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कोरोना

Covid-19 पॉजिट‍िव पाया गया तो अस्पताल में कैसे रहना होगा, जानें नियम

Covid-19 पॉजिट‍िव पाया गया तो अस्पताल में कैसे रहना होगा, जानें नियम
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देश में बढ़ते कोरोना के कहर को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मई तक लॉकडाउन घोष‍ित क‍िया है. कोरोना की गंभीरता को आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि अगर आपमें संक्रमण पाया गया तो आपको पहले तो इलाज के लिए आइसोलेशन में रहना होता है. लेकिन जिन लोगों की हालत गंभीर हो जाती है, उनके लिए ये और भी मुश्क‍िल हो जाता है. आइए जानें- गंभीर मरीजों या अस्पताल में रहने वालों से मिलने के भारत सरकार के क्या नियम हैं. और अस्पताल में कैसे रहते हैं मरीज.
Covid-19 पॉजिट‍िव पाया गया तो अस्पताल में कैसे रहना होगा, जानें नियम
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बता दें कि कोरोना ज्यादातर मरीजों में एनफ्लुएंजा के लक्षण देता है, लेकिन कुछ मरीजों में जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी कम होती है. उनकी हालत फेंफड़ों के संक्रमण के बाद बिगड़ भी सकती है. वहीं पहले से किसी बीमारी से जुझ रहे मरीजों में भी कोरोना वायरस गंभीर लक्षण देता है. ऐसे मरीजों को कई बार आईसीयू में रखना होता है.
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बता दें कि दुनिया के तमाम देशों में आईसीयू में भर्ती मरीजों से उनके रिश्तेदारों और परिजनों को मिलने के सख्त नियम हैं. कई देशों में तो इस पर पूरी तरह मनाही है. इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार ने भी गाइडलाइन जारी की है.
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भारत में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि सरकारी अस्पतालों में आईसीयू में आगंतुकों की संख्या सीमित होनी चाहिए. इसका सीधा मतलब है कि अगर जरूरत पड़े तभी उस हालात में मरीज का सबसे करीबी परिजन ही उससे मिल सकता है.
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स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय की ओर से यह निर्देश भी दिया गया है कि यदि COVID-19 रोगी के कमरे में कोई आगंतुक प्रवेश करता है तो उसे पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्ट‍िव किट) पहनकर ही भीतर जाना चाहिए. वहां सोशल डिस्टेंस को फॉलो करते हुए मरीज से मिलेगा.
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ये निर्देश गंभीर संक्रमण के खतरे को देखते हुए दिए गए हैं. अगर मिलने वाला व्यक्त‍ि पूरी तरह से स्वस्थ्य है तभी वो मिलने के लिए जाए, वार्ड से लौटकर पीपीई किट को हटाने और हाथ धोने की पूरी प्रक्रि‍या फॉलो करनी होगी.
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निर्देशों में कहा गया है कि आगंतुकों को आदर्श रूप से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा पर्यवेक्षण (सुपरवाइज) किया जाना चाहिए. वो मरीज से हेल्थ वर्कर के साथ ही मिल सकते हैं. वहीं दूसरे देशों की बात करें ताे हाल ही में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (NEJM) में इसे लेकर एक लेख छपा था जिसमें COVID-19 महामारी के एक कठिन पहलू की तरफ इशारा किया गया है. लेख के अनुसार आगंतुकों को उनके गंभीर रूप से बीमार परिवार के सदस्यों से मिलने की अनुमति नहीं मिल रही है. उनके लिए वीडियो प्लेयर लोड हो रहा है जिससे वो कनेक्ट हो सकें.
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किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के मेडिसिन विभाग के डॉ कौसर उस्मान बताते हैं कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए जो मरीज आइसोलेशन वार्ड में हैं, वो मोबाइल वाइस या वीडियो कॉलिंग के जरिये अपने परिवार से बात कर सकते हैं. लेकिन जो मरीज गंभीर हालत में वेंटिलेटर पर हैं, उनसे परिजनों का मिल पाना मुश्क‍िल होता है. इसके पीछे वो कारण बताते हैं कि पूरी दुनिया में ही पीपीई क‍िट अभी बहुत सीमित हैं. मरीज से सिर्फ पीपीई किट पहनकर ही मिल सकते हैं, हर परिजन को ये किट नहीं दी जा सकती, इसलिए वो हेल्थ वर्कर्स के जरिये हालचाल लेते हैं. बहुत ही आकस्म‍िक परिस्थ‍ितियों में वो पीपीई किट और हेल्थवर्कर के सुपरविजन में म‍िल सकती हैं.

(सभी फोटो प्रतीकात्मक हैं)
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