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एक झटके में लाखों गाड़ियां कबाड़, जानें क्या है BS-3 और BS-4

देश में बढ़ते प्रदूषण पर चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल से बीएस-3 वाहनों के निर्माण, बिक्री और रजिस्ट्रेशन को पूरी तरह बैन कर दिया है और अब 1 अप्रैल से देश में सिर्फ बीएस-4 वाहन बनाए और बेचे जाएंगे. इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑटो सेक्टर इस फैसले से बहुत प्रभावित नहीं होगा. जिन कंपनियों के पास बीएस-3 का स्टॉक है उनपर थोड़ा दबाव होगा लेकिन इस फैसले से नई डिमांड भी पैदा होगी.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

देश में बढ़ते प्रदूषण पर चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल से बीएस-3 वाहनों के निर्माण, बिक्री और रजिस्ट्रेशन को पूरी तरह बैन कर दिया है और अब 1 अप्रैल से देश में सिर्फ बीएस-4 वाहन बनाए और बेचे जाएंगे. इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑटो सेक्टर इस फैसले से बहुत प्रभावित नहीं होगा. जिन कंपनियों के पास बीएस-3 का स्टॉक है उनपर थोड़ा दबाव होगा लेकिन इस फैसले से नई डिमांड भी पैदा होगी.

ऑटो मैन्युफैक्चरर्स ने बीएस-3 वाहनों की बिक्री में एक साल की छूट देने के लिए अर्जी लगाई थी. कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के मुताबिक, कंपनियों के पास इस वक्त बीएस-3 के 8.2 लाख गाड़ियां हैं.

क्या कहा है कोर्ट ने?
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि जिन वहानों में बीएस-4 एमिशन नॉर्म नहीं है, वो एक अप्रैल से नहीं बिकेंगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि गाड़ी बनाने वाली कंपनियों के व्यवसायिक फायदे से ज्यादा जरूरी है कि लोग सेहतमंद रहें.

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बीएस-3 और बीएस-4 में अंतर
बीएस की फुल फॉर्म भारत स्टेज है जो भारत में चलने वाले वाहनों में इस्तेमाल फ्यूल से होने वाले प्रदूषण को नियत्रित करने का स्टैंडर्ड है. आसान भाषा में कहें तो बीएस स्टैंडर्ड से पता चलता है कि आपकी गाड़ी कितना प्रदूषण फैलाती है. बीएस स्टैंडर्ड को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तय करता है. बीएस के साथ जो नंबर होता है, उससे पता चलता है कि इंजन कितना प्रदूषण फैलाता है. बीएस में जितना बड़ा नंबर होगा. उस स्टैंडर्ड वाली गाड़ी से उतना ही कम प्रदूषण होगा. भारत में अभी बीएस-3 स्टैंडर्ड लागू है लेकिन अदालत के फैसले के बाद 1 अप्रैल से बीएस-4 लागू हो जाएगा.

बीएस-3 गाड़ियों की बिक्री पर अदालत द्वारा रोक लगाने का असर यह हुआ है कि वाहन कंपनियों ने बीएस-3 वाहनों को औने-पौने दाम पर बेचना शुरु कर दिया और कई शहरों में गाड़ियों के शोरुम्स पर धनतेरस और दीवाली जैसा माहौल बन गया.

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