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ट्रिपल तलाक बना जानलेवा, पीड़ित महिला ने लगा ली फांसी

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक विवाहिता के लिए तीन तलाक जानलेवा साबित हुई. महिला को उसके पति ने शादी के एक साल बाद ही तलाक दे दिया था. महिला दस साल तक इंसाफ पाने के लिए अदालत में मुकदमा लड़ती रही और जब उसे न्याय नहीं मिला तो उसने फांसी लगाकर जान दे दी.

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पुलिस मामले की छानबीन कर रही है
पुलिस मामले की छानबीन कर रही है

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक विवाहिता के लिए तीन तलाक जानलेवा साबित हुई. महिला को उसके पति ने शादी के एक साल बाद ही तलाक दे दिया था. महिला दस साल तक इंसाफ पाने के लिए अदालत में मुकदमा लड़ती रही और जब उसे न्याय नहीं मिला तो उसने फांसी लगाकर जान दे दी.

बाराबंकी पुलिस के मुताबिक गांव मंझपुरवा निवासी रफीक की बेटी आलिया का निकाह वर्ष 2007 में उनके गांव में ही रहने वाले इमरान के साथ हुआ था. शादी के करीब एक साल बाद दोनों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हुई और इमरान ने आलिया को तीन बार तलाक तलाक कहकर घर से निकाल दिया.

पति के इस बर्ताव से आलिया ने हार नहीं मानी उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया. और अपनी तलाक को चुनौती देते हुए इमरान के खिलाफ मुकदमा दायर करा दिया. अदालत में मुकदमा शुरू तो हुआ लेकिन उसे न्याय नहीं मिला. कोर्ट से केवल उसे तारीख पर तारीख मिलती रही.

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आलिया कोर्ट के चक्कर काट रही थी और उधर उसके पति इमरान ने दूसरी शादी की तैयारी कर ली थी. जब आलिया को इस बात का पता चला तो वो अंदर से पूरी टूट गई. और बुधवार को देर रात उसने गांव में ही फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. गुरुवार की सुबह उसकी लाश एक पेड़ से लटकी पाई गई.

गुरुवार को ही उसका पति इमरान शादी कर रहा था. आलिया इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सकी. दस साल तक अदालत के चक्कर काटने के बाद उसने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. पुलिस ने उसके शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.

गौरतलब है कि इसी तरह से सहारनपुर जनपद के ननौता नगर में भी एक शख्स ने दो बेटी हो जाने के बाद अपनी गर्भवती पत्नी शगुफ्ता को तीन बार तलाक-तलाक कह कर घर से निकाल दिया था. लेकिन शगुफ्ता ने उसके खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया और पीएम मोदी को पत्र लिखकर तीन तलाक खत्म करने की अपील की है.

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