लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर सफलतापूर्वक आंदोलन चलाने के बाद गांधीवादी विचारक अन्ना हज़ारे ने एक मजबूत भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक पारित कराने की सांसदों की इच्छाशक्ति पर आशंका जताते हुए अपने समर्थकों को आगाह किया कि उन्हें ‘बड़ी लड़ाई’ के लिये तैयार रहना चाहिये.

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हजारे ने समर्थकों से कहा, बड़ी लड़ाई के लिये तैयार रहें

लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर सफलतापूर्वक आंदोलन चलाने के बाद गांधीवादी विचारक अन्ना हज़ारे ने एक मजबूत भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक पारित कराने की सांसदों की इच्छाशक्ति पर आशंका जताते हुए अपने समर्थकों को आगाह किया कि उन्हें ‘बड़ी लड़ाई’ के लिये तैयार रहना चाहिये.

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अन्ना हज़ारे
अन्ना हज़ारे

लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर सफलतापूर्वक आंदोलन चलाने के बाद गांधीवादी विचारक अन्ना हज़ारे ने एक मजबूत भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक पारित कराने की सांसदों की इच्छाशक्ति पर आशंका जताते हुए अपने समर्थकों को आगाह किया कि उन्हें ‘बड़ी लड़ाई’ के लिये तैयार रहना चाहिये.

मीडिया से बातचीत में 72 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि ‘सत्ता के भूखे’ नेता ऐसे किसी भी विधेयक को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे जिनमें भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रावधान हों या जिससे उनका सत्ता का सुख छीना जाता हो.

हज़ारे ने कहा कि सांसदों और विधायकों का निर्वाचन जनता की सेवा के लिये होता है, न कि जनता पर प्रभुत्व जमाने के लिये. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भविष्य में (संसद में इस विधेयक को पारित कराने के लिये) बड़ा आंदोलन चलाने की जरूरत होगी.

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हज़ारे ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वे (सांसद) विधेयक को आसानी से पारित कर देंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी शक्तियां कम हो जायेंगी.

उन्होंने कहा कि जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उनमें आज कोई डर की भावना नहीं है लेकिन प्रस्तावित लोकपाल विधेयक उनके भ्रष्टाचार को रोकेगा और इस समस्या पर बड़ा विराम लगा देगा.{mospagebreak}

हज़ारे ने कहा कि सीबीआई, सीवीसी और अन्य एजेंसियां सरकार के नियंत्रण में हैं, लिहाजा वे भ्रष्टाचार से प्रभावी तरीके से नहीं लड़ सकतीं. उन्होंने कहा कि जब लोकपाल विधेयक प्रभाव में आयेगा तो प्राधिकार को स्वायत्तता होगी और कोई भी उसके कामकाज में दखल नहीं दे पायेगा.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने प्रस्तावित कानून का राजनीतिक उद्देश्यों के लिये इस्तेमाल होने की आशंका को खारिज कर दिया.

हज़ारे ने स्वीकार किया कि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि बीते पांच दिन में उन्हें इतना जनसमर्थन मिलेगा. उन्होंने कहा कि जनता इतनी बड़ी तादाद में उनके समर्थन में इसलिये आगे आयी क्योंकि वह भ्रष्टाचार से आजिज़ आ चुकी है.

यह पूछने पर कि क्या वह युवाओं के लिये महात्मा गांधी की तरह राष्ट्र नायक बन गये हैं, हज़ारे ने कहा कि मैं तो गांधीजी के चरणों में भी बैठने के लायक नहीं हूं लेकिन गांधी ने मेरी विचार प्रक्रिया को प्रभावित किया है.

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इस सवाल पर कि उनके आंदोलन को सरकार को ‘ब्लैकमेल’ करने की कोशिश कहकर उनकी आलोचना की जा रही है, हज़ारे ने कहा कि उन्हें अनशन पर इसलिये जाना पड़ा क्योंकि सरकार ने लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर उनके पत्रों का जवाब नहीं दिया था.

उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जनता की भलाई के लिये था, यह निजी लाभ के लिये नहीं था. भूख हड़ताल करना विरोध का लोकतांत्रिक तरीका है.

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