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धर्मस्थल में दफन 'राज', GPR स्कैनिंग से पर्दाफाश... SIT का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन, खुलेगा नरकंकाल का रहस्य?

Dharmasthala Mass Burial Case: कर्नाटक में धर्मस्थल के पास नेत्रावती नदी किनारे के घने जंगल में मंगलवार सुबह एसआईटी की टीम, फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स और जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) मशीन के साथ मौजूद थी. इस हाई-टेक तकनीक के जरिए जमीन के अंदर दबी लाशों का सच सामने लाने की कोशिश की गई.

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 बहुचर्चित धर्मस्थल सामूहिक दफन केस की जांच में नई तकनीक का इस्तेमाल. (Photo: ITG)
बहुचर्चित धर्मस्थल सामूहिक दफन केस की जांच में नई तकनीक का इस्तेमाल. (Photo: ITG)

कर्नाटक में धर्मस्थल के पास नेत्रावती नदी किनारे के घने जंगल में मंगलवार सुबह एसआईटी की टीम, फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स और जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) मशीन के साथ मौजूद थी. इस हाई-टेक तकनीक के जरिए जमीन के अंदर दबी लाशों का सच सामने लाने की कोशिश की गई. सोमवार को इसका रिहर्सल किया गया था और मंगलवार को पहली बार साइट नंबर 13 पर इसे उतारा गया.

यह वही साइट है, जिसे शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी ने सबसे ज्यादा लाशों का कब्रगाह बताया है. उसकी निशानदेही पर पहले भी 16 साइट्स की खुदाई हो चुकी है, जिनमें साइट नंबर 6 और साइट नंबर 11-ए से इंसानी कंकाल और हड्डियां मिली थीं. लेकिन साइट नंबर 13 पर डैम और बिजली के ट्रांसफॉर्मर होने से खुदाई में लगातार दिक्कतें आ रही थीं. यही वजह रही कि यहां का ऑपरेशन टल रहा था.

जीपीआर टेक्नोलॉजी का काम बिना मिट्टी खोदे जमीन के अंदर छुपी चीजों का पता लगाना है. यह ठीक वैसे ही काम करती है, जैसे एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड इंसानी शरीर के भीतर का चित्र दिखाता है. सेना, आर्कियोलॉजिकल सर्वे और डिजास्टर रेस्क्यू में इसका इस्तेमाल होता रहा है. पिछले हफ्ते उत्तरकाशी में आई तबाही के बाद मलबे में दबे लोगों की तलाश भी इसी तकनीक से हुई थी.

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मंगलवार सुबह करीब सवा 11 बजे साइट नंबर 13 पर घास काटकर 100 मीटर के दायरे में जीपीआर स्कैनिंग शुरू हुई, जो तीन घंटे चली. स्कैनिंग पूरी होने के बाद एसआईटी और एक्सपर्ट्स की मीटिंग हुई और तय हुआ कि यहां अब मैनुअल खुदाई होगी. इसके लिए बड़ी मशीनें मंगवाई गईं. पूरे ऑपरेशन में सख्त गोपनीयता रखी गई और मीडिया को इस साइट से दूर रखा गया.

पहले फेज की खुदाई, रिपोर्ट का इंतजार

साइट नंबर 13 समेत कुल 17 जगहों की खुदाई के साथ धर्मस्थल जांच का पहला फेज पूरा हो गया है. 29 जुलाई को साइट नंबर 1 से शुरू हुए इस ऑपरेशन में दो हफ्ते का वक्त लगा. शिकायतकर्ता के मुताबिक, उसने साल 1998 से 2014 के बीच 50 जगहों पर सैकड़ों लाशों को दफनाते देखा था. उसका दावा है कि इनमें ज्यादातर महिलाएं और लड़कियां थीं, जिनका रेप कर हत्या की गई थी.

 Dharmasthala Mass Grave Allegation

नए गवाह और गुमशुदगी की सूची

पहले अकेला सफाई कर्मचारी ही गवाह था, लेकिन अब छह और गवाह सामने आ चुके हैं. ये भी दावा कर रहे हैं कि उन्होंने गुपचुप तरीके से लाशें दफनाते देखा है और वे लोकेशन दिखा सकते हैं. एसआईटी इन सभी के बयान दर्ज कर रही है और जल्द ही नई साइट्स पर खुदाई का प्लान बना रही है. इसी बीच, धर्मस्थल और बेलाथंगड़ी थानों से 1995 से 2014 के बीच गुमशुदा और हादसों में मरे लोगों की लिस्ट मांगी गई है.

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जांच में रुकावट डालने का आरोप

एसआईटी की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, विरोध भी तेज हो रहा है. बीते हफ्ते जांच में जुटे कुछ पत्रकारों और यूट्यूबर्स पर हमला किया गया था. अब सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल है, जिसमें हासन स्थित एसडीएम कॉलेज ऑफ आयुर्वेद के छात्र ने आरोप लगाया है कि उन्हें आम नागरिक बनकर एसआईटी जांच और खुदाई के खिलाफ विरोध मार्च में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

 Dharmasthala Mass Grave Allegation

एनएचआरसी की निगरानी में जांच

छात्र के मुताबिक, यूनिफॉर्म और आईडी कार्ड न पहनने, सामान्य कपड़े पहनकर मार्च में जाने और गैर-हाजिर रहने पर सजा देने की धमकी दी गई. उसने मदद की गुहार लगाई है, ताकि वे इन घिनौने कार्यों का हिस्सा बनने से बच सकें. लेकिन पोस्ट के कुछ घंटे बाद ही इसे डिलीट कर दिया गया. इसके बाद हड़कंप मच गया. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले की जांच पर नजर रखना शुरू कर दी है. 

धर्मस्थल के अतीत की दबी कहानियां

कई लापता लोगों के परिवार आयोग से संपर्क कर चुके हैं. कर्नाटक सरकार ने एसआईटी के ऑफिस को पुलिस स्टेशन का दर्जा दे दिया है, ताकि शिकायतकर्ता सीधे वहां एफआईआर दर्ज करा सकें. फिलहाल, पहले फेज से क्या मिला और जीपीआर स्कैनिंग का नतीजा क्या रहा, इसकी रिपोर्ट का इंतजार है. लेकिन इस जांच ने धर्मस्थल के अतीत की दबी कहानियों को एक बार फिर सतह पर ला दिया है.

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