आस्ट्रेलिया की सबसे घनी आबादी वाले शहर सिडनी में बंगलुरु की एक महिला आईटी एक्सपर्ट अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद घर लौट रही थी. मेट्रो से उतरने के बाद उसे करीब 300 मीटर पैदल चलकर घर पहंचना था. पैदल चलते हुए वह अपने पति को बंगलुरु में फोन मिलाती है. दोनों फोन पर बात कर रहे होते हैं. तभी अचानक पति को फोन पर पत्नी की चीख सुनाई देती है. ये उसकी आखिरी चीख थी.
सिडनी में शनिवार रात 9:30 बजे चुके थे. बंगलुरु की रहने वाली 41 साल की प्रभा अरुण कुमार दफ्तर में डबल शिफ्ट करने के बाद वेस्टमीड अपने घर लौट रही थीं. मेट्रो से उतरने के बाद उन्हें सिडनी के पैरामैट्टा इलाके के पब्लिक वॉक-वे से गुजरना था. वॉक-वे के सीसीटीवी कैमरे में साफ दिखाई देता है कि प्रभा पैदल चलते हुए किसी से मोबाइल पर बात कर रही हैं. दूसरी तरफ फोन पर कोई और नहीं बल्कि सिडनी से हजारों मील दूर बंगलुरु में रहने वाले उनके पति जी अरुण कुमार हैं.
रोज इसी रास्ते से जाती थीं प्रभा
ये प्रभा का रुटीन था. वो जब भी दफ्तर से घर लौटतीं तो रास्ते में अपने पति से फोन पर बातचीत जरूर करती. सीसीटीवी कैमरे की ज़द में प्रभा बहुत थोड़े समय के लिए आईं. इसके बाद उन्हें अपने घर तक जाने के लिए एक पार्क को पार करना था. रात को अमूमन इस पार्क में सन्नाटा होता है.
पर प्रभा जैसे ही वॉक वे से निकलती हैं उन्हें अहसास होता है कि कोई उनका पीछा कर रहा है. चूंकि फोन पर अब भी बंगलुरु में पति से लगातार बात हो रही ती लिहाज़ा वो ये बात अपने पति को बताती हैं. इसके बाद अगले करीब एक मिनट तक और फोन ऑन रहता है और फिर सिडनी से हजारों मील दूर बंगलुरु में प्रभा के पति को प्रभा की आखिरी चीख सुनाई देती है. इसके बाद अचानक फोन कट जाता है.
हत्यारे ने चाकू से किया हमला
दोबारा प्रभा का फोन करीब तीन घंटे बाद ऑन होता है. तब बंगलुरु में प्रभा के पति को पता चलता है कि जब वो फोन पर उनसे बात कर रही थी ठीक उसी वक्त किसी ने चाकुओं से अंधाधुंध हमला कर प्रभा को मार डाला. उसी पार्क में जिस पार्क से होकर वो घर जा रही थी.
सिडनी के पैरामैट्टा इलाके में एक भारतीय आईटी एक्सपर्ट के क़त्ल की ये वारदात आस्ट्रेलिया से लेकर हिंदुस्तान तक हर किसी को दहला देता है. पहली नजर में यही लगता है कि कत्ल लूटपाट की वजह से हुआ. मगर कुछ देर बाद ही साफ हो जाता है कि मामला लूटपाट का नहीं है. तो फिर प्रभा का कत्ल क्यों हुआ?

सिडनी पुलिस का कहना है कि जिस वक्त प्रभा के साथ ये वारदात हुई, वो अपने वर्क प्लेस यानी माइंडट्री नाम की कंपनी से निकल कर अपने घर लौट रही थी. वो रात के क़रीब नौ बजे पैरामैट्टा रेलवे स्टेशन पर उतरी और अरगाएल स्ट्रीट के पब्लिक वॉक वे से गुज़रने लगी. आगे चल कर वो जैसे ही फुटपाथ से होती हई अपने घर की तरफ़ बढ़ी तभी पार्क में उसपर हमला हो गया. इस पार्क से उसके घर की दूरी सिर्फ़ 300 मीटर है.
हमलावर ने नहीं की लूटपाट
वारदात के वक्त प्रभा के पास मोबाइल फोन और कैश भी था. पर हमलावर ने कुछ भी नहीं छीना ना लूटा. वो बस आया और प्रभा की गर्दन पर एक के बाद एक तेजधार हथियार से हमला कर भाग गया. हालांकि उसके भागने के बाद भी प्रभा में जान बाकी थी. सीने, गले और जिस्म के कई दूसरे हिस्सों में चाकुओं के वार से बुरी तरह ज़ख्मी प्रभा फुटपाथ पर ही गिर गईं और चीखने लगीं. इसी बीच किसी की नजर बीच सड़क पर तड़प रही प्रभा पर गईं और उसे फ़ौरन अस्पताल ले जाया गया. लेकिन आधी रात को इलाज के दौरान ही प्रभा की मौत हो गई.
अब सवाल ये है कि आख़िर प्रभा पर ये हमला किसने किया? इस हमले का मकसद क्या था?हमलावर उसकी जान क्यों लेना चाहता था? अगर उसका इरादा सिर्फ़ प्रभा को लूटने का था, तो उसने प्रभा को यूं बुरी तरह चाकुओं से ज़ख्मी क्यों किया? कहीं ये रंग-भेद का मामला तो नहीं? पैरामैट्टा लोकल एरिया कमांड और स्टेट क्राइम कमांड्स होमीसाइड स्क्वायड की पुलिस और डिटेक्टिव टीमें इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ रही हैं.
'एक लंबा-चौड़ा इंसान मेरे सामने खड़ा है'
बंगलुरु से करीब 14 हजार किलोमीटर दूर सिडनी में जब प्रभा का कत्ल किया जा रहा था तब उसका पति उन आखिरी पलों की हर बातचीत, जान बख्श देने की गुहार और फिर आखिरी चीख सब कुछ लाइव सुन रहा था. पर वो बेबस था. कुछ कर नहीं सकता था. पर बातचीत के दौरान प्रभा ने जो कुछ बताया उसके मुताबिक हमलावर जो भी था वो बेहद लंबा-चौड़ा था और कम से कम लुटेरा नहीं था. वो प्रभा को मारने ही आया था
तीन साल पहले बेंगलुरू से सिडनी पहुंची प्रभा यूं ही अक्सर अपने पति से बात करती हुई घर लौटती थीं... लेकिन इस रोज़ प्रभा के साथ जो कुछ हुआ वो बेहद अजीब था. अभी प्रभा अरुण के साथ फ़ोन पर कनेक्टेड ही थीं कि आचनक प्रभा के सुर बदल गए. वो अपने पति को छोड़ कर अपने सामने खड़े एक अजबनी शख्स से बात करने लगी. उसने कहा, 'प्लीज़ मुझे मत मारो... मुझे छोड़ दो... मेरे पास जो कुछ है, तुम ले लो... लेकिन मुझे जाने दो.'
ये बातचीत तब फोन लाइन पर मौजूद अरुण लाइव सुन रहे थे. बातचीत सुन कर वो घबरा गए. पर इतनी दूर से कुछ कर बी नहीं सकते थे. बस फोन पर ही प्रभा को टोकते रहे उससे पूछते रहे कि क्या हुआ...क्या हो रहा है?. लेकिन प्रभा दूसरी तरफ से बस इतना ही कह पाई कि 'एक लंबा-चौड़ा इंसान अभी मेरे सामने खड़ा है. '
फिर इससे पहले कि प्रभा उन्हें कुछ और बतातीं, अगले ही पल अरुण ने जो कुछ सुना वो बेहद डरावना था. अजबनी के सामने गिड़गिड़ा रही प्रभा के मुंह से अब सिर्फ़ चीख़ें निकल रही थीं. इसके बाद प्रभा ने अरुण से जो आख़िरी बात कही, वो थी, 'मुझे लगता है कि मुझे चाकू मार दिया है.'
और इसके कुछ ही देर बाद प्रभा का फ़ोन डिसकनेक्ट हो गया. अपनी पत्नी से इतनी दूर फ़ोन पर उसकी चीख़ें सुन कर अरुण बुरी तरह घबरा गए. उन्होंने प्रभा का फ़ोन कटने के बाद उसके कुलीग और दोस्तों को फ़ोन करने की कोशिश की. लेकिन उन्हें इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली. इस दौरान वो लगातार सिडनी में अपने जानकारों से बात करने की कोशिश करते रहे. लेकिन तकरीबन आधे घंटे बाद उन्हें प्रभा के किसी कुलीग ने सिडनी से फ़ोन किया और फिर इसके बाद उसी कुलीग ने सिडनी पुलिस को प्रभा के बारे में ख़बर दी.
अस्पताल ले जाया गया, पर नहीं बची जान
उधर, एक चश्मदीद ने प्रभा को तड़पता देख कर पुलिस को पहले ही ख़बर दे दी थी. फौरन मौका-ए-वारदात पर पहुंच कर पुलिस ने बुरी तरह ज़ख्मी प्रभा को अस्पताल पहुंचाया और सुराग़ इकट्ठा करने के इरादे से क्राइम सीन की घेराबंदी कर दी.
लेकिन इससे पहले कि पुलिस प्रभा के हमलावर का कुछ पता लगा पाती, रात 12 बजकर 45 मिनट पर अस्पताल में इलाज के दौरान प्रभा की मौत हो गई.बेंगलुरू में प्रभा के पति अरुण के अलावा उनकी दस साल की एक बेटी भी है. अपनी पत्नी पर हुए इस हमले की जानकारी मिलते ही अरुण फ़ौरन आस्ट्रेलिया के लिए रवाना हो गए. फिलहाल, सिडनी पुलिस ने इस मामले की तफ्तीश के लिए एक ख़ास टीम बनाई है.
सिडनी पुलिस के मुताबिक शुरूआती तफ्तीश से साफ हो जाता है कि मामला लूटपाट का नहीं है. क्योंकि हमलावर ने प्रभा का कोई सामान नहीं लूटा. और जिस तरह से उसने हमला किया उससे साफ था कि वो प्रभा को मारने ही आया था. कातिल और कत्ल के मकसद तक पहुंचने के लिए पुलिस ने प्रभा के घर से तमाम जरूरी दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं. ताकि ये पता लगाया जा सके कि हाल के वक्त में किसी से उसकी दुश्मनी या रिश्तों में किसी से कोई खटास तो नहीं थी.