राजधानी दिल्ली आज ही के दिन पांच साल पहले एक जघन्य अपराध से हिल गई थी. निर्भया गैंगरेप एवं मर्डर मामले ने जनता को सड़कों पर ला दिया और संसद को महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में कानून में बदलाव लाने के लिए मजबूर किया. इस वारदात ने सड़क से संसद तक और देश से दुनिया तक, हर जगह तहलका मचा दिया.
निर्भया के साथ हैवानियत करने वाले 6 आरोपियों में से चार वयस्क आरोपियों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. एक वयस्क आरोपी ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली, जबकि सर्वाधिक दरिंदगी करने वाले किशोर अपराधी को 3 साल बाल सुधार गृह में गुजारने के बाद रिहा कर दिया गया है.
RECALLING निर्भया कांड
16 दिसंबर, 2012-दिल्ली के मुनीरका में छह लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से सामूहिक बलात्कार और वहशीपन किया. घटना के वक्त पीड़िता का पुरुष मित्र भी बस में ही था और आरोपियों ने उसके साथ भी मारपीट की. घटना के बाद युवती और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया.
18 दिसंबर, 2012- दिल्ली पुलिस ने चारों वयस्क आरोपियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ़्तार कर लिया.
21 दिसंबर, 2012- नाबालिग आरोपी को दिल्ली से और छठा अभियुक्त अक्षय ठाकुर बिहार से गिरफ़्तार कर लिया गया.
29 दिसंबर, 2012- इस बीच पीड़िता सिंगापुर के अस्पताल में जिंदगी की जंग हार गई. पीड़िता के मां ने बताया कि वह आखिरी दम तक जीना चाहती थी.
3 जनवरी, 2013- पुलिस ने को पांच बालिग अभियुक्तों के ख़िलाफ़ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती के आरोपों के तहत चार्जशीट दाख़िल की.
17 जनवरी, 2013- फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने पांचों बालिग अभियुक्तों पर आरोप तय किए.
11 मार्च 2013- तिहाड़ जेल में सबसे बुजुर्ग आरोपी राम सिंह ने खुदकुशी कर ली.
31 अक्टूबर, 2013- जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया. नाबालिग अपराधी को प्रोबेशन होम में तीन साल गुज़ारने का फ़ैसला सुनाया.
10 सितंबर, 2013- फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने चार अन्य बालिग आरोपियों को 13 अपराधों के लिए दोषी ठहराया. चारों आरोपियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को 13 सितंबर को मौत की सजा सुनाई गई.
13 मार्च, 2014- दिल्ली हाई कोर्ट ने को चारों दोषियों की मौत की सज़ा को बरक़रार रखा.
15 मार्च, 2014- सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फांसी दिए जाने पर लगाई रोक.
20 दिसंबर 2015- नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया, जिसे लेकर देशभर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए.
27 मार्च 2016- सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा.
5 मई 2017- सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी. सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया हादसे को सदमे की सुनामी करार दिया.
9 नवंबर, 2017- एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की.