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‘ISIS दुल्हन’ शमीमा बेगम ने बताया- क्यों आतंकी संगठन से जुड़ने के लिए ब्रिटेन छोड़ने का लिया था फैसला?

शमीमा के माता-पिता बांग्लादेशी मूल के हैं. शमीमा का जन्म ब्रिटेन में ही हुआ. 2015 में रक्का पहुंचने के कुछ दिनों के बाद ही शमीमा ने डच मूल के यागो रिएदिज्क से शादी कर ली थी. उस वक्त रिएदिज्क की उम्र 23 साल थी.

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‘ISIS  दुल्हन’ के नाम से कुख्यात रही शमीमा बेगम (फोटो: एएफपी)
‘ISIS दुल्हन’ के नाम से कुख्यात रही शमीमा बेगम (फोटो: एएफपी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ‘द रिटर्न : लाइफ ऑफ्टर ISIS’ में शमीमा ने किए कई खुलासे
  • 15 साल की उम्र में ISIS में शामिल होने सीरिया पहुंच गई थी
  • 2 अन्य स्कूली छात्राओं के साथ तुर्की से रक्का तक पहुंची थी

‘ISIS  दुल्हन’ के नाम से कुख्यात रही शमीमा बेगम ने एक डॉक्यूमेंट्री में खुलासा किया है कि उसने फरवरी 2015 में आतंकवादी संगठन ISIS में शामिल होने के लिए सीरिया जाने का फैसला किन हालात में लिया था. उस वक्त शमीमा की उम्र महज़ 15 साल थी.  

शमीमा ने डॉक्यूमेंट्री ‘द रिटर्न : लाइफ ऑफ्टर ISIS’ में बताया है कि क्योंकि उसकी सहेलियों की ओर से ऐसा किया जा रहा था और वो ऐसी दोस्त बन कर नहीं रहना चाहती थी जो पीछे छूट जाए.

शमीमा अब 21 साल की है और उत्तरी सीरिया के अल रोज कैम्प में रह रही है. ये कैम्प सशस्त्र बलों के नियंत्रण में है. ब्रिटेन छोड़ने से पहले शमीमा घरवालों के साथ ईस्ट लंदन के बेथनाल ग्रीन इलाके में रहती थी. शमीमा फरवरी 2015 में दो और स्कूली छात्राओं के साथ ISIS में शामिल होने के लिए सीरिया पहुंच गई थी.  ये तीनों तुर्की से होते हुए रक्का तक पहुंची थीं.

कैम्प में 9 महीने की प्रेग्नेंट
फरवरी 2019 में शमीमा को सीरिया के एक रिफ्यूजी कैम्प में पाया गया था. उस वक्त वो नौ महीने की प्रेग्नेंट थी. इससे पहले वो तीन साल ISIS के कब्जे वाले क्षेत्र में बिता चुकी थी. 

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‘द मिरर’ की रिपोर्ट के मुताबिक शमीमा ने डॉक्यूमेंट्री में बताया कि जब उसने ब्रिटेन छोड़ा था तो वो बहुत छोटी और नासमझ थी. उस वक्त छुट्टियां थीं जब उसने अपनी दोस्तों के साथ जाने का फैसला किया था.

शमीमा ने कहा, “मैं जानती थी कि ये बड़ा फैसला था, लेकिन मैंने तब खुद को जल्दी ही कोई फैसला लेने के लिए मजबूर पाया था. मैं ऐसी दोस्त बन कर नहीं रहना चाहती थी जो पीछे छूट जाए.”  

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शमीमा बेगम ने बताया कैसे उसने अपनी मां से बिना मिले ही घर छोड़ दिया था जबकि जाने से पहले वो मां से एक बार गले मिलना चाहती थी.  

शमीमा उस वक्त दो और स्कूली छात्राओं- मीरा अबास और कादिजा सुल्ताना के साथ सीरिया रवाना हुई थी. शमीमा के दावे के मुताबिक मीरा और कादिजा बागहुज शहर में मारी गई थीं.   

छह साल में तीन बच्चे खोए
शमीमा के मुताबिक बीते छह साल में वो तीन बच्चों को भी खो चुकी है.  शमीमा ने कहा, “मुझे अब ऐसा महसूस होता है कि मेरा कोई दोस्त नहीं रहा, वहीं दोनों दोस्त मेरा सब कुछ थीं. मैं अपने देश की नागरिकता भी खो चुकी हूं.” 

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फरवरी 2019 में सीरियाई शरणार्थी शिविर में शमीमा बेगम के पाए जाने के बाद ब्रिटिश सरकार ने उसकी ब्रिटिश नागरिकता रद्द कर दी थी. 

बता दें कि शमीमा बेगम को फरवरी 2021 में ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने वापस लौटने की इजाजत नहीं दी. साथ ही उसे फिर से ब्रिटिश नागरिकता हासिल करने के लिए मुकदमा लड़ने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया था. शमीमा बेगम ने ब्रिटेन वापस आने के लिए और ब्रिटिश नागरिकता दोबारा हासिल करने के लिए याचिका दायर की थी. ब्रिटेन सरकार ने शमीमा की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और साथ ही कहा था कि अगर उसे लौटने की इजाजत दी जाती है तो ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होगा.

शमीमा के माता-पिता बांग्लादेशी मूल के हैं. शमीमा का जन्म ब्रिटेन में ही हुआ. 2015 में रक्का पहुंचने के कुछ दिनों के बाद ही शमीमा ने डच मूल के यागो रिएदिज्क से शादी कर ली थी. उस वक्त रिएदिज्क की उम्र 23 साल थी.

 

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