दिल्ली से सटे नोएडा सेक्टर 49 में सोमवार की शाम भूमाफिया मोती गोयल की बदमाशों ने हत्या कर दी. गाजियाबाद के नवयुग मार्केट में रहने वाला मोती गोयल बेहद शातिर प्रॉपर्टी डीलर था. इसने साल 2000 में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया था. धीर-धीरे ग्रेटर नोएडा और नोएडा में इसने अपनी पैठ बना ली.
जानकारी के मुताबिक, प्रॉपर्टी डीलिंग में आने से पहले मोती गोयल के परिवार का प्लाइवुड का काम था. लेकिन बाद में मोती ने सरफाबाद और सोरखा इलाके में जमीनों की खरीद फरोख्त शुरू कर दी. यहां से उसने मोटा मुनाफा कमाया. इसके बाद गाजियाबाद और नोएडा अथॉरिटी में गहरी पैठ बनानी शुरू कर दी.
देखते ही देखते मोती गोयल भूमाफिया बन गया. उसने सरकारी जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. सबसे पहले मोती गोयल का नाम साल 2002 में उस वक्त सामने आया, जब उसने अर्थला गांव के रकबे की 52 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया. इसकी कीमत 5 करोड़ से ज्यादा थी.
इसके बाद सरकारी जमीन के पेपर अथॉरिटी से गायब करवाकर उसे अपने नाम करवा लिया. फिर करीब ढ़ाई हजार करोड़ का सरकार से मुआवजा ले लिया. इस घटना के बाद मोती गोयल की वजह से 10 सरकारी कर्मचारी, जिसमें दो एसडीएम शामिल हैं, बर्खास्त किए जा चुके हैं.
साल 2005 में तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने नोएडा-गाजियाबाद पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि पुलिस बड़े-बड़े बदमाशों को मार रही है. ये लोग एक भूमाफिया को पकड़ नहीं पा रहे हैं. इसके बाद करीब 15 दिन घेराबंदी करने के बाद ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर से अप्रैल में इसको गिरफ्तार किया गया था.
साल 2006 में हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था. मोती गोयल के खिलाफ सीबीआई की अदालत में 3 मामले चल रहे हैं. जमीन कब्जाने के कुल 16 मामले चल रहे रहे हैं. मोती ने गाजियाबाद के शंभू इंटर कॉलेज में 6वीं कक्षा से लेकर 10वीं तक पढ़ाई की थी. 1970 में उसने पढ़ाई छोड़ दी थी.