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1 जुलाई, 2 'बुराड़ी' और फंदे से झूलती 5 लाशें... मध्य प्रदेश में हुई रहस्यमयी मौतों की रौंगटे खड़े करने वाली कहानी

मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के राउड़ी गांव में एक घर के भीतर पांच लोगों के शव फांसी के फंदे पर लटकते हुए पाए गए हैं. इस खौफनाक घटना के बाद पूरे सूबे में हड़कंप मच गया है. कुछ इसी तरह की एक दिल दहला देने वाली घटना 6 पहले दिल्ली के बुराड़ी में हुई थी.

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मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के राउड़ी गांव में खौफनाक घटना...
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के राउड़ी गांव में खौफनाक घटना...

1 जुलाई 2018. दिल्ली का बुराड़ी इलाका. ठीक 6 साल पहले. ये वो तारीख थी जब दिल्ली के बुराड़ी इलाके से सामने आई एक खबर ने सिर्फ दिल्ली ही नहीं पूरे देश को दहला दिया था. 1 जुलाई की सुबह बुराड़ी के एक मकान के अंदर हॉल में लगी लोहे की जाली से 10 लोगों की लाशें झूल रही थी, जबकि उसी मंज़िल पर बने बेडरूम में बिस्तर पर 77 साल की एक बुजुर्ग महिला की लाश पड़ी थी. ये सभी के सभी 11 लोग एक ही परिवार के थे और इन सभी के सभी लोगों ने एक साथ खुदकुशी कर ली थी. 

इस खौफनाक घटना के ठीक 6 जाल बाद. 1 जुलाई 2024. मध्य प्रदेश का अलीराजपुर. एक बार फिर ठीक वैसी ही एक वारदात हुई है. फर्क बस इतना है कि इस बार जगह दिल्ली से 930 किलोमीटर दूर है. बुराड़ी में जहां 11 लोग फंदे से झूल रहे थे, वहीं अलीराजपुर में 5 लोग फंदे से झूलते मिले. अलीराजपुर जिले के इस सुदूर ग्रामीण इलाके से सोमवार 1 जुलाई की सुबह आई मास सुसाइड की खबर ने राजधानी भोपाल में बैठे शासन-प्रशासन के बड़े लोगों को भी हिला दिया. यहां के राउड़ी गांव में ये घटना हुई थी.

एक ही परिवार के पांच लोगों की लाशें घर के अंदर छत से लटक रही थी. फौरी तौर तो पर ये एक सामूहिक खुदकुशी का मामला ही लग रहा था. लेकिन जांच पूरी होने से पहले किसी नतीजे पर पहुंचना ज़रा मुश्किल था. वो भी तब जब इस परिवार के रिश्तेदारों के मुताबिक परिवार ने खुदकुशी नहीं की, बल्कि उनका क़त्ल कर दिया गया. ये सवाल भी अपनी जगह पर है कि क्या किसी ने साज़िशन पूरे परिवार को ख़त्म कर मामले को खुदकुशी का रंग देने की कोशिश की थी और सभी की सभी लाशों को रस्सी के सहारे टांग दिया? 

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गांव वालों ने जब इस मकान के अंदर छत से लटकती ये लाशें देखीं, तो उन्होंने फौरन पुलिस को इत्तिला दी और इसी के साथ इस भयानक और रहस्यमयी मामले की जांच शुरू कर दी गई. अलीराजपुर के एसपी राजेश व्यास समेत पुलिस के तमाम आलाधिकारी मौके पर पहुंचे और वारदात की सच्चाई जाने के लिए सुराग तलाशने की कोशिश शुरू कर गई. चूंकि मामले पर रहस्य की चादर पड़ी है और इस वारदात सामूहिक कत्ल का मामला मानने वालों की भी कमी नहीं है, इसलिए सच्चाई जाने के लिए एफएसएल टीम को भी बुलाया गया.

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फोरेंसिक टीम को इसलिए बुलाया गया, ताकि ये पता चल सके कि मामला सुसाइड या है या फिर कत्ल का? कहीं अगर ये मामला सुसाइड का है, तो फिर उसकी वजह क्या है? यदि क़त्ल का है तो फिर क़ातिल कौन हैं और उनका मकसद क्या है? फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की मौजूदगी में लाशों को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के साथ-साथ पुलिस ने सीन ऑफ क्राइम की भी बारीकी से जांच की और सबूत जुटाए. पुलिस ने इस मामले में मारे गए लोगों का पोस्टमार्टम डॉक्टरों के बोर्ड से करवाने का फैसला किया. 

इसक साथ-साथ मारे गए सभी लोगों की विसरा जांच की भी तैयारी कर रही है, ताकि ये पता चल सके कि अगर ये मामला कत्ल का है, तो उससे पहले क्या इस परिवार को धोखे से ज़हरीली चीज खिला दी गई, जिससे उनकी मौत हो गई और उसके बाद उनकी लाशों को फंदे से टांग दिया गया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिस परिवार की लाश फंदे से लटकती हुई मिली, वो खेती किसानी करता है. घर का मुखिया राकेश एक किसान है. उसकी जमीन घर के पास ही है. उसके साथ बाकी करने वालों में पत्नी ललिता, बेटी लक्ष्मी, बेटा प्रकाश और अक्षय शामिल है.

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इस वारदात में मारे गए राकेश के चाचा सोमवार की सुबह जब उसके घर पहुंचे, तो ये घर के अंदर का ये मंजर देख कर ठिठक गए. इसके बाद उन्होंने गांव वालों को जानकारी दी और फिर पुलिस को इत्तिला दी गई. अब तक की छानबीन में पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. हालांकि परिवार के लोगों का कहना है कि राकेश खुद पढ़ा-लिखा नहीं था. ऐसे में यदि ये सुसाइड भी है तो भी सुसाइड नोट लिखने या मिलने की गुंजाइश ना के बराबर है. खुदकुशी करने वाले परिवार का संबंध बिलाला आदिवासी समाज है, जिसे बड़ा ही जुझारू किस्म का माना जाता है.

इस समाज में खुदकुशी के मामले नहीं के बराबर हैं. ऐसे में राकेश और उसके परिवार ने खुदकुशी की होगी, इसकी उम्मीद भी ना के बराबर है. वैसे भी परिवार वालों और गांव वालों की मानें तो राकेश या उसके घरवालों ने कभी किसी से ऐसी किसी परेशानी का जिक्र नहीं किया, जिसे देखते हुए ये मान लिया जाए कि परिवार ने उस वजह से खुदकुशी कर ली होगी. ऐसे में सवाल ये है कि अगर मामला खुदकुशी का नहीं है, तो कत्ल का है और अगर कत्ल का है, तो उसकी वजह क्या हो सकती है? इस मामले को क़त्ल मानने वाले इस परिवार के रिश्तेदार और गांव वाले अपना ही तर्क दे रहे हैं.

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उनका कहना है कि राकेश के पिता जागर सिंह पर कुछ समय पहले कुछ गुमनाम लोगों ने जानलेवा हमला किया था. इस परिवार की किसी ना किसी से दुश्मनी हो सकती है. ऐसे में मुमकिन है कि उन्हीं लोगों ने ऐसी किसी वारदात की साजिश रची हो. हालांकि पुलिस के सामने पहले हुए जानलेवा हमले से जुड़ी कोई शिकायत नहीं आई थी और अब पुलिस इस मामले के सामने आने के बाद उन पहलुओं को भी खंगाल कर देख रही है. गांव में इस परिवार के दूसरे मसलन राकेश के पिता और भाई भी हैं, जो अलग-अलग मकानों में रहते हैं. राकेश कुछ समय पहले ही गुजरात से आया था.

वो गुजरात में रह कर मजदूरी करता था. उसके पिता पर हुए जानलेवा हमले के बाद वो गांव लौट आया था और यहीं रह रहा था. ऐसे में अगर ये क़त्ल का मामला है, तो फिर इसके पीछे गुजरात कनेक्शन भी हो सकता है. असल में इस इलाके में नकली सोने की ईंटों से ठगी का मामला भी सालों से चलता रहा है. कई बार लोग एक दूसरे को ठगने के लिए किस्से कहानियों की मदद भी लेते हैं. ऐसे में पुलिस को शक है कि कहीं गुजरात में राकेश भी ऐसे किसी चक्रव्यूह में तो नहीं फंस गया, जिसके बाद साज़िश यहां उसकी जान ले ली गई? कुल मिलाकर इस मामले में फिलहाल जांच के सारे ऑप्शंस खुले हैं.

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पुलिस सारे पहलुओं को ध्यान में रख कर तफ्तीश कर रही है. आपने मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में हुई इस वारदात का सच तो जान लिया, जिसके पीछे की कहानी अभी सामने आनी बाकी है, लेकिन अब आइए 6 साल पहले हुए दिल्ली के बुराड़ी के उस घर में भी एक बार फिर से झांक लेते हैं, जहां से 1 जुलाई ने एक साथ 11 लाशें उगली थी. बुराड़ी के एक मकान के करीब 15 फीट चौड़े और 20 फीट लंबे एक हॉल में एक साथ 10 लोगों की लाशें छत पर लगी जाली से झूल रही थीं. जबकि 77 साल की एक बुजुर्ग महिला की लाश उसी मंज़िल के एक कमरे में बिस्तर पर पड़ी थी. यानी एक साथ कुल ग्यारह लाशें.

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दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने की थी खुदकुशी

मरने वाले 11 लोगों में से 8 के हाथ पीछे की ओर बंधे हुए थे, जबकि करीब सभी के सभी की आंखों और मुंह पर पट्टी बंधी थी और कान में रुई ठूंसी हुई थी. सिर्फ़ बुजुर्ग नारायणी देवी के दो बेटों भुवनेश और ललित और ललित की बीवी टीना के हाथ ही खुले थे. बाद में तफ्तीश में पाया परिवार के तीन लोगों ने मिल कर ही बाकी आठ लोगों की जान ली और फिर अंत में खुद भी इन्होंने खुदकुशी कर ली. इस मकान में मिली एक डायरी और रजिस्टर भी मिले, जिनमें इन मौतों के पीछे तंत्र मंत्र और मोक्ष के लिए खुदकुशी किए जाने की बात लिखी थी. पुलिस ने बताया था कि घर का बेटा ललित धार्मिक किस्म का था.

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ललित की बीवी टीना भी बेहद धार्मिक थी. उन्होंने भुवनेश के साथ मिलकर मोक्ष प्राप्ति के लिए पूरा प्लान तैयार किया था. चूंकि परिवार के सभी के सभी लोगों को इसके लिए तैयार नहीं किया जा सकता था, इसलिए बाकी के 8 लोगों का कत्ल धोखे से किया गया. इस कड़ी में सबसे पहले बेब्बे यानी 77 साल की बुजुर्ग मां नारायणी देवी की जान ली गई. जबकि बाकी के लोगों की बारी उसके बाद आई. इन सभी की आंखों और मुंह पर पट्टी बांध दी गई, जबकि हाथ पीछे बांधे गए. जांच टीम को शक था कि शायद इन्हें आंख-मुंह पर पट्टी बांधने और हाथ पीछे की ओर बांधने को एक प्रक्रिया के तौर पर समझाया गया हो.

इस विधि को पूरा करने के लिए कसम खिलाई गई थी. शक है कि शायद इन्हें ये कहा गया कि इस प्रक्रिया से गुज़रने के कुछ देर बाद सबकुछ सामान्य हो जाएगा. लेकिन इसके बाद इन्हें धोखे से फंदे से लटका कर मार डाला गया. पुलिस की मानें तो इसके बाद भुवनेश और टीना ने खुदकुशी की ओर फिर सबसे आख़िर में ललित ने भी अपनी जान दे दी. बुराड़ी के उस मास सुसाइड वाले मामले में जिनकी मौत हुई थी, उनमें 77 साल की नारायणी देवी, 50 साल का बड़ा बेटा भुवनेश उर्फ भुप्पी, 48 साल की उसकी पत्नी सविता, तीन बच्चे नीतू, मोनी और ध्रव, 45 साल का ललित, उसकी पत्नी 42 साल की टीना, उसका बेटा शिवम,  57 साल की विधवा प्रतिभा, उसकी 33 साल की बेटी प्रियंका शामिल थे. इस परिवार के मुखिया का नाम भोपाल सिंह था, जिनकी मौत हो चुकी थी.

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बुराड़ी केस की तफ्तीश में पता चला था कि ललित अपने घर का छोटा बेटा होने के चलते अपने पिता भोपाल सिंह का लाडला था. बाप की मौत का सबसे ज़्यादा सदमा भी उसे ही लगा था. इसके कुछ साल बाद ही अचानक एक हादसे में ललित की आवाज़ भी चली गई थी. पिता की मौत और आवाज़ के चले जाने से ललित पूरी तरह से टूट चुका था. काफी इलाज के बाद भी उसकी आवाज़ नहीं लौटी, लेकिन इसी दौरान ललिता ने घरवालों को इशारों से बताना शुरू किया कि उसे उसके मर चुके पिता भोपाल सिंह दिखाई देते हैं. वो उनसे बात भी करते हैं. घर के लोग उसकी बातों में आते गए. अंधविश्वास के सागर में डूबते गए.

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