जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्लाय (JNU) के लापता छात्र नजीब अहमद के मामले की सुनवाई करते हुए मंगलवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने आरोपी 9 छात्रों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की अर्जी खारिज कर दी. इससे पहले आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की दिल्ली पुलिस की भी अर्जी खारिज हो चुकी है. सीबीआई ने बाकायदा कोर्ट को पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए छात्रों की सूची दी थी.
कोर्ट द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट की अर्जी खारिज होने के बाद ऐसा लग रहा है कि करीब 1 साल से लापता चल रहे नजीब अहमद के मामले का रहस्य अनसुलझा ही रह जाएगा. नजीब के मामले में हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस से यह मामला सीबीआई को जांच के लिए सौंप दिया था. लेकिन काफी वक्त गुजारने के बाद नजीब की गुमशुदगी को लेकर सीबीआई भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. इसीलिए सीबीआई इस मामले में पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहती थी.
सभी आरोपी JNU के ही छात्र हैं और वे पहले भी पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से इनकार कर चुके हैं. आरोपी छात्रों पर दिल्ली पुलिस और सीबीआई जांच में सहयोग न करने का आरोप भी लगा चुकी है. अब कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद नजीब की गुमशुदगी का रहस्य सुलझाना अब सीबीआई के लिए आसान नहीं होगा.
नजीब अहमद JNU से M.Sc. की पढ़ाई कर रहा था. 15 अक्टूबर 2016 को नजीब JNU परिसर से गायब हो गया और तब से उसका कुछ अता-पता नहीं चल सका है. ज्ञात हो कि लापता होने से पहले नजीब के साथ RSS के स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्यों ने मारपीट की थी. हालांकि ABVP से जुड़े छात्रों का कहना है कि नजीब के लापता होने में उनका कोई हाथ नहीं है.
नजीब के गुमशुदा होने के एक साल पूरा होने पर सीबीआई मुख्यालय के बाहर नजीब की मां फातिमा नफीस और JNU के विद्यार्थियों और अन्य कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया था.
इससे पहले 30 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई की आरोपी छात्रों का लाई-डिटेक्टर टेस्ट करवाए जाने के लिए लगाई गई याचिका पर सुनवाई करने की मंजूरी दे दी थी. साथ ही कोर्ट ने आरोपी छात्रों से भी सीबीआई की इस मांग पर अपने-अपने जवाब देने के लिए कहा था.
जेएनयू के माही-मांडवी हॉस्टल में 14 अक्टूबर 2016 को छात्र नजीब से कुछ एबीवीपी छात्रों की झड़प का मामला सामने आया था. झगड़े की अगली सुबह 15 अक्टूबर को नजीब कैंपस से लापता हो गया था. जिसके बाद उसके घरवालों ने एफआईआर दर्ज कराई थी. पुलिस ने लंबे समय वक्त मामले की जांच की, लेकिन उसे नजीब का कोई सुराग नहीं मिला. जिसके बाद हाई कोर्ट ने केस की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था. बता दें कि एक साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी नजीब का कोई सुराग नहीं मिला है. नजीब का पता बताने पर 10 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया है.