live-in Partner Murder: अक्सर ये सवाल उठाया जाता है कि क्राइम शोज़ लोगों को क्राइम करने या क्राइम के बाद सबूत मिटाने के आइडियाज़ देते हैं. अब ये कितना सही है या कितना गलत, ये तो पता नहीं. लेकिन एक शख्स ने जो किया. जैसे किया. और फिर जो कहा. वो इस बात का सबूत है कि हां, कई बार क्राइम शोज़ मुजरिमों को गुनाहों के सबूत छुपाने या मिटाने के आइडियाज़ दे ही जाते हैं.
लाश और सबूत मिटाने की खौफनाक कहानी
हद तो ये है कि उस शख्स को ये तक पता है कि अपने जिस गुनाह को छुपाने के लिए इसने जिस क्राइम शो से आइडिया लिया, उस शो का एपिसोड नंबर क्या था? और जो एपिसोड नंबर उसने बताया, उस शो में सचमुच सबूत मिटाने की ठीक वैसी ही कहानी थी, जैसा उसने किया था. ये अजब कहानी है राजस्थान के उदयपुर की. जहां शक कुछ और था, खबर कुछ और थी, पकड़ा किसी और चीज़ के साथ गया और क्लाइमेक्स कुछ और निकला.
20 जनवरी 2024, उदयपुर
उस दिन उदयपुर पुलिस को मुखबिर से खबर मिली कि एक शख्स के पास अवैध हथियार है. पुलिस ने जाल फैलाया और उस शख्स को पकड़ लिया. मुखबिर की खबर सही निकली. हथियार के साथ पकड़े गए शख्स का नाम राहुल राज चतुर्वेदी था. राहुल कभी उदयपुर में एक मंदिर में पुजारी हुआ करता था. फिर बाद में उसने राजसमंद में चाय की पत्ती का बिजनेस शुरू कर दिया. अब अवैध हथियार के साथ जब पुलिस उससे पूछताछ शुरू करती है, तभी पूछताछ की टीम में शामिल एक हेड कांस्टेबल राहुल को पहचान लेता है.
पुलिसवाले ने राहुल का पहचाना
दरअसल, उस हेड कांस्टेबल ने चार साल पहले राहुल को थाने में तलब किया था. मामला झगड़े का था. पूरी कहानी ये थी कि 2019 में एक रोज़ भानुप्रिया नाम की एक महिला अपने दो बच्चों के साथ हनुमान मंदिर पहुंचती है. महिला रो रही थी. बच्चे भूखे थे. राहुल की उन पर नजर पड़ी. तब महिला ने बताया कि वो अपने पति से झगड़ कर आई है. दोनों में तलाक का मुकदमा चल रहा है. राहुल ने उन्हें खाना खिलाया और फिर वो कुछ दिन मंदिर में ही रही. इसके बाद वापस बच्चों के साथ अपने घर लौट गई.
महिला के साथ लिव इन में था मंदिर का पुजारी राहुल
कुछ महीने बाद भानुप्रिया फिर मंदिर लौटती है. इस बार वो अकेली थी. उसने राहुल को बताया कि उसका पति के साथ तलाक हो गया है. दोनों बच्चे अब पति के पास रहेंगे. इसी के बाद राहुल ने राज समंद इलाके में एक अपार्टमेंट में दो कमरे किराये पर ले लिए. अब राहुल और भानुप्रिया लिव इन में एक साथ रहने लगे. शुरुआत में भानुप्रिया की बड़ी बहन ने उसकी खैर खबर भी ली. बाद में उसने भी उसे उसके हाल पर छोड़ दिया. साल भर तक राहुल और भानुप्रिया ठीक ठाक रहे.
कोरोना काल में दोनों के बीच होने लगे थे झगड़े
अब साल 2020 आ चुका था. मई का महीना था. कोरोना की वजह से पूरे देश में लॉक डाउन था. बाकी लोगों की तरह ये दोनों भी अपने-अपने घरों में बंद हो गए. अपार्टमेंट में जो बाकी लोग रहते थे. वो कोरोना की वजह से लॉक डाउन शुरू होने से पहले ही अपने-अपने गांव और घरों को लौट चुके थे और पूरे अपार्टमेंट में सिर्फ राहुल और भानुप्रिया थे. साल बीतते बीतते रिश्ते ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था. अब दोनों में छोटी मोटी बातों पर अक्सर झगड़ा होने लगा. भानुप्रिया को मिर्गी का दौरा भी पड़ा करता था. इस दौरान भी दोनों में खूब झगड़ा होता था.
20 मई 2020 - मौत की रात
राहुल और भानुप्रिया में फिर झगड़ा हुआ. ये झगड़ा रात दो बजे तक इतना बढ़ चुका था कि गुस्से में राहुल ने भानुप्रिया की गला घोंट कर हत्या कर दी. कत्ल के बाद अब उसे डर लगने लगा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो भानुप्रिया की लाश का क्या करे. कमरे में लाश पड़ी थी. कुछ देर बाद राहुल ने अपना फोन उठाया और फोन पर ही क्राइम पट्रोल के एपिसोड देखने लगा.
क्राइम शो देखकर मिला आइडिया
दरअसल, राहुल क्राइम पेट्रोल देखने का आदी था. इत्तेफाक से उस रात उसके मोबाइल पर क्राइम पेट्रोल का जो एपिसोड खुला, वो एपिसोड नंबर 774 था. इसे एपिसोड में एक लाश को ठिकाने लगाने की कहानी थी. एपिसोड में दिखाया गया था कि कैसे कातिल एक महिला को मारने के बाद नीले रंग के एक ड्रम में उसकी लाश को रख देता है. फिर ड्रम को सीमेंट के गारे से चिन देता है.
ड्रम में लाश ठिकाने लगाने की तैयारी
राहुल जिस वक्त ये एपिसोड देख रहा था, तब उसी कमरे में ठीक उसके बराबर भानुप्रिया की लाश पड़ी थी. एपिसोड देखते ही वो चौंक उठता है. चौंकने की वजह ये थी कि उसे घर में भी एक ड्रम रखा हुआ था. राहुल को आइडिया मिल चुका था. ड्रम में रखे बेकार के सामान को वो बाहर निकाल देता है और सुबह होने का इंतजार करने लगता है. सुबह होते ही वो अपने एक जानकार के यहां से सीमेंट की एक बोरी लाता है.
सीमेंट के साथ लाश को ड्रम में चिन दिया
उसी सीमेंट का गारा बना कर पहले वो ड्रम के अंदर चारों तरफ उसे लगाता है. इसके बाद भानुप्रिया की लाश को उसी ड्रम में डाल देता है. लाश डालने के बाद अब वो ड्रम के मुंह पर भी सीमेंट लगाता है. फिर ड्रम का ढक्कन लगाता है और ढक्कन को भी सीमेंट से पैक कर देता है. अब एक ड्रम के अंदर भानुप्रिया की लाश पड़ी थी और ड्रम घर के अंदर था. राहुल अब बेफिक्र था. उसे पता था जिस एपिसोड ने उसे ये आइडिया दिया है, उस आइडिया के बाद अब पुलिस भी इस लाश को नहीं ढूंढ पाएगी. राहुल का यकीन गलत नहीं था. धीरे-धीरे वक्त बीतता गया. किसी को कानों-कान इस बात की खबर नहीं लगी. लेकिन राहुल ने लाश रखते वक्त एक छोटी सी गलती की थी. गलती ये कि उसने ड्रम के पेंदे पर यानी निचले हिस्से पर सीमेंट की लेप नहीं लगाया था.
एक गलती की वजह से फैली बदबू
इस एक गलती की वजह से करीब डेढ साल बाद जून 2022 में जब गर्मी अपने चरम पर थी, तब ड्रम का निचला हिस्सा जंग या गर्मी की वजह से खराब हो गया. उसमें लीकेज आ गया और उसी लीकेज की वजह से अब घर में बदबू फैलने लगी. तब राहुल वहां नहीं था. बल्कि वो उदयपुर में था. एक रोज़ मकान मालिक को राहुल के कमरे से आ रही इस बदबू का अहसास हुआ. उसने राहुल को फोन किया और इसकी जानकारी दी. राहुल को सच्चाई पता थी. लिहाजा, घबराया राहुल फौरन राजसमंद पहुंच गया.
मकान मालिक के साथ मिलकर ठिकाने लगा दी लाश
अब दिक्कत ये थी कि ड्रम बेहद वजनी था. अकेले उसे घर से निकाल कर कहीं दूर ले जाना राहुल के बस की बात नहीं थी. तब उसने पहली बार इस राज में अपने मकान मालिक को शामिल किया. अब दोनों मिल कर लाश को घर के पीछे एक सुनसान जगह पर ले गए. पीछे पहाड़ी का इलाक़ा था. डंडों और दूसरे जरियों से लाश के बचे-खुचे हिस्से दोनों ने ड्रम से बाहर निकाले फिर वहीं अपने साथ लाए पेट्रोल से उन्हें जला दिया. और बाकी सबूत पास ही बहने वाली एक नदी में फेंक दिए. बाकी ड्रम के हिस्से को दूसरी जगह ले जाकर नष्ट कर दिया.
कोर्ट में भानुप्रिया के कत्ल को साबित कैसे करेगी पुलिस
इस तरह एक अवैध हथियार के सहारे पुलिस भानुप्रिया के कत्ल की गुत्थी को सुलझा दिया. जिसका राज करीब चार साल तक एक ड्रम में कैद था. गिरफ्तारी के बाद राहुल ने खुल कर पुलिस को बताया कि वो क्राइम शो देखता है. हालांकि पुलिस ने इस केस को तो सुलझा लिया है. लेकिन इस केस का अंजाम अदालत में क्या होगा, ये कहना अभी मुश्किल है. इसकी झलक राहुल ने अभी से देनी शुरू भी कर दी है. जब वो पहली बार मीडिया के सामने लाया गया, तो वो तोते की तरह भानुप्रिया के कत्ल की कहानी सुना रहा था.
पुलिस के पास नहीं पुख्ता सबूत
लेकिन फिर जैसे ही उसका वकील उसे मिला, उसने फौरन अपनी बोली ही बदल ली. तब वो बोला कि उसने कब कहा कि उसने उसे मारा है? कायदे से राहुल के बयान या मकान मालिक की गवाही को छोड़ दें, तो भानुप्रिया के कत्ल से जुड़ा कोई भी सबूत पुलिस के पास नहीं है. ना लाश, न लाश के सबूत, न मौत की निशानी, न लाश के टुकड़े, ना ड्रम. चार सालों में सारे सबूत धुल चुके हैं. यानी अब पुलिस को सरकमस्टैंशियल एविडेंस यानी परिस्थिजन्य साक्ष्य पर ही इस केस को आगे ले जाना होगा.
(राजसमंद से देवेंद्र सिंह का इनपुट)