जो बात कोलकाता पुलिस ने महज 24 घंटे में बता दी थी, वही सच बताने में सीबीआई की टीम को 58 दिन लग गए. जी हां, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ जो कुछ हुआ था, उस मामले में सीबीआई ने कोलकाता की एक विशेष अदालत में पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है. इस चार्जशीट की कहानी बिल्कुल वही है, जो कोलकाता पुलिस ने सुनाई थी. चार्जशीट के मुताबिक, जूनियर डॉक्टर के साथ रेप हुआ था गैंग रेप नहीं. और इस जुर्म का एक ही आरोपी है- संजय रॉय.
CBI ने सुनाई पुलिसवाली कहानी
जो बात कोलकाता पुलिस ने करीब सवा दो महीने पहले कही थी, ठीक वही बात पूरे 58 दिनों बाद अब सीबीआई कह रही है. आरजे कर अस्पताल की ट्रेनी जूनियर डॉक्टर के साथ 9 अगस्त की सुबह जो कुछ हुआ उसकी जो कहानी अगले ही दिन यानी 10 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने सुना दी थी, ठीक वही कहानी 58 दिन बाद अब सीबीआई सुना रही है. लगभग सौ गवाहों, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट, सीसीटीवी कैमरों, फॉरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकेशन, ईयरफोन और ख़ुद आरोपी के बयान के बाद सीबीआई ने भी ये साफ कर दिया है कि ट्रेनी जूनियर डॉक्टर के साथ रेप हुआ था, ना कि गैंगरेप. ट्रेनी जूनियर डॉक्टर का क़त्ल एक अकेले संजय रॉय ने किया था. न कि इसके पीछे किसी और साज़िश थी.
45 पन्नों की पहली चार्जशीट
कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर कोलकाता पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने के ठीक 58 दिन बाद सीबीआई ने कोलकाता की एक कोर्ट में 45 पन्नों की पहली चार्जशीट दाखिल की और इसी चार्जशीट में 9 अगस्त की सुबह की वो पूरी कहानी दर्ज की, जिसको लेकर तमाम सवाल उठ रहे थे. लेकिन अब खुद सीबीआई ने उन सवालों के जवाब दे दिए हैं.
अकेले संजय रॉय ने की थी दरिंदगी
सियालदह की विशेष अदालत में दाखिल इस चार्जशीट के मुताबिक कोलकाता पुलिस का वॉलेंटियर संजय रॉय ही इस पूरे केस में इकलौता आरोपी है. ट्रेनी जूनियर डॉक्टर का रेप और क़त्ल उसी ने किया. इस वारदात में उसके अलावा और कोई शामिल नहीं था. अलबत्ता वारदात के बाद सबूतों से छेड़छाड़ और वारदात की रिपोर्ट लिखाने में देरी के अलावा भ्रष्टाचार के मामले में अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष को सीबीआई ने दोषी जरूर ठहराया है.
केस सुलझाने में काम आईं तीन अहम बातें
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, इस केस को सुलझाने में तीन चीजें सबसे अहम साबित हुई-
- पहली- सेमिनार रूम के बाहर सीसीटीवी कैमरे से मिली तस्वीरें. जिनमें 9 अगस्त की सुबह 4 बजे संजय रॉय सेमिनार हॉल के अंदर जाता दिखाई देता है. और आधे घंटे बाद वो बाहर निकल जाता है. इस दौरान सेमिनार हॉल में संजय के अलावा ना और कोई दूसरा गया, न बाहर आया.
- दूसरी- सेमिनार हॉल से मिला संजय रॉय का मोबाइल का ईयरफोन. जो बाद में उसी के ब्लूटूथ से कनेक्ट हो गया था.
- तीसरी और सबसे अहम चीज थी फॉरेंसिक रिपोर्ट. ट्रेनी जूनियर डॉक्टर के नाखुन में मिले खून से संजय का डीएनए मैच कर गया. इसके अलावा सीमन का डीएनए भी संजय से मैच कर गया था. प्राइवेट पार्ट से संजय के अलावा और किसी का कोई डीएनए सैंपल नहीं मिला था और इसी चीज़ ने ये साफ कर दिया कि ट्रेनी जूनियर डॉक्टर के साथ संजय रॉय ने ही रेप किया था और ये गैंगरेप का मामला नहीं है.
रेप के वक्त बेहोश थी जूनियर डॉक्टर
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, 8 और 9 अगस्त के दौरान संजय रॉय कुल चार बार आरजी कर अस्पताल के अंदर गया था. उस रात संजय ने काफी शराब पी रखी थी. उसी नशे में वो रात करीब चार बजे अस्पताल के तीसरी मंजिल पर पहुंचा. इस बात से अंजान कि सेमिनार हॉल में ट्रेनी जूनियर डॉक्टर सो रही है, वो सेमिनार हॉल में पहुंच गया. वहां उसे ट्रेनी डॉक्टर दिखाई देती है. इसी के बाद वो उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है. ट्रेनी डॉक्टर खुद को बचाने की कोशिश करती है. तभी वो उसका मुंह और गला दबाने लगता है. चार्जशीट के मुताबिक संजय रॉय ने जब ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप किया, तब वो बेहोश थी.
CBI को उलझाने की कोशिश कर रहा था संजय रॉय
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, ट्रेनी जूनियर डॉक्टर के जिस्म पर कुल 16 बाहरी और 9 अंदरुनी चोट थी. खुद को बचाने के दौरान उसने संजय रॉय पर हमला भी किया था. जिसकी वजह से खरोंचने के दौरान उसके नाखुन में संजय का ब्लड आ गया था. संजय रॉय के हाथ और गर्दन पर भी खरोंचे जाने के निशान मिले थे. जिसका वो सही-सही जवाब नहीं दे पाया था. चार्जशीट में कहा गया है कि संजय रॉय शुरू से ही सीबीआई को अपने बयानों से उलझाने की कोशिश कर रहा था. वो इस पूरे मामले को खुद के खिलाफ एक साज़िश बता रहा था.
अस्पताल प्रशासन ने देर से दी थी पुलिस को सूचना
चार्जशीट में लिखा है कि 9 अगस्त की सुबह साढ़े 9 बजे इस वारदात के बारे में पहली बार तब पता चला जब जूनियर ट्रेनी डॉक्टर के कुछ साथी जिन्हें मालूम था कि वो सेमिनार हॉल में सो रही है, उसे जगाने के लिए वहां पहुंचे. इसके बाद जूनियर डॉक्टर की हालत देख कर उन्होंने फौरन अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों को ये बात बताई. अस्पताल प्रशासन ने साढ़े नौ बजे ये जानकारी मिलने के बावजूद अगले 45 मिनट तक पुलिस को इनफॉर्म नहीं किया. 45 मिनट बाद जब ताला पुलिस स्टेशन को ये खबर दी गई, तब भी ये बताया गया कि सेमिनार हॉल में एक जूनियर डॉक्टर बेहोशी की हालत में पड़ी है. चार्जशीट में घर वालों को भी देरी से खबर देने की बात की गई है.
ऐसे मिली थी सीबीआई को इस मामले की जांच
कमाल की बात ये है कि जो बात सीबीआई 58 दिन बाद कह रही है, वो भी एक कानूनी दस्तावेज यानी चार्जशीट की शक्ल में, ठीक यही सारी बातें 9 अगस्त को ही यानी जिस दिन ये वारदात हुई उसी दिन कोलकाता पुलिस ने भी अपनी शुरुआती जांच के बाद ही कह दी थी. वारदात के कुछ घंटे के अंदर ही कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय को अस्पताल के करीब से ही पुलिस बैरक से गिरफ्तार कर लिया था. पूछताछ के बाद कोलकाता पुलिस ने तब ये दावा भी किया था कि संजय रॉय ही जूनियर डॉक्टर का रेपिस्ट और क़ातिल है. लेकिन तब तक माहौल गर्मा चुका था. डॉक्टर इंसाफ की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर चुके थे. कुछ लोग कोलकाता होई कोर्ट भी पहुंच चुके थे. इन सबके बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद आगे आकर ये ऐलान किया था कि सात दिन के अंदर-अंदर ये केस अगर कोलकाता पुलिस नहीं सुलझा पाई, तो वो खुद इसे सीबीआई के हवाले कर देंगी. लेकिन ममता बनर्जी के बयान के अगले ही दिन कोलकाता हाई कोर्ट ने ये मामला कोलकाता पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया था.
14 अगस्त को सीबीआई ने शुरू की थी जांच
सीबीआई की भारी भरकम टीम अब कोलकाता पहुंच चुकी थी. 14 अगस्त को सीबीआई ने ऑफिशियली ये केस अपने हाथों में ले लिया. इसके बाद तफ्तीश शुरू हुई. पूरे देश की निगाहें सीबीआई के अगले कदम की तरफ थी. इस दौरान तमाम तरह की बातें मीडिया में तैरने लगी थी. अस्पताल में चल रहे पोर्नोग्राफी रैकेट से लेकर मानव अंगों की तस्करी के रैकेट तक की बातें होने लगीं. जूनियर डॉक्टर के कत्ल और रेप के पीछे बड़ी और गहरी साजिश की बातें उठने लगीं. देखते ही देखते ही देश भर के बाकी डॉक्टर भी कोलकाता के हड़ताली डॉक्टरों के साथ हो लिए.
CBI ने दो-दो बार सुप्रीम कोर्ट में जमा की स्टेटस रिपोर्ट
इतना ही नहीं लोगों के गुस्से को देखते हुए खुद सुप्रीम कोर्ट तक अपनी मर्जी से इस केस में कूद पड़ा. कोलकाता पुलिस, सीबीआई, बंगाल सरकार सभी को सुप्रीम कोर्ट में तलब किया गया. सीबीआई ने भी तफ्सील से सुप्रीम कोर्ट को केस की जानकारी दी. दो-दो बार केस की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में जमा की. अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल से लगातार हफ्ते भर से ज्यादा पूछताछ की. फिर पूर्व प्रिंसिपल को गिरफ्तार भी किया. लेकिन जूनियर डॉक्टर के रेप या मर्डर के इल्जाम में नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के मामले में.
BNS की इन धाराओं में दर्ज है केस
लेकिन इन सारी कवायद के बाद आखिर में सीबीआई का सच भी वही निकला, जो 24 घंटे के अंदर कोलकाता पुलिस ने सबको बता दिया था. सीबीआई की चार्जशीट में संजय रॉय के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 यानी रेप, धारा 66 जान लेने की कोशिश और धारा 103 यानी कत्ल के तहत मुकदमा चलाने की अदालत से गुजारिश की गई है. भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 यानी रेप के मामले में 20 साल से लेकर उम्र कैद तक की सज़ा है। जबकि धारा 103 यानी कत्ल के मामले में सजा या मौत या उम्र कैद की सजा का प्रावधान है.
क्या संजय रॉय को अगले 30 दिनों में मिलेगी सजा?
पश्चिम बंगाल सरकार भी इसी केस के बाद विधान सभा में रेप को लेकर नया कानून लेकर आई थी. ये दावा किया गया था कि रेप के मामलों में आरोपी को 30 दिनों के अंदर-अंदर सजा दी जाएगी. अब देखना ये है कि 58 दिनों बाद दायर चार्जशीट पर सियालदह की स्पेशल कोर्ट कितने दिनों में चार्जफ्रेम करती है और कितने वक्त में सजा सुनाती है. क्या संजय रॉय को अगले 30 दिनों में अदालत सजा दे पाएगी?