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पाकिस्तान जाने की चाहत रखने वाली लड़कियां होती थीं हनी ट्रैप में इस्तेमाल

दिल्ली पुलिस ने आईबी की सूचना पर पाकिस्तान उच्चायोग के एक अधिकारी महमूद अख्तर को उस वक्त रंगे हाथों पकड़ा, जब वो सेना से जुड़े गुप्त दस्तावेज की सौदेबाजी कर रहा था. पूछताछ में आरोपियों ने जासूसी से जुड़े बेहद चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

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गिरफ्त में आए आरोपी
गिरफ्त में आए आरोपी

दिल्ली पुलिस ने आईबी की सूचना पर पाकिस्तान उच्चायोग के एक अधिकारी महमूद अख्तर को उस वक्त रंगे हाथों पकड़ा, जब वो सेना से जुड़े गुप्त दस्तावेज की सौदेबाजी कर रहा था. दिल्ली पुलिस ने महमूद के दो भारतीय साथियों को भी गिरफ्तार किया. इनके नाम सुभाष जांगिड़ और मौलाना रमजान है. इनको 26 अक्टूबर को दिल्ली के चिड़ियाघर के पास पकड़ा गया था. पूछताछ में आरोपियों ने जासूसी से जुड़े बेहद चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

कैसे फंसाता था आईएसआई एजेंट?
पूछताछ में मौलाना रमजान ने पुलिस को बताया कि वह हनी ट्रैप के लिए ऐसी लड़कियों का इस्तेमाल करता था जो पाकिस्तान जाना चाहती थीं, लेकिन उन्हें वीजा नहीं मिल पाता था. इसी बात का फायदा उठाकर वह अख्तर के जरिए उन लड़कियों का वीजा बनवाया करता था.

मौलाना, सुभाष और इनका एक अन्य साथी शोएब लड़कियों के रिश्तेदारों का भी वीजा बनवाकर या दूसरी तरह से मदद कर उनके साथ नजदीकियां बढ़ाते थे. जिसके बाद यह लोग उन लड़कियों को बीएसएफ के ऐसे रिटायर्ड और ट्रांसफर्ड अफसरों के पास भेजते थे, जिनसे उन्हें खुफिया जानकारी हासिल हो सकें.

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पूछताछ में खुलासा हुआ कि हनी ट्रैप में फंसे अफसर बदनामी के डर से उन्हें खुफिया जानकारी दे देते थे. ज्वाइंट सीपी रवींद्र यादव ने बताया कि हनी ट्रैप में शामिल लड़कियों की जानकारी साझा नहीं की जा सकती है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है. ज्वाइंट सीपी के मुताबिक, अख्तर ढाई साल से पाकिस्तान हाई कमीशन के वीजा सेक्शन में काम कर रहा था. इसलिए उसके लिए उन लोगों की पहचान करना मुश्किल काम नहीं था कि कौन उसके लिए जासूसी कर सकता है.

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