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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केसः सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय, 3 से शुरू होगा ट्रायल

बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फपुर शेल्टर होम कांड मामले के सभी आरोपियों के खिलाफ अदालत ने चार्ज फ्रेम कर दिया गया है. इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और शेल्टर होम के उसके कर्मचारी के अलावा बिहार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है. अब मामले में 3 अप्रैल से ट्रायल शुरू होगा.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फपुर शेल्टर होम कांड मामले के सभी आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिए हैं. अब 3 अप्रैल से मामले में ट्रायल शुरू हो जाएगा. इस मामले में 21 लोगों को आरोपी बनाया गया है. सभी आरोपियों के खिलाफ पोक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत ट्रायल चलाया जाएगा.

अतिरिक्त सेसन जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने 21 आरोपियों पर मुकदमा चलाने का आदेश देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और शेल्टर होम के उसके कर्मचारी के अलावा बिहार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है. इन पर आपराधिक साजिश, ड्यूटी में लापरवाही और लड़कियों पर हमले की रिपोर्ट करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया है.

इसके अलावा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत अपने अधिकार में बच्चियों के साथ क्रूरता के आरोप में भी केस चलेगा. अतिरिक्त सेसन जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने आदेश दिया है कि इस मामले में 3 अप्रैल से ट्रायल शुरू होगा. इस मामले में 31 मई 2018 को एफआईआर दर्ज की गई थी.

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इन सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बलात्कार, यौन हिंसा, यौन उत्पीड़न, नाबालिकों को नशीला पदार्थ देने और धमकी देने समेत अन्य आरोपों के तहत ट्रायल चलेगा. वहीं, अदालत के पेश हुए सभी आरोपियों ने खुद के बेकसूर होने का दावा किया है. इस मामले के मास्टरमाइंड और रसूखदार व्यक्ति ब्रजेश ठाकुर पर पॉस्को कानून के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इसके लिए 10 साल की जेल या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.

सभी आरोपियों पर शेल्टर होम में रहने वाली किशोरियों से बलात्कार और यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए गए हैं. आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड उस समय सुर्खियों में आया, जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की रिपोर्ट सामने आई.  यह शेल्टर होम मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर द्वारा चलाया जा रहा था. इस घटना ने बिहार  समेत पूरे देेश को दहला दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी को यह मामला बिहार से दिल्ली के साकेत स्थित पॉस्को अदालत भेजने का आदेश दिया था.

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