दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रविवार को अवैध हथियारों की तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है. नीरज बवाना गैंग से जुड़े हथियार सप्लायर नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यहां से बड़े पैमाने पर अवैध हथियार जब्त किए गए हैं. इनमें 15 सेमी ऑटोमैटिक पिस्तौल, 150 जिंदा कारतूस और 8 मैगजीन शामिल हैं.
डीसीपी (क्राइम ब्रांच) हर्ष इंदौरा ने बताया कि मुख्य आरोपी की पहचान मोहम्मद शाजिद (42) के रूप में हुई है. उसके अन्य साथियों के नाम विशाल राणा (28), अनिकेत (32) और सौरभ ढींगरा (38) हैं. 11 अगस्त को क्राइम ब्रांच ने नेताजी सुभाष प्लेस डिस्ट्रिक्ट सेंटर की पार्किंग में जाल बिछाकर शाजिद को हिरासत में लिया था. उसकी कार में हथियारों का जखीरा था.
इस दौरान 10 पिस्तौल, 118 जिंदा कारतूस और 8 मैगजीन बरामद किए गए थे. शाजिद से पूछताछ में खुलासा हुआ कि वो उत्तर प्रदेश के मेरठ और मवाना से हथियार लाकर नीरज बवाना गैंग के अफसर गिरोह और अन्य आपराधियों को सप्लाई करता था. उसने स्वीकार किया कि अभी तक 100 से ज्यादा हथियार दिल्ली और एनसीआर में सप्लाई कर चुका है.
डीसीपी ने बताया कि पूछताछ में ये भी खुलासा हुआ है कि हर हथियार को 35 से 40 हजार रुपए में खरीदा जाता था. इसके बाद 50 से 60 हजार रुपए में बेचा जाता था. शाजिद के खुलासे के बाद पुलिस की अलग-अलग टीमों ने छापेमारी तेज कर दी. 17 अगस्त को इंद्रपुरी निवासी विशाल राणा (28) को गिरफ्तार किया गया. उसके पास से पिस्तौल और कारतूस बरामद हुआ.
विशाल राणा पहले भी अवैध हथियारों की तस्करी के दो मामलों में शामिल रह चुका है. 9 सितंबर को राजौरी गार्डन निवासी अनिकेत (32) को एक सेमी ऑटोमैटिक पिस्तौल और दो जिंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया. तीसरे रिसीवर कीर्ति नगर निवासी सौरभ ढींगरा (38) को 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया. उसके पास से तीन सेमी ऑटोमैटिक पिस्तौल और 27 जिंदा कारतूस मिले.

सौरभ ढींगरा पर पहले से हत्या के प्रयास समेत तीन गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इन ताजा बरामदियों के साथ कुल संख्या 15 पिस्तौल और 150 कारतूस पर पहुंच गई. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक शाजिद को पहले साल 2012 में दिल्ली में डकैती और लूट के दो अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया था. साल 2022 में आर्म्स एक्ट और हत्या के प्रयास के तहत मामले दर्ज हुए थे.
साल 2023 में पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे हथियारों की एक बड़ी खेप के साथ गिरफ्तार किया था, लेकिन रिहा होने के बाद उसने फिर तस्करी शुरू कर दी. शाजिद का पुराने मामलों से जुड़ा इतिहास और उसकी वापसी यह दिखाता है कि रैकेट कितनी संगठित तरीके से सक्रिय है. शाजिद और उसके नेटवर्क ने पिस्तौल और कारतूस की आपूर्ति में एक व्यवस्थित चेन बना रखी थी.