगी और हर नागरिक को विकास के लिए अवसर प्रदान कराए जाएंगे.' लेकिन जो असलियत है वो कुछ मामलों में भयावह हो सकती है.

आगरा जिले के पड़ोस में ही बसई जगनेर पुलिस स्टेशन के स्टेशन ऑफिसर जगदम्बा सिंह ने माना कि प्रमोशन (तरक्की) का लालच राज्य में पुलिस अधिकारियों से फर्जी मुठभेड़ तक करवा देता है. एसओ ने दावा किया, ‘एसओ का चार्ज लेने के लिए कोई कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है. हत्या कर दे, पैसे से खऱीद ले, इस पद के लिए कुछ भी किया जा सकता है.’

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जगदम्बा सिंह ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल हत्याएं और सत्ता का दुरुपयोग आम बात है. जगदम्बा सिंह ने कहा, ‘आज की डेट में मीडिया इतना हावी है तो भी एनकाउंटर हो रहे हैं. यूपी की पुलिस से ज्यादा ताकतवर भारत में और कोई पुलिस नहीं है.’

जगदम्बा सिंह ने शेखी बधारते कहा कि ‘काबुल के घोड़ों की तरह हम सबसे बढ़िया हैं. हमारे हाथ-पैर बंधे हैं. मुंह ढका है, फिर भी हम काट लेते हैं, लात मारते हैं, मार देते हैं. जो भी चाहते हैं कर देते हैं. हम भारत की सबसे ताकतवर पुलिस हैं.’  

जगदम्बा सिंह ने अपने विभाग के ऐसे आधिकारिक दावों को खारिज किया कि हर एनकाउंटर मौके पर अचानक होता है. जगदम्बा सिंह के दावे के मुताबिक जिले के पुलिस प्रमुख यानी एसएसपी को कुछ मामलों में संभावित एनकाउंटर के बारे में जानकारी हो सकती है. जगदम्बा सिंह ने कहा, कौन एनकाउंटर में हिस्सा लेगा? कांस्टेबल, दारोगा, इंस्पेक्टर.. यहीं तो होते हैं ना. लेकिन बिना कप्तान (एसएसपी) की सहमति के कुछ नहीं होता.’

बसई जगनेर पुलिस स्टेशन में ही सब इंस्पेक्टर बलबीर सिंह से अंडर कवर रिपोर्टर ने बात की तो बलबीर की ओर से किसी आगरा सिटी में ट्रांसफर के लिए बेताबी दिखाई गई.

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बलबीर सिंह ने कहा, सिटी में चौकी मिले तो ठीक है वरना क्या फायदा है. मान लो थाने में पोस्टिंग हो गई. इंस्पेक्टर ने उठाकर किसी चौकी पर कर दिया. अब चौकी इंचार्ज दूसरा है. वही सारा पैसा (घूस) ले जाएगा. हर चीज के बारे में जो भी निर्णय लेगा, वही लेगा.

बलबीर सिंह ने शहरी क्षेत्र में पोस्टिंग होने की स्थिति में फर्जी एनकाउंटर तक करने के लिए खुद को तैयार बताया. बलबीर सिंह ने कहा, ‘मैं शहर में आ जाऊंगा तो फिर देखता हूं एनकाउंटर. उसे (टारगेट) को शहर में पकड़ा जाएगा. इसकी व्यवस्था की जा सकती है.’

अंडर कवर रिपोर्टर- तो क्या उसे (टारगेट) पकड़ कर मारना ही है?

बलबीर सिंह-  ‘हां, लेकिन पकड़ने के बाद ही तो योजना बनाई जाती है. गोपनीय रखा जाएगा. कोई जान भी नहीं पाएगा. ऐसे ही ये काम किए जाते हैं.’

बलबीर सिंह ने अंडरकवर रिपोर्टर्स को हत्याओं के लिए भाड़े के हत्यारों से संपर्क करने की भी सलाह दी. बलबीर सिंह ने कहा, ‘अगर ये (हत्या) कराना चाहते तो हो तो पेशेवर शूटर्स से मिल सकते हो. तमाम ऐसे शूटर्स उपलब्ध हैं.’

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