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रेलवे का इंजीनियर 'नटवर लाल', स्क्रैप माफियाओं को बेच डाला स्टीम इंजन, खुलासा हुआ तो हैरान रह गए लोग

बिहार के समस्तीपुर डीजल शेड के एक इंजीनियर ने समस्तीपुर रेलमंडल के पूर्णिया स्टेशन पर छोटी लाइन के जमाने की खड़ी स्टीम इंजन को फर्जीवाड़ा करके स्क्रैप माफियाओं को हाथों बेच दिया. मामले का खुलासा तब हुआ जब आरपीएफ में तैनात महिला सिपाही ने इसकी तहकीकात की. बेचे गए इंजन की कीमत करोड़ रुपये में आंकी जा रही है.

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Steam Engine
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • रेलवे इंजीनियर ने बेच डाला स्टीम इंजन
  • खुलासा हुआ तो हैरान रह गए लोग

बिहार के समस्तीपुर डीजल शेड के एक इंजीनियर ने समस्तीपुर रेलमंडल के पूर्णिया स्टेशन पर छोटी लाइन के जमाने की खड़ी स्टीम इंजन को फर्जीवाड़ा करके स्क्रैप माफियाओं को हाथों बेच दिया. मामले का खुलासा तब हुआ, जब आरपीएफ में तैनात महिला सिपाही ने इसकी तहकीकात की. बेचे गए इंजन की कीमत करोड़ रुपये में आंकी जा रही है. इस घोटाले को लेकर समस्तीपुर रेलमंडल के डीआरएम आलोक अग्रवाल के निर्देश पर आरपीएफ के दरोगा सहित तीन रेलकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. वहीं डीआरएम ने एक जांच टीम का गठन कर दिया है.

कैसे हुआ स्टीम इंजन स्क्रैप घोटाला?

बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बनी जिसमें नटवर लाल को ताजमहल और गंगा घाट को बेचते हुए देखा गया था. लेकिन रील से अलग रियल में भी ऐसी घटनाएं होने लगी हैं. समूचा मामला बिहार के समस्तीपुर डिवीजन में आने वाले पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से जुड़ा है. यहां रेलवे में काम करने वाले एक इंजीनियर ने पूरा रेल इंजन ही बेच दिया है. यहां तक कि अधिकारियों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. इस गड़बड़ी के बारे में जानकारी तब मिली जब ऑन ड्यूटी एक महिला सिपाही संगीता कुमारी ने इसकी जांच शुरू की. उसकी रिपोर्ट के आधार पर अब आरपीएफ के दारोगा एमएम रहमान के बयान पर मंडल के बनमनकी पोस्ट पर रविवार देर शाम प्राथमिकी दर्ज की गई है. 

समस्तीपुर
समस्तीपुर

दरअसल हैरान करने वाला यह मामला पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से जुड़ा बताया गया है. आरोप है कि समस्तीपुर लोको डीजल शेड के एक इंजीनियर राजीव रंजन झा ने डीएमई का फर्जी कार्यालय आदेश दिखाकर रेलवे मंडल के पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के पास वर्षों से खड़ी छोटी लाइन का पुराना वाष्प इंजन स्क्रैप माफियाओं के हाथ बेच डाला. मामला उजागर नहीं हो, इसके लिए डीजल शेड पोस्ट पर कार्यरत एक दारोगा की मिलीभगत से शेड के रजिस्टर पर एक पिकअप वैन स्क्रैप के अंदर प्रवेश करने संबंधी एंट्री भी करवा दी गई.

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गड़बड़ी तब शुरू हुई, जब बीते 14 दिसंबर 2021 को समस्तीपुर डीजल शेड के इंजीनियर राजीव रंजन झा, हेल्पर सुशील यादव के साथ पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के पास वर्षों से खड़ी पुराने वाष्प इंजन को गैस कटर से कटवाते हुए मिले. जब पूर्णिया आउट पोस्ट प्रभारी एमएम रहमान आर ने रोका तो इंजीनियर ने डीजल शेड के डीएमई का पत्र दिखाते हुए आरपीएफ को लिखित रूप से मेमो दिया कि इंजन का स्क्रैप वापस डीजल शेड ले जाना है.

अगले दिन सिपाही संगीता ने स्क्रैप लोड पिकअप के प्रवेश की एंट्री देखी लेकिन स्क्रैप था ही नहीं. संगीता ने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी. इस चोरी को लेकर आरपीएफ की पूछताछ के दौरान डीएमई ने कहा, इंजन का स्क्रैप लाने के लिए डीजल शेड से कोई आदेश जारी नहीं हुआ. सिपाही संगीता की सूचना के बाद स्क्रैप की खोज शुरू हुई. मंडल सुरक्षा आयुक्त एके लाल ने बताया कि एमएम रहमान ने डीजल शेड से जारी पत्र के बारे में जांच शुरू की तो शेड के डीएमई ने इस तरह का कोई भी पत्र कार्यालय से जारी करने की बात से इनकार कर दिया.

स्टीम इंजन
स्टीम इंजन

दो दिनों तक खोज के बाद भी कहीं स्क्रैप लोड वाहन की जानकारी नहीं मिली. फिर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई. इस मामले में पूर्णिया कोर्ट स्थित आरपीएफ के दारोगा एमएम रहमान के बयान पर मंडल के बनमनकी पोस्ट पर रविवार देर शाम प्राथमिकी दर्ज की गई है. इसमें इंजीनियर राजीव रंजन झा, हेल्पर सुशील यादव समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया है. उधर डीआरएम आलोक अग्रवाल के आदेश पर इंजीनियर व हेल्पर के अलावा डीजल शेड पोस्ट पर तैनात दारोगा वीरेंद्र द्विवेदी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. मामला उजागर होने के बाद से फरार चल रहे इंजीनियर आरआर झा की गिरफ्तारी के लिए आरपीएफ की टीम लगातार छापेमारी कर रही है.

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क्या कहते हैं डीआरएम?

डीआरएम आलोक अग्रवाल ने कहा कि मुझे पता चला कि मेरे एक कर्मचारी ने पूर्णिया में पड़े हमारे स्क्रैप को डीजल शेड ले जाने के नाम पर धोखा किया है.  बाद में पता चला कि जहां ले जाने की बात कही गई थी वहां पर स्क्रैप पहुंचा ही नहीं. इस चीज को हमने संज्ञान में लिया और कार्रवाई कर रहे है. जो भी दोषी है उसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कर्मचारियों को निलंबित भी किया गया है .इस तरह का कार्य हमको कतई स्वीकार नहीं है. एफआईआर हुई है और उसके बाद रेल संपत्ति अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है.

(इनपुट- संतोष नायक)

 

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