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चिदंबरम ने अन्‍ना की गिरफ्तारी को जायज ठहराया

लोकपाल विधेयक पर गांधीवादी अन्ना हज़ारे के विरोध प्रदर्शन से निबटने की अपनी रणनीति में बदलाव का संकेत देते हुए सरकार ने उन पर व्यक्तिगत हमले से परहेज किया लेकिन यह कहते हुए उनकी गिरफ्तारी को जायज ठहराया कि पुलिस के आदेश की अवहेलना लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है.

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पी. चिदंबरम
पी. चिदंबरम

लोकपाल विधेयक पर गांधीवादी अन्ना हज़ारे के विरोध प्रदर्शन से निबटने की अपनी रणनीति में बदलाव का संकेत देते हुए सरकार ने उन पर व्यक्तिगत हमले से परहेज किया लेकिन यह कहते हुए उनकी गिरफ्तारी को जायज ठहराया कि पुलिस के आदेश की अवहेलना लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है.

गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह कोई सुखद कार्य नहीं था और हम में से कोई भी उन परिस्थितियों की व्याख्या करने में खुशी नहीं महसूस कर रहा है जिनमें यह घटनाक्रम हुआ. यह दुखदायी कर्तव्य है और हम इसे उतनी ही गंभीरता से कर रहे हैं जितनी गंभीरता इसके लिये जरूरी है. ‘ इसके साथ ही उन्होंने यह कहते हुए हजारे की गिरफ्तारी का जोरदार समर्थन किया कि जब दिल्ली पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंच गयी कि वह और उनके समर्थक निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर संज्ञेय अपराध करेंगे तब उसने कदम उठाया.

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मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के साथ संवाददाता सम्मेलन में चिदम्रबम ने कहा, ‘कल हजारे के साथ मुलाकात का प्रयास किया गया था लेकिन वह संभव नहीं हो पाया. आज सुबह पुलिस अधिकारी ने हजारे से भेंट की और उनके इस बयान की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया कि वह और उनके समर्थक निषेधाज्ञा का उल्लंघन करेंगे. पुलिस अधिकारी ने उनसे उनका इरादा पूछा.’

चिदम्बरम ने बताया, ‘हजारे ने कहा कि वह निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने जयप्रकाश नारायण पार्क जा रहे हैं. तब पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वह और उनके समर्थक संज्ञेय अपराध कर सकते हैं और शांति भंग होने की आशंका है, ऐसे में पुलिस ने अपराध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 और 151 के तहत कार्रवाई करने का फैसला किया. ‘ केंद्रीय मंत्रियों ने लोकपाल विधेयक लाने के हजारे के तरीके से हालांकि असहमति जतायी लेकिन स्पष्ट किया कि वे भ्रष्टाचार पर उनकी चिंता से इत्तेफाक रखते हैं.

सिब्बल ने कहा, ‘हम अन्ना के साथ हैं और अन्ना हमारे साथ हैं (जहां तक भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष की बात है).’ उन्होंने कहा कि असहमति अन्ना पक्ष के अपने विधेयक पर अड़ने और दूसरे विधेयक को बिल्कुल ‘नकारने’ पर पैदा हो रही है.

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चिदम्बरम ने यह माना कि भ्रष्टाचार को लेकर जनता में गहरी चिंता और नाराजगी है लेकिन उन्होंने उसी के साथ यह भी कहा कि लोकपाल कोई रामबाण नहीं है बल्कि वह उससे निबटने के कई उपायों में एक है.

सरकार की रणनीति में बदलाव संभवत: राहुल गांधी की कल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ भेंट के बाद आया. इस भेंट के बाद संप्रग के संकटमोचक प्रणव मुखर्जी और चिदम्रबम ने आज संसद में आपस में चर्चा की.

अन्ना की तीखी निंदा करने के पार्टी के पिछले रूख से हटते हुए सोनी ने कहा कि वह एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और सरकार ने प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने की उनकी बात पर भरोसा किया था. हालांकि उनका यह भी कहा था कि कोई भी इस बात की गारंटी नहीं दे सकता कि जब एक स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में लोग एकत्र होंगे तब कोई समस्या नहीं पैदा होगी क्योंकि मंच पर आसीन व्यक्तियों का उस आंदोलन में शामिल हो रहे हर व्यक्ति पर नियंत्रण नहीं होता.

उन्होंने कहा कि हो सकता है कि अन्ना को उनके सहयोगियों पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी एवं कानून के अच्छे जानकार वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, जिनको कानून की अच्छी जानकारी है, ने गलत सलाह दी हो.

सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने मीडिया की इन खबरों का भी हवाला दिया कि जब राजघाट पर पुलिस ने किरण बेदी को रोका था तब उनके साथ भाजपा के दो नेता थे.

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सवालों की बौछारों का जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा, ‘प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है और कोई भी सरकार उसके खिलाफ नहीं हो सकती है.’ उन्होंने इसी के साथ कहा कि एकतरफ यदि संवैधानिक अधिकार हैं तो दूसरी तरफ संवैधानिक दायित्व भी है.

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