बसपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने संभावित लोकपाल व्यवस्था में महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले पदों पर अनुसूचित जाति जनजाति तथा पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिये जाने की मांग करते हुए आगाह किया कि ऐसा नहीं होने पर उनकी पार्टी संसद में इस विधेयक का समर्थन ‘कतई’ नहीं करेगी.
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मायावती ने संवाददाताओं से कहा ‘‘आपसी सहमति के बाद लोकपाल विधेयक का जो भी मसौदा तैयार हो वह भारतीय संविधान के अनुरूप होना चाहिये. साथ ही भारतीय संविधान के अनुरूप उसे संसद में पारित भी होना चाहिये.’’
उन्होंने कहा ‘‘साथ-साथ केन्द्र द्वारा संविधान के निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की सोच तथा भावनाओं का आदर सम्मान करते हुए संभावित लोकपाल के अंदर महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले स्थानों पर अनुसूचित जाति जनजाति तथा पिछड़े लोगों को उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये.’’
मायावती ने कहा ‘‘लोकपाल विधेयक बनाने वाली समिति में भी इन वर्गो का प्रतिनिधित्व जरूर होना चाहिये. ऐसा नहीं किये जाने पर हमारी पार्टी संसद में इस विधेयक का कतई समर्थन नहीं करेगी.’’
उन्होंने कहा ‘‘हमारी पार्टी का यह भी मानना है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये केन्द्र सरकार जो भी विधेयक लाए वह हर मामले में सक्षम तथा कारगर होना चाहिये. इसलिये इसे पारित करने से पहले इस बात पर खास ध्यान दिया जाना चाहिये कि वह विधेयक भ्रष्टाचार से निपटने में पूरी तरह सक्षम होना चाहिये.’’
मायावती ने कहा कि जन लोकपाल विधेयक को लेकर अन्ना हजारे और उनकी टीम अगर अपनी शर्तों के हिसाब से संसद में इस विधेयक को पास कराना चाहते हैं तो उनकी सलाह है कि इन लोगों को जन लोकपाल विधेयक को लाये जाने के लिए आंदोलन करने के बजाय 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरें और तब अपने हिसाब से विधेयक बनवाये. उन्होंने कहा कि जहां तक देश में व्याप्त भ्रष्टाचार का सवाल है बहुजन समाज पार्टी शुरू से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ रही हैं और इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों का भी समर्थन करती रही है. साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जो भी लोकपाल विधेयक लाया जायें वह न केवल सशक्त हो बल्कि प्रभावी भी हो और इसमें ऐसे प्रावधान होने चाहिये जिसे आम आदमी समझ सकें.
जन लोकपाल विधेयक में ऊपर से लेकर निचले स्तर तक के लोकशाही को शामिल करने की अन्ना की शर्त के बारे में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि लोकपाल के दायरे में शीर्ष अधिकारियों को ही शामिल किया जायें क्योंकि जब उच्च स्तर के अधिकारी ईमानदार रहेंगे और उन पर अंकुश बना रहेगा तो निचले स्तर के अधिकारी तो अपने आप ही ईमानदार हो जायेंगे.
राज्यों में लोकायुक्त के गठन के बारे में उन्होने कहा कि इस संबंध में फैसला राज्य सरकारों पर ही छोड़ देना चाहिये साथ ही साथ यह भी कहा कि जहां तक ‘सिटीजन चार्टर’ का प्रश्न है उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही जनहित कानून लागू कर चुकी है.
न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में मायावती ने कहा कि इस संबंध में संसद में जो भी आम सहमति बनेगी बसपा उस निर्णय का समर्थन करेगी. उन्होंने केन्द्र सरकार से कहा कि पिछले 11 दिनों से अनशन पर बैठे अन्ना हजारे का अनशन तुरंत तुड़वाने का प्रयास करें.
साथ ही साथ मायावती ने यह भी कहा कि अन्ना हजारे द्वारा किये जा रहे आंदोलन की आड़ में कांग्रेस (यूपीए) तथा भाजपा (एनडीए) के बीच चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है. मायावती ने कहा कि भ्रष्टाचार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर राजनीतिक खींचातानी उचित नहीं है.
दिल्ली के रामलीला मैदान में कल रात कुछ अराजक तत्वों द्वारा की गयी गडबड़ी के मामले को दिल्ली सरकार गंभीरता से लेकर ऐसे तत्त्वों से सख्ती से निपटें अन्यथा देश में ऐसे तत्व कानून व्यवस्था खराब कर सकते है.
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में अन्ना हजारे के समर्थकों द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन के बारे में कहा कि प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण और अनुशासन में रह कर प्रदर्शन करें अन्यथा इसकी आड़ में कानून को हाथ लेने का कोई प्रयास किया गया तो सरकार सख्त कार्रवाई करेगी.
मायावती ने केन्द्र सरकार से कहा कि जातिवादी और सांप्रदायिक ताकतें संविधान में भी परिवर्तन की कोशिशों की जुगत में लगी हैं और वह ऐसे लोगों पर खुफिया नजर रखें अन्यथा देश का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है.