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दिल्ली के लिए बड़ी मुसीबत है मेट्रो का बढ़ता किराया, लोगों ने जाहिर की नाराजगी

पिछले कई सालों से मेट्रो में सफर करने वाले विजय नारंग का कहना है कि मेट्रो अब एक जरूरत बन गई है और किराया बढ़ाकर डीएमआरसी ब्लैकमेल कर रहा है जबकि मेट्रो का किराया कई गुना बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं होती है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

नोटबंदी और जीएसटी की मार झेल रहे व्यापरियों ने मेट्रो किराए की बढ़त को नई मुसीबत बताया है. 'आजतक' ने पुरानी दिल्ली के कश्मीरी गेट बाजार की दुकान में काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों से बातचीत की है, जो रोजाना घर से दफ्तर और दफ्तर से घर जाने के लिए मेट्रो का इस्तेमाल करते हैं.

दिल्ली मेट्रो में रोजाना लगभग 5 लाख व्यापारी सफर करते हैं और साथ ही उनके यहां काम करने वाले 2 से 3 लाख कर्मचारी भी रोजाना मेट्रो ट्रेन से सफर करते हैं. कश्मीरी गेट में ऑटो पार्ट्स का व्यापार करने वाले नारंग स्टोर में 23 कर्मचारी ऐसे हैं जो रोजाना मेट्रो से आना जाना करते हैं. हाल ही में मेट्रो किराया बढ़ने के बाद ऐसे कर्मचारियों की चिंता भी काफी बढ़ गई है.

कश्मीरी गेट में ऑटो पार्ट्स का व्यापार करने वाले विजय नारंग की मेट्रो किराया बढ़ने से परेशानी की एक दिलचस्प वजह है. नारंग ऑटो पार्ट्स में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से मेट्रो का सफर तय करके दफ्तर आते हैं. विजय नारंग बताते हैं कि उनकी दुकान और गोदाम में 23 कर्मचारी काम करते हैं. मेट्रो का किराया बढ़ने पर कर्मचारी सैलरी ज्यादा करने की मांग कर रहे हैं. इन दिनों जीएसटी की वजह से व्यापार मंदा है, ऐसे में मेट्रो किराया एक नई मुसीबत बनकर आया है.

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पिछले कई सालों से मेट्रो में सफर करने वाले विजय नारंग का कहना है कि मेट्रो अब एक जरूरत बन गई है और किराया बढ़ाकर डीएमआरसी ब्लैकमेल कर रहा है जबकि मेट्रो का किराया कई गुना बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं होती है.

नारंग ऑटो पार्ट्स में काम करने वाले राजेश पांडेय बताते हैं कि उनके घर में वो खुद, पिता और भाई रोजाना दफ्तर या काम पर जाने के लिए मेट्रो से सफर करते हैं. उस्मानपुर में रहने वाले राजेश का कहना है कि दोबारा किराया बढ़ने से घर के बजट पर वजन बढ़ जाएगा. बच्चों की हर महीने 900 रुपये फीस देता हूं उसमें कटौती कर नहीं सकता. बाइक या मेट्रो के अलावा कोई साधन नहीं है.

पिछले 5 साल से मेट्रो में सफर करने वाले राजेश के मुताबिक हर महीने किराया बढ़ाने का फैसला बेहद गलत है. राजेश कहते हैं कि मेट्रो छोड़कर परिवार के तीनों लोगों को एक बाइक से जाना पड़ेगा लेकिन समस्या यह है कि भाई और पापा का दफ्तर जाने का टाइम भी अलग-अलग है. राजेश बताते हैं कि त्यौहार मनाना भी मुश्किल लग रहा है. मेट्रो किराया बढ़ने से पूरे परिवार पर हर महीने 4500 रुपये का बोझ बढ़ जाएगा.

ऑटो पार्ट्स की दुकान में काम करने वाले गौरव रोजाना उत्तम नगर से कश्मीरी गेट तक मेट्रो से ट्रेवल करते हैं. गौरव का कहना है कि किराया बढ़ाने से जेब पर बड़ा नुकसान पहुंचेगा. दिल्ली मेट्रो ने लोगों की ऐसी आदत बना दी है जहां कई गुना किराया बढ़ाना गलत कदम है. किराया बढ़ाकर दिल्ली मेट्रो अब जनता का गलत फायदा उठा रही है.

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पिछले 7 साल से मेट्रो में सफर कर रहीं सपना बताती हैं कि उनके पति भी मेट्रो में काफी दूरी तय करते हैं. सपना के मुताबिक जिस तरह सैलरी नहीं बढ़ती है, उससे दोगुनी गति से मेट्रो किराया बढ़ा रहा है. मेट्रो में सफर करने की इतनी आदत हो गई है कि बस या बाकी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना बेहद मुश्किल है. बस से सफर करने पर ट्रेवल में टाइम भी ज्यादा लगता है.

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