देश के शेयर बाजारों ने संवत वर्ष 2070 को बुधवार को खुशी-खुशी विदा किया. बंबई शेयर का बाजार का सेंसेक्स 212 अंक चढ़कर एक माह के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जबकि नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 68 अंक की बढ़त के साथ 8,000 अंक के नजदीक पहुंच गया. मोदी सरकार द्वारा कई आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने और मौजूदा त्योहारी सत्र में कंपनियों की आमदनी बढ़ने की उम्मीद के बीच बाजार में तेजी आई, वहीं दिवाली पर सोना-चांदी की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई है.
हिंदू संवत वर्ष 2070 के दौरान सेंसेक्स 5,547.87 अंक या 26.12 फीसदी मजबूत हुआ है. पिछले पांच संवत वर्षों में यह सबसे बड़ी बढ़त है. वर्ष 2065 में सेंसेक्स 8,813.26 अंक या 103.57 फीसदी चढ़ा था. वर्ष 2070 में बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगभग 25 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है. बीएसई के सभी 12 खंडों के सूचकांक 0.06 से 2.97 फीसदी के लाभ में रहे. बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 211.58 अंक या 0.80 फीसदी चढ़कर 26,787.23 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान यह दिन में 26,818.33 अंक तक चढ़ गया था.
इससे पहले 22 सितंबर को सेंसेक्स 27,206.74 अंक पर बंद हुआ था. सेंसेक्स चार सत्रों में 787.89 अंक या 3.03 फीसदी चढ़ा है. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 68.15 अंक या 0.86 फीसदी की बढ़त के साथ 7,995.90 अंक पर पहुंच गया. कारोबार के दौरान यह 8,005 अंक तक चला गया था. तेल और गैस क्षेत्र के सुधारों के बाद विधानसभा चुनावों में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन से उम्मीद बंधी है कि मोदी सरकार अब सुधारों को अधिक तेजी से आगे बढ़ाएगी. इसके अलावा कुछ बड़ी कंपनियां के उत्साहवर्धक तिमाही नतीजों से भी बाजार धारणा को बल मिला.
दीवाली पर सोना-चांदी कीमतों में गिरावट
विदेशों में कमजोरी के रुख के बीच मौजूदा ऊंचे भावों पर आभूषण निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं की कमजोर मांग से राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में दो दिनों की तेजी के बाद बुधवार को सोने की कीमत 75 रुपये की गिरावट के साथ 27,850 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई. औद्योगिक इकाइयों के लिवाली समर्थन के अभाव में चांदी भी 100 रुपये टूटकर 38,900 रुपये प्रति किग्रा पर आ गई. बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में बहुमूल्य धातुओं के भाव छह सप्ताह के उच्च स्तर से नीचे आ गये हैं और स्थानीय बाजार में मौजूदा उच्च स्तर पर आभूषण निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं की मांग में गिरावट के कारण कारोबारी धारणा कमजोर रही, जिससे इन धातुओं की कीमतों में गिरावट आई.
-इनपुट भाषा से